तेंदुए के दांत के लॉकेट पर नहीं मिला ठोस सबूत, रैपर वेदन को सशर्त जमानत
अदालत ने यह भी कहा कि ऐसा कोई आरोप या सबूत नहीं है जिससे पता चले कि वेदान शिकार, व्यापार या वन्यजीव उत्पादों के अवैध अधिग्रहण में शामिल था।;
प्रसिद्ध मलयालम रैप आर्टिस्ट हिरंदास वीएम उर्फ "वेदन" को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत दर्ज मामले में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (कोर्ट-III), पेरुम्बवूर ने सशर्त ज़मानत दे दी है। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा है कि वेदन के पास जो लॉकेट था, वह तेंदुए के दांत से बना हुआ है।
मजिस्ट्रेट शरथ कुमार केजे द्वारा पारित आदेश में कहा गया है कि रिकॉर्ड में मौजूदा सामग्री प्रथम दृष्टया कोई मजबूत प्रमाण नहीं देती। साथ ही अभियोजन पक्ष ने यह साबित करने के लिए कोई फॉरेंसिक रिपोर्ट भी प्रस्तुत नहीं की कि लॉकेट वास्तव में अनुसूची-1 में सूचीबद्ध किसी संरक्षित वन्य जीव की वस्तु से बना है। इस स्थिति में अदालत ने माना कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन सिद्ध नहीं होता।
लॉकेट से खुला नया मामला
वेदन को 29 अप्रैल 2025 को उनके कोच्चि स्थित फ्लैट से थोड़ी मात्रा में गांजा रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस दौरान वन विभाग के अधिकारियों ने उनके गले में एक लॉकेट देखा, जिसे वे तेंदुए का दांत होने का संदेह जता रहे थे। इसके बाद उनके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 51 और एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।
प्रशासन ने जताई आपत्ति
प्रशासन ने वेदन की ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वे एक लोकप्रिय कलाकार हैं और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं या सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। साथ ही यह भी बताया गया कि लॉकेट देने वाले व्यक्ति की पहचान अब तक नहीं हो सकी है। दूसरी ओर, वेदन के वकील जोस ज्वेल ने अदालत को बताया कि यह लॉकेट उन्हें चेन्नई में एक कार्यक्रम के दौरान एक प्रशंसक ने उपहार में दिया था और वेदन को इसकी संरचना की जानकारी नहीं थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि यह सिंथेटिक या नकली सामग्री से बना हो सकता है।
शिकार का कोई प्रमाण नहीं: अदालत
अदालत ने माना कि वेदन के खिलाफ न तो वन्यजीव शिकार, व्यापार या अवैध खरीद का कोई सीधा आरोप है, न ही कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड। लॉकेट को उन्होंने सार्वजनिक कार्यक्रमों में पहना था, इसे छिपाया नहीं गया था। कोर्ट ने धारा 51A के तहत ज़मानत दी, जिसमें अभियोजन पक्ष को सुनवाई का अवसर देना अनिवार्य है। ज़मानत की शर्तों में वेदन को ₹50,000 का व्यक्तिगत मुचलका और दो जमानतदार देने होंगे। उन्हें पासपोर्ट कोर्ट में जमा करना होगा या हलफनामा देना होगा कि उनके पास पासपोर्ट नहीं है।
इसके अतिरिक्त वे अगले दो महीने (या चार्जशीट दाखिल होने तक) हर गुरुवार सुबह 10 बजे से 1 बजे तक कोडनाड के रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर के समक्ष उपस्थित रहेंगे। वे केरल राज्य से बाहर नहीं जा सकते बिना अनुमति के। वे किसी भी गवाह या अधिकारी से संपर्क नहीं कर सकते और न ही साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। शर्तों के उल्लंघन पर ज़मानत रद्द की जा सकती है।
मात्र आरोपों से नहीं छीनी जा सकती स्वतंत्रता
अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता केवल गंभीर आरोपों के आधार पर नहीं छीनी जा सकती, जब तक कि पुख्ता सबूत न हों। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वन्यजीव कानून के अंतर्गत वैज्ञानिक पुष्टि के बिना किसी की ज़मानत को रोकना न्यायसंगत नहीं।
फॉरेंसिक रिपोर्ट पर टिकी आगे की कार्रवाई
वन विभाग ने लॉकेट को जांच के लिए भेज दिया है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि वह वास्तव में तेंदुए के दांत से बना है या नहीं। अगर यह पुष्टि होती है तो अभियोजन पक्ष का मामला मजबूत होगा। अन्यथा, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत आरोप हट सकते हैं। इस बीच, एनडीपीएस अधिनियम के तहत वेदन के खिलाफ गांजा रखने का मामला अलग से जारी रहेगा।