राजकोट कांड पर बिफरा गुजरात हाईकोर्ट, सरकार से सवाल- क्या आप लोग गहरी नींद में थे

भारत में हादसे होते रहते हैं. कुछ दिनों तक सक्रियता. लेकिन समय गुजरने के बाद लगता है कि कुछ हुआ ही ना हो. राजकोट गेमिंग जोन हादसे पर गुजरात हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार को फटकार लगाई है.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-05-27 09:29 GMT

Rajkot game zone incident news:  जाके पैर ना पड़ी बिवाई वो क्या जाने पीर पराई. यह कहने को कहावत है लेकिन वास्तविक जिंदगी से इसका बेहद करीबी नाता है. शनिवार के दिन गुजरात के राजकोट में 30 से अधिक लोगों के परिवार उजड़ गए, इन 30 परिवारों की जिंदगी में उजाला कब और कैसे आएगा वो तो समय की बात है. राजकोट गेमिंग जोन हादसे पर गुजरात हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए कहा कि यह मानव जनित आपदा है. इसका मतलब कि जो लोग इस मनोरंजन पार्क से किसी ना किसी रूप में जुड़े हुए उनकी जिम्मेदारी बनती है. हाईकोर्ट ने गुजरात सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि आप लोगों पर भरोसा नहीं है. अब जो इस मामले में जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक फायर विभाग से एनओसी नहीं थी और मनोरंजन पार्क के कैंपस में वेल्डिंग का काम चल रहा था और शायद आग लगने के लिए वेल्डिंग से निकली चिंगारी जिम्मेदार है. इस बीच हाईकोर्ट ने फायर विभाग से पूछा कि क्या आप लोग आज तक गहरी नींद में सोए हुए थे. 

क्या आपने आंखें मूंद लीं

गुजरात उच्च न्यायालय ने शहर में गेमिंग जोन की साइट पर गंभीर सुरक्षा खामियों को लेकर राजकोट नगर निगम को कड़ी फटकार लगाई.जांच के दौरान यह पाया गया कि नाना-मावा इलाके में गेमिंग जोन अग्निशमन विभाग से सुरक्षा प्रमाणपत्र और अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) समेत आवश्यक परमिट के बिना दो साल से अधिक समय से चल रहा थाखामियों के लिए निगम को फटकार लगाते हुए न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव और देवन देसाई की एक विशेष पीठ ने कहा कि उसे अब राज्य सरकार पर भरोसा नहीं है.आश्चर्य है कि अदालत के पिछले आदेशों के बावजूद ऐसी त्रासदी कैसे होने दी गई. यह ढाई साल से चल रहा है. क्या हम मान लें कि आपने आंखें मूंद लीं ? आप और आपके लोग क्या करते हैं. अपने बचाव में नगर निगम ने कोर्ट को बताया कि गेमिंग जोन ने अनुमति नहीं मांगी थी.इस पर अदालत ने कहा कि निगम यह सुनिश्चित करने के लिए समान रूप से जिम्मेदार है कि ऐसे गेमिंग जोन में अग्नि सुरक्षा सहित उचित सुरक्षा उपाय हों. अदालत ने कहा कि हमारे आदेश के चार साल बाद भी अगर अग्नि सुरक्षा के मामले में कोई कदम नहीं उठाया गया, तो आरएमसी कैसे जिम्मेदार नहीं है.ये अधिकारी कौन थे? क्या वे वहां खेलने गए थे ?

राज्य सरकार पर भरोसा न करें: HC

अदालत ने राज्य सरकार को भी आड़े हाथ लेते हुए पूछा कि क्या वह इस तरह की गलतियों पर अंधी हो गई है. सरकार ने अदालत को सूचित किया था कि अग्नि सुरक्षा प्रमाणन सुनवाई पिछले चार वर्षों से अनसुलझी है। अदालत ने पूछा, "क्या आप अंधे हो गए हैं ?  क्या आप सो गए ? अब हमें स्थानीय व्यवस्था और राज्य पर भरोसा नहीं है. राज्य सरकार ने अदालत को अहमदाबाद में दो अन्य गेमिंग जोन के पास भी संचालन के लिए आवश्यक अनुमति नहीं है और खामियों की जांच करने वाली एक टीम 72 घंटों के भीतर इस पर रिपोर्ट दाखिल करेगी.

'गेमिंग जोन के पास फायर एनओसी क्यों नहीं?'

उच्च न्यायालय उस समय नाराज हो गया जब सरकार ने बताया कि अग्निशमन विभाग की एनओसी के बिना कोई गेमिंग जोन संचालित नहीं हो सकता. कोर्ट ने कहा कि तब राजकोट में इस नियम का पालन नहीं किया गया. 'हालांकि सरकार ने पीठ को आश्वासन दिया कि नियमों का उल्लंघन करने वाले गेमिंग जोन के तीन मालिकों को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि अन्य को हिरासत में लेने की प्रक्रिया चल रही है.

हाईकोर्ट ने खुद लिया था संज्ञान

गुजरात उच्च न्यायालय ने रविवार को आग त्रासदी का खुद संज्ञान लिया था और पहली नजर में मानव निर्मित आपदा करार दिया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि  पेट्रोल, फाइबर और फाइबरग्लास शीट जैसी अत्यधिक ज्वलनशील सामग्री का भंडार जमा किया गया था. राज्य सरकार ने एक विशेष जांच दल का गठन किया है और हर एक मृतक के परिजन को 4 लाख रुपए अनुग्रह राशि देने की भी घोषणा की है. केंद्र सरकार ने प्रत्येक मृत व्यक्ति के निकटतम परिजन को 2 लाख रुपए की अनुग्रह राशि देने की भी घोषणा की है.

2 गिरफ्तार, 6 अधिकारी निलंबित

घटना के संबंध में अब तक दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि गेमिंग जोन के छह पार्टनर और एक अन्य आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.27 मई को  राज्य सरकार ने उचित अनुमति के बिना गेमिंग ज़ोन को संचालित करने की अनुमति देने में घोर लापरवाही के लिए छह सरकारी अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है. 

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