तमिलनाडु शराब घोटाला: ED ने टैसमैक के एमडी एस विसाकन से की पूछताछ

ईडी ने फिल्म निर्माता आकाश के घर समेत तमिलनाडु के 12 ठिकानों पर छापेमारी की; एजेंसी ने 1000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में के स्मार्ट सॉल्यूशंस की भूमिका की भी जांच की।;

Update: 2025-05-16 10:09 GMT

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार सुबह तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (TASMAC) के प्रबंध निदेशक एस. विसाकन से उनके मणप्पक्कम स्थित आवास पर पूछताछ शुरू कर दी है। यह कार्रवाई राज्य में ₹1,000 करोड़ के शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत की जा रही है। ईडी ने हाल ही में तमिलनाडु के 12 ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें फिल्म निर्माता आकाश का आवास भी शामिल है। जांच में पाया गया है कि टैसमैक के संचालन से जुड़ी कथित मनी लॉन्ड्रिंग में कई निजी और सरकारी संस्थाएं भी शामिल हैं।

K स्मार्ट सॉल्यूशंस पर भी ईडी की नजर

छापों के बाद ईडी ने K स्मार्ट सॉल्यूशंस नामक कंपनी की भूमिका की भी जांच शुरू की है। यह कंपनी कथित रूप से डीएमके सरकार के दौरान कई सरकारी टेंडर जीतती रही है। बताया गया है कि यह कंपनी केरल स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Keltron) को सामने रखकर टेंडर प्रक्रिया में भाग लेती है। केल्ट्रॉन के साथ मिलकर कंपनी ने स्कूल शिक्षा विभाग से करीब ₹950 करोड़ के स्मार्ट क्लासरूम प्रोजेक्ट समेत कई अनुबंध प्राप्त किए हैं।

एस. विसाकन पर क्या आरोप हैं?

ईडी अधिकारियों के अनुसार, प्रमोटेड आईएएस अधिकारी विसाकन से पूछताछ उनके घर पर शुक्रवार सुबह शुरू हुई। यह पूछताछ मार्च 6 से 8 के बीच टैसमैक मुख्यालय और अन्य परिसरों पर हुई छापेमारी में मिले वित्तीय अनियमितताओं पर केंद्रित है। ईडी का आरोप है कि विसाकन और अन्य वरिष्ठ अधिकारी टेंडर में हेरफेर, शराब की दुकानों पर अधिक कीमत वसूली और डिस्टिलरियों से आपूर्ति आदेश पाने के लिए घूस लेने जैसी गतिविधियों में शामिल थे।

पहले ईडी ने विसाकन, टैसमैक के महाप्रबंधक एस. संगीता, टी. रामदुरैमुरुगन और डिप्टी जीएम जोथि शंकर को 24 अप्रैल को समन भेजा था। हालांकि, विसाकन ने पहले समय मांगा था। लेकिन अब ईडी ने जांच तेज कर दी है।

मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क पर कड़ी कार्रवाई

ईडी ने कथित घोटाले में शामिल लोगों, जैसे कि टैसमैक के जोनल डिप्टी मैनेजर, सीनियर डिप्टी मैनेजर और एक बिचौलिये के ठिकानों पर छापे मारकर मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। जांच में सामने आया है कि फर्जी बिल, महंगे टेंडर और शेल कंपनियों के माध्यम से अवैध धन को फिल्म इंडस्ट्री समेत अन्य क्षेत्रों में लगाया गया।

क्या है पूरा 'शराब घोटाला'?

करीब ₹1,000 करोड़ का यह घोटाला टैसमैक के भीतर फैले संगठित भ्रष्टाचार से जुड़ा है। टैसमैक तमिलनाडु सरकार की शराब वितरण एजेंसी है, जो हर साल करीब ₹44,000 करोड़ का राजस्व उत्पन्न करती है। डीवीएसी (भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय) द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर यह जांच शुरू हुई थी, जिसमें बताया गया था कि ग्राहकों से प्रति बोतल ₹10-30 तक अधिक वसूला गया, डिस्टिलरियों से कमीशन लिया गया और स्थानांतरण व लाइसेंसिंग टेंडरों में गड़बड़ी की गई।

पिछली छापेमारियों से मिले सबूत

मार्च में की गई छापेमारी में ईडी को कई सबूत मिले हैं, जिनमें एसएनजे, काल्स, एकॉर्ड, सैफल और शिवा डिस्टिलरी जैसी डिस्टिलरियों को अनुचित लाभ देने और देवी बॉटल्स व क्रिस्टल बॉटल्स जैसी बॉटलिंग कंपनियों के खर्चों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के दस्तावेज शामिल हैं। इसके जरिए घूस के रूप में नकद धनराशि दी गई और सप्लाई ऑर्डर हासिल किए गए। परिवहन टेंडरों में भी अनियमितता पाई गई।

राजनीतिक संबंधों की जांच

यह घोटाला इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें पूर्व आबकारी मंत्री वी. सेंथिल बालाजी का नाम सामने आया है, जो टैसमैक के कामकाज को देखते थे। जांच में पाया गया कि राजनेताओं, अफसरों और निजी कंपनियों के गठजोड़ से यह घोटाला हुआ और इसकी धनराशि शेल कंपनियों और फिल्म इंडस्ट्री में निवेश की गई।

कानूनी लड़ाई और हाई कोर्ट का फैसला

टैसमैक और राज्य सरकार ने ईडी की कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन अप्रैल 2025 में मद्रास हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिससे ईडी की जांच को कानूनी बल मिला और एजेंसी ने फिर से छापे और समन की कार्रवाई शुरू कर दी।

डीएमके का जवाब

डीएमके ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है। पार्टी के अनुसार, टैसमैक की टेंडर प्रक्रिया पारदर्शी है और ईडी की जांच राज्य सरकार को बदनाम करने की कोशिश है। डीएमके ने केंद्र सरकार पर विपक्ष शासित राज्यों को निशाना बनाने का आरोप भी लगाया है।

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