बाढ़ से तबाह मराठवाड़ा में 10 माह में 899 किसानों ने दी जान

बाढ़ प्रभावित महीनों के दौरान क्षेत्र में 537 मौतें दर्ज. राज्य ने बड़े राहत पैकेज की घोषणा की, विशेषज्ञों ने दीर्घकालिक आपदा योजना की मांग की

Update: 2025-11-18 10:28 GMT

Marathwada Farmers : महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में इस साल किसान आत्महत्याओं का आंकड़ा चिंताजनक रूप से बढ़ गया है। सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि जनवरी से अक्टूबर के बीच 899 किसानों ने अपनी जान दे दी। इनमें से 537 आत्महत्याएं मई से अक्टूबर के बीच हुईं, जब लगातार भारी बारिश और बाढ़ ने फसलें तबाह कर दी थीं।

छत्रपति संभाजीनगर संभागीय आयुक्त कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, इस दस महीने की अवधि में सबसे अधिक मामले बीड और छत्रपति संभाजीनगर जिलों में दर्ज किए गए। जिलेवार आंकड़ों में छत्रपति संभाजीनगर में 112, जालना में 32, परभणी में 45, हिंगोली में 33, नांदेड़ में 90, बीड में 108, लातूर में 47 और धाराशिव में 70 किसान आत्महत्याओं की खबर सामने आई है।

बाढ़ से फसलों की बर्बादी ने बढ़ाया किसान संकट

मराठवाड़ा में लंबे समय से बारिश की अनिश्चितता किसानों की मुश्किल बढ़ाती रही है। इस साल सितंबर तक की रिपोर्ट के अनुसार अतिवृष्टि और बाढ़ में 12 लोगों की मौत हुई, 1300 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हुए और 357 पशु मर गए। राज्य सरकार ने प्रभावित किसानों के लिए लगभग 32 हजार करोड़ रुपये का मुआवजा घोषित किया है।
मराठवाड़ा के आठ जिले छत्रपति संभाजीनगर, जालना, नांदेड़, परभणी, हिंगोली, लातूर, बीड और धाराशिव इस आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।

किसानों को कम मुआवजा मिलने की शिकायतें

किसान नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि बेमौसम बारिश, बाढ़ और लंबे मानसून ने किसानों का मनोबल तोड़ दिया है। उनका आरोप है कि किसानों को वास्तविक नुकसान की तुलना में बेहद कम मुआवजा मिल रहा है।
शेट्टी एक उदाहरण देते हैं कि सिना नदी में आई बाढ़ में एक किसान के केले के बाग पूरी तरह डूब गए। उसी किसान ने करीब सौ टन फसल का सौदा पच्चीस हजार रुपये प्रति टन के हिसाब से किया था। लेकिन नुकसान के बदले उसे केवल पच्चीस हजार रुपये का मुआवजा मिला। उन्होंने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जिससे किसानों में भारी नाराजगी है।

सरकार ने राहत उपायों की दिशा में बढ़ाए कदम

कृषि राज्य मंत्री आशीष जायसवाल ने कहा कि राज्य सरकार किसानों की मदद के लिए गंभीर है। उन्होंने बताया कि सरकार किसानों की योजनाओं और प्रोत्साहनों पर करीब एक लाख करोड़ रुपये खर्च कर रही है, जो कृषि विभाग के सालाना बजट से कहीं अधिक है।
जायसवाल ने संकेत दिया कि भविष्य में किसानों को मिलने वाली प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता बढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा कि मराठवाड़ा जैसे क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाएं दोबारा हो सकती हैं, इसलिए दीर्घकालिक समाधान बेहद जरूरी है। सरकार इन उपायों पर काम कर रही है जिनमें नियंत्रित खेती और फसल पैटर्न में बदलाव जैसे कदम शामिल हैं ताकि किसानों को स्थायी लाभ मिल सके।
उन्होंने यह भी बताया कि कर्ज माफी की योजनाओं का लाभ सही किसानों तक पहुंचे, इसके लिए एक विशेष समिति बनाई गई है।

दीर्घकालिक आपदा प्रबंधन योजना की मांग

दूसरी ओर, किसान सहायता संगठन शिवार हेल्पलाइन ने सरकार से अपील की है कि वह आपदा प्रबंधन को लेकर एक दीर्घकालिक और रणनीतिक योजना तैयार करे। संगठन के संस्थापक विनायक हेगाना ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर साफ दिखाई दे रहा है और सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
उन्होंने सुझाव दिया कि कोविड समय की तरह एक विशेष टास्क फोर्स बनाई जाए, जिसे आपात स्थिति में तुरंत निर्णय लेने और ज़मीनी स्तर पर काम करने की पूरी ताकत मिले। उनका कहना है कि मराठवाड़ा के लिए नए आपदा प्रबंधन ढांचे की जरूरत है और पुराने मानदंडों को बदला जाना चाहिए।

(एजेंसी इनपुट्स सहित)

(आत्महत्याओं को रोका जा सकता है। मदद के लिए कृपया आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन पर कॉल करें: नेहा आत्महत्या रोकथाम केंद्र - 044-24640050; आत्महत्या रोकथाम, भावनात्मक सहायता और आघात सहायता के लिए आसरा हेल्पलाइन - +91-9820466726; किरण, मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास - 1800-599-0019, दिशा 0471-2552056, मैत्री 0484 2540530, और स्नेहा की आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन 044-24640050।)


Tags:    

Similar News