हाथरस भगदड़ में 100 से अधिक मौत का जिम्मेदार कौन, अब फोड़ा जा रहा है ठीकरा

भगदड़ की कड़ी में एक और नाम जुड़ गया. यूपी के हाथरस में जिस सत्संग के जरिए जो लोग अपने इहलोक के साथ परलोक की बेहतरी के लिए गए उसमें 100 से अधिक लोग काल के गाल में समा गए.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-07-03 01:13 GMT

Hathras Stampede Reason:  यूपी के हाथरस में जिस जगह यानी रतिभानपुर में हो रहा सत्संग श्मशान में तब्दील हो गया.प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक कुल 106 लोग काल के गाल में समा गए. हालांकि लोगों का कहना है कि यह संख्या इससे अधिक हो सकती है.प्रवचन करने वाला भोले बाबा अभी फरार है.यूपी सरकार की तरफ से बड़े अधिकारी वहां का जाएजा ले रहे हैं.सीएम योगी आदित्यनाथ खुद इस जगह का दौरा करने के सिए आ रहे हैं. सरकारी व्यवस्था के तहत मुआवजे का मरहम लगा दिया गया है. लेकिन बड़ा सवाल ये कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में हुई मौत का जिम्मेदार कौन.अब जैसे जैसे जानकारी सामने आ रही है वो हैरान कर रही है. लोगों के मुताबिक करीब 1 लाख की भीड़ थी. लेकिन ना तो एंबुलेंस ना ही कोई प्रशासन का बड़ा अधिकारी था.

हादसा कहां हुआ था

सिंकदराराऊ जीटी रोड पर गांल फुलरई मुगलगढ़ी है. यहां पर सत्संग की समाप्ति के बाद भगदड़ मच गई. अभी पुख्ता तौर पर भगदड़ की वजह सामने नहीं आई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जिस जगह से लोगों को निकलना था वहां सेवादार खड़े थे और उन्होंने लोगों को नहीं निकलने दिया उसी दौरान कोई शख्स गिरा और हल्ला हुआ कि कुछ हो गया है. लोग घबराहट में एक दूसरे से आगे निकलने लगे और भगदड़ मच गई. दूसरी थ्योरी के मुताबिक सत्संगी भोले बाबा की चरण की धूल को स्पर्श करना चाहते थे और उस दौरान हादसा हो गया.

क्या सत्संग को परमिशन थी
क्या सत्संग को परमिशन दी गई थी. इस सवाल के जवाब में स्थानीय प्रशासन का कहना है कि अनुमति 3.30 घंटे की थी. आयोजन स्थल के अंदर की जिम्मेदारी आयोजकों की थी. बाहर की जिम्मेदारी प्रशासन की थी. करीब 80 हजार लोगों के इकट्ठा होने की अनुमति थी लेकिन एक लाख से अधिक लोग जुटे.

15 दिन से तैयारी
स्थानीय लोगों के मुताबिक सत्संग की तैयारी कोई एक या दो दिन पहले नहीं हुई थी. पिछले 15 दिन से तैयारी चल रही थी. आयोजन स्थल पर साफ सफाई का काम भी चल रहा था, बाबा के फॉलोवर्स आते थे. लोगों का यह भी कहना है कि जिस समय तैयारी चल रही थी उस समय सुरक्षा के इंतजाम थे, पुलिस वाले भी दिखाई देते थे. लेकिन सत्संग वाले दिन की व्यवस्था लचर थी. सेवादारों की वजह से भी कुछ दिक्कत हुई और नतीजा आप सामने देख रहे हैं.

लापरवाही बरतने का आरोप
लोगों का कहना है कि इतने बड़े कार्यक्रम के दौरान चार सर्किल अफसर, एसडीएम के साथ बड़ी संख्या में पुलिस बल को मौजूद रहना था. लेकिन कुछ पुलिसकर्मियों के हवाले पूरी व्यवस्था को प्रशासन ने सौंप दिया. लोगों का यह भी मानना है कि अगर पुलिस के इंतजाम रहे होते तो शायद हादसा होता ही नहीं. यही नहीं आयोजन वाली जगह पर ना एंबुलेंस और ना ही दमकल की गाड़ियां थीं.इतने बड़े आयोजन के लिए यह पहली शर्त होती है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि इतना बड़ा सत्संग चल रहा था और सिकंदरराऊ पुलिस स्टेशन के एसएचओ वहां मौजूद नहीं थे.

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