Exclusive: तमिलनाडु शराब घोटाला- 1 हजार करोड़ रुपये के कमीशन का असली मास्टमाइंड कौन?

ईडी को को शक है कि इसका केवल एक छोटा हिस्सा ही Tasmac अधिकारियों तक पहुंचता है. जबकि इसका बड़ा हिस्सा राजनीतिक हस्तियों के पास जाता है.;

Update: 2025-03-11 12:21 GMT

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तमिलनाडु में काले धन के एक विशाल नेटवर्क का खुलासा किया है, जिसमें निजी शराब बनाने वाली फैक्ट्रियां और अन्य अवैध वित्तीय गतिविधियां शामिल हैं. इस मामले में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की अनियमितताएं सामने आई हैं. यह जांच तब शुरू हुई जब तमिलनाडु राज्य विपणन निगम लिमिटेड (Tasmac) के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की FIR दर्ज की गई, जिसे निदेशालय ऑफ विजिलेंस एंड एंटी-करप्शन (DVAC) ने दर्ज किया था. इसके बाद ED ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत एक अलग FIR दायर की और जांच को विस्तार दिया.

ED की जांच की दिशा और छापे

ED की जांच का केंद्र बिंदु उन निजी शराब बनाने वाली फैक्ट्रियों और मध्यस्थों पर है, जिनका कथित रूप से तमिलनाडु के बिजली, निषेध और आबकारी मंत्री वी. सेंथिल बालाजी से संबंध है. FIR के बाद ED अधिकारियों ने Tasmac के मुख्यालय, भंडारण सुविधाओं, निजी शराब फैक्ट्रियों और मंत्री से जुड़े व्यक्तियों के आवासों पर छापे मारे. ED के एक अधिकारी ने The Federal को बताया कि कई वर्षों से निजी शराब फैक्ट्रियां काले धन का बड़ा स्रोत रही हैं. हमने ठोस साक्ष्य प्राप्त किए हैं, जो दर्शाते हैं कि इन फैक्ट्रियों से 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का काला धन उत्पन्न हुआ है, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ है.

अधिकारी ने यह भी कहा कि ये खोजें महज "बर्फberg के सिरा" जैसी हैं. क्योंकि जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि संदिग्धों ने सबूतों को नष्ट करने और अपने मोबाइल उपकरणों को बदलने की कोशिश की है. हमने जिन उपकरणों को जब्त किया है, उनसे हटाए गए डेटा को पुनः प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं.

पैसे की हेराफेरी का तरीका

जांच के दौरान यह पाया गया कि शराब बनाने वाली फैक्ट्रियां कैसे चालान बढ़ाकर और नकली आपूर्ति रसीदें जारी करके काले धन का जाल बुन रही थीं. एक अधिकारी ने बताया कि कई शराब फैक्ट्रियां झूठे चालान जारी करती थीं और अधिक शुल्क वसूलती थीं. उदाहरण स्वरूप, एक लेन-देन जो 1 लाख रुपये का था, उसे 1.5 लाख रुपये के रूप में दर्ज किया गया और अतिरिक्त 50,000 रुपये नकद मध्यस्थों को दिए गए. ये मध्यस्थ संभावित रूप से यह राशि Tasmac अधिकारियों और उच्च अधिकारियों को भेजते थे.

ED अब इस नकद प्रवाह का पता लगाने की कोशिश कर रहा है, ताकि इसके प्राप्तकर्ताओं की पहचान की जा सके. अधिकारियों का मानना है कि इस धन का एक छोटा हिस्सा Tasmac अधिकारियों तक पहुंचता है, जबकि अधिकांश पैसे प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों के पास जाता है.

प्रमुख शराब फैक्ट्रियां और जब्त किया गया पैसा

इस मामले में जांच किए गए प्रमुख शराब निर्माताओं में SNJ Distillers Pvt Ltd, Kals Distilleries Pvt Ltd, MGM Distilleries, SHIVA Distilleries Pvt Ltd और Accord Breweries and Distilleries Ltd शामिल हैं, जो Tasmac को शराब आपूर्ति करती हैं. ED ने MGM Distilleries से 50 लाख रुपये की अवैध नकदी भी जब्त की है.

जांच की चुनौतियां और भ्रष्टाचार

अधिकारी ने DVAC द्वारा शुरू किए गए भ्रष्टाचार मामलों के बारे में और जानकारी देने से परहेज किया,. क्योंकि इससे जांच में रुकावट आ सकती थी. उन्होंने बताया कि तमिलनाडु में भ्रष्टाचार में शामिल लोग अक्सर राजनीतिक प्रभाव रखते हैं, जो उन्हें स्थानीय मामलों को दबाने और जांच में हस्तक्षेप करने की शक्ति प्रदान करता है. हालांकि, ED ने अभी तक इस घोटाले में सेंथिल बालाजी को सीधे संलिप्त करने वाले कोई ठोस सबूत नहीं पाए हैं, फिर भी एजेंसी यह जांच कर रही है कि शराब व्यापार में Tasmac अधिकारियों की कथित संलिप्तता कैसे काम करती थी. चूंकि सेंथिल बालाजी Tasmac के प्रमुख हैं, उनके सहयोगियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

राजनीतिक विवाद और आरोप

यह जांच तमिलनाडु में एक गंभीर राजनीतिक विवाद का कारण बन चुकी है. सत्तारूढ़ DMK और अन्य दलों ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह विपक्षी शासित राज्यों को निशाना बनाने के लिए ED, CBI और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है. Tasmac कर्मचारियों के राज्य संघ के महासचिव K. Thiruselvam ने आरोप लगाया कि अधिकारियों और राजनेताओं ने Tasmac को एक "काले धन उत्पन्न करने वाली संस्था" में बदल दिया है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि "Tasmac के पास पर्याप्त राजस्व होते हुए भी यह कागज पर घाटे में क्यों चल रहा है. हमें शक है कि शराब का 40 प्रतिशत काले बाजार में डाइवर्ट किया जा रहा है, जो सरकारी नियमों का उल्लंघन है."

भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें

ED की जांच से यह स्पष्ट हुआ है कि तमिलनाडु के शराब उद्योग में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें हो सकती हैं. इसमें निजी शराब फैक्ट्रियां, Tasmac अधिकारी और प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति शामिल हो सकते हैं. एजेंसी ने नष्ट किए गए सबूतों को पुनः प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और अवैध धन के प्रवाह का पता लगाने का प्रयास कर रही है, ताकि यह खुलासा किया जा सके कि यह नेटवर्क राज्य की वित्तीय स्थिति को प्रभावित कर रहा है और भूमिगत अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है. अभी तक, ED ने सेंथिल बालाजी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं पाए हैं. लेकिन उनकी जांच Tasmac के संचालन और घोटाले में शामिल अन्य मध्यस्थों पर केंद्रित है.

तमिलनाडु का शराब घोटाला दिल्ली और छत्तीसगढ़ के घोटालों से अलग है. क्योंकि यह राज्य के एकाधिकार को ओवरबिलिंग और अवैध बाजार के लिए डायवर्ट करने पर केंद्रित है, न कि नीति में बदलाव करने या समानांतर बिक्री नेटवर्क स्थापित करने के तरीके से जैसा कि अन्य राज्यों में देखा गया.

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