बिहार के गांव-गांव तक पहुंच चुका है 'वोट चोरी' का मुद्दा, 'वोटर अधिकार यात्रा' की ग्राउंड रिपोर्ट

बिहार में ज़मीन पर जो सरगर्मियां हैं, उसे देखते हुए लग रहा है कि 'वोट चोरी' के विपक्ष का आरोप अब सिर्फ शोरभर नहीं है। विपक्ष बात जहां तक पहुंचाना चाहता था, वो पहुंच गई है। यहां जानिए बिहार के मुंगेर और खगड़िया ज़िले के गांवों से 'द फेडरल देश' की ग्राउंड रिपोर्ट का भाग-2;

By :  Lalit Rai
Update: 2025-08-24 08:55 GMT
बिहार का आने वाला विधानसभा चुनाव SIR का टेस्टिंग ग्राउंड साबित हो सकता है

किसी भी राज्य के ग्राम्य समाज का रुझान और उसका मिजाज़ उस राज्य के सामाजिक/राजनीतिक हालातों का बैरोमीटर माना जा सकता है। कम से कम बिहार के मामले में तो यह बात पुख्ता तौर पर कही ही जा सकती है। इसीलिए 'द फेडरल देश' ने 'वोट चोरी' के आरोपों और 'वोटर अधिकार यात्रा' के घटनाक्रम के बीच बिहार के ग्राम्य अंचल का रुख किया और ग्रामीण बिहार का मूड टटोलने की कोशिश की। हमारी टीम मुंगेर और खगड़िया ज़िले के ग्रामीण इलाके में पहुंची, तो दिलचस्प बात देखने को मिली।

जहां-जहां भी हमारी टीम पहुंची, एक बात समझ में आ गई और वो ये कि वोटर लिस्ट से नाम कटने का मसला सवाल गांव-गांव तक पहुंच चुका है और कायदे से पहुंच चुका है। इस मसले को लेकिन ग्रामीण बिहार बहुत मुखर है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' ने उसे और हवा दे दी है।

चौंकाने वाली बात ये देखने को मिली कि 'द फेडरल देश' के कैमरे पर इस मसले पर सबसे ज्यादा मुखर आवाज़ें महिलाओं की तरफ़ से उठीं, जैसे खगड़िया ज़िले के दुर्गापुर गांव में जब हमारी टीम पहुंची और लोगों से बात करने की कोशिश की। तो पहले तो महिलाएं राजनीतिक सवाल पर बात करने से सकुचाई, लेकिन एक बार उन्होंने जो बोलना शुरू किया तो फिर वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने के नाम पर की जा रही चुनाव आयोग की कसरत की कलई उतार दी।

'द फेडरल देश' की टीम इन महिलाओं से नाम भी नहीं पूछ पाई थी कि एक के बाद एक महिलायें वोटर लिस्ट से नाम कटने की शिकायतें करने लगीं। उन्होंने हमारे कैमरे के सामने शिकायतों का अंबार लगा दिया। इस सवाल पर कि इस बार के विधानसभा चुनाव में क्या बदलाव होगा?, एक महिला बोल पड़ी,"अब जब वोट ही चोरी हो जाएगा तो नीतीश कुमार को कैसे बदलेंगे?"

दुर्गापुर के ही एक व्यक्ति बोले,"हमारे गांव में 200 लोगों के नाम काट दिए गए। दलील ये दी गई तुम्हारे पास प्रूफ नहीं हैं।"

'द फेडरल देश' की टीम बिहार के मुंगेर जिले के चुरम्बा गांव पहुंची। यहां एक व्यक्ति से मिले जिनका नाम तो वोटर लिस्ट में है, लेकिन उनकी पत्नी का नाम कट गया। वो हमारे कैमरे पर बोले, "वोट चोरी तो पहले भी होती रही है लेकिन इस सरकार के राज में डकैती हो रही है।" हमने पूछा कि डकैती से उनका आशय क्या है? तो वह बोले- "वोटों की डकैती का मतलब है चोरी से चार गुना बड़ा अपराध।"


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वोटर लिस्ट में बांग्लादेशियों के नाम शामिल होने की दलील पर पूछे गए एक सवाल पर चुरम्बा गांव के एक अन्य व्यक्ति बोले,"सवाल तो सरकार से है कि बांग्लादेश का आदमी यहां कैसे चला आया? उसे किसने बुलाया? किसने शरण दी? अगर बांग्लादेशी या पाकिस्तानी हमारे देश में आ रहा है, तो कहां से आ रहा है? बॉर्डर पार करके ही तो आ रहा है। तो इसकी जिम्मेदारी किसकी है? उस पर बात क्यों नहीं हो रही है?"

'द फेडरल देश' की टीम मुंगली गांव भी गई। यहां शंभू यादव मिले। बोले, "हम कई बरसों से वोट देते आ रहे हैं। लेकिन वोटर लिस्ट से इस बार हमारा नाम ही काट दिया।हमने आपत्ति दर्ज की है। ऐसा बहुत सारे लोगों के साथ हुआ है।"

एक अन्य व्यक्ति ने बताया, "मेरे गांव में 20 आदमी ऐसे हैं, जो जीवित हैं, लेकिन उनको मृत बताकर वोटर लिस्ट से उनका नाम काट दिया गया है। ये तो सरासर बेमानी हो रही है।" हमने पूछा,"वोटर अधिकार यात्रा का असर दिखेगा क्या बिहार चुनाव में?" वह बोले, "ज़रूर दिखेगा। बहुत गलत हो रहा है वोटरों के साथ।" 

मुंगली गांव के लोगों ने बताया कि सिर्फ़ उनके गांव में ही नहीं, आसपास के दूसरे गांवों से भी बहुत से लोगों के नाम वोटर लिस्ट से गायब कर दिए गए हैं।

'द फेडरल देश' की टीम ने बिहार के गांवों में पहुंचकर जो महसूस किया, उससे अभी इतना तो लग रहा है कि बिहार चुनाव की घोषणा जब भी हो। चुनाव जब भी हों लेकिन चुनाव का एजेंडा अभी से सेट हो चुका है। हो सकता है कि बिहार का विधानसभा चुनाव SIR के मुद्दे का टेस्टिंग ग्राउंड भी साबित हो क्योंकि चुनाव आयोग भी इसे प्रयोगशाला के तौर पर देख रहा है।

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