'काहे का मसीहा, गरीबों की जमीन हड़पता है', गाजीपुर का चुनाव ले रहा दिलचस्प मोड़
गाजीपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के पारस नाथ राय का मुकाबला इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार अफजाल अंसारी से है. यह अंसारी परिवार का पहला चुनाव है जब मुख्तार अंसारी नहीं है.
यूपी में पूर्वांचल इलाके की जिन 13 सीटों पर 1 जून को होने वाले चुनाव में गाजीपुर भी शामिल है. 2024 के चुनाव में क्या अफजाल अंसारी एक बार फिर जीत दर्ज करेंगे या बीजेपी उन्हें शिकस्त देने में कामयाब होगी. इस अहम सवाल का जवाब 4 जून को मिलेगा. इन सबके बीच अफजाल अंसारी और बीजेपी कैंडिडेट पारस नाथ राय के बीच जुबानी जंग तेज हो चली है. अफजाल अंसारी अपनी सभी सभाओं में बीजेपी कैंडिडेट को शिक्षा माफिया कहते हैं. जमीन हड़पने का आरोप लगाते हैं. इन सबके बीच बीजेपी उम्मीदवार ने सिलसिलेवार जवाब दिया.
'आओ प्रचार करो एग्जाम देख लेंगे'
पारस नाथ राय ने कहा कि मुलायम सिंह अपने कार्यकाल में गाजीपुर के लंका मैदान आए और कहा कि आओ मेरा प्रचार करों. एग्जाम देख लेंगे. अब आप शिक्षा में गिरावट को देख सकते हैं. एक बार शिक्षा का स्तर जब गिरता है तो गिरता जाता है.नेताओं को इससे कहां मतलब. अब आप सोचिए कि जिस दल का सर्वोच्च नेता इस तरह की बात करता हो तो उसके आरोप का क्या मतलब है.
'मुख्तार अंसारी आतंक का प्रतीक था'
मुख्तार अंसारी पर उन्होंने कहा कि देखिए वो आतंक का पर्याय था. उसके मरने से सहानुभूति नहीं है. वो विधायक बन गया. माननीय मन गया.यही नहीं अफजाल अंसारी पांच बार के विधायक और दो बार के सांसद रहे. लेकिन वाणी पर नियंत्रण नहीं. कुछ दिन पहले अखिलेश यादव की रैली थी और उसमें वो मनोज सिन्हा के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया. वो बात करते हैं कि शोषितों की रक्षा का तो सवाल यह है कृ्ष्णानंद राय के साथ सात लोग मारे गए वो क्या था. कृष्णानंद की चोटी काटी गई वो क्या था. चोटी काटने का अर्थ जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हिंदू समाज के गर्दन काटने जैसा है. मऊ में मन्ना सिंह ठेकेदार की हत्या हुई, कुशवाहा ड्राइवर को मारा गया वो क्या था.