कवाल टाइगर रिज़र्व में तौलिये से टूटी तस्करी की कड़ी, ‘हंटर’ बना हीरो
तेलंगाना के कवाल रिज़र्व में प्रशिक्षित कुत्ते ‘हंटर’ ने तौलिये की गंध से सागवान तस्कर को पकड़वाया। वन विभाग के लिए बना जंगल का असली रक्षक।
तेलंगाना के कवाल टाइगर रिज़र्व में पिछले दिनों घटित एक अनोखी घटना ने वन विभाग की चर्चा पूरे देश में फैला दी। पेंदुरा राजेश, जो कभी वन विभाग में चौकीदार था, अब सागवान (टीक) की लकड़ी की तस्करी का सरगना बन चुका था। लेकिन इस महीने की शुरुआत में उसकी चालबाजी तब खत्म हुई जब वन विभाग की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया और इस गिरफ्तारी का श्रेय गया एक तौलिये और एक कुत्ते को।
तौलिया बना सुराग, ‘हंटर’ बना हीरो
जंगल में पेड़ काटने के स्थान पर मिला एक तौलिया ही इस केस की कुंजी साबित हुआ। उस तौलिये से उठाई गई गंध को ‘हंटर’ नामक प्रशिक्षित कुत्ते ने सूंघ लिया और उसी गंध के सहारे टीम सीधे राजेश के घर तक पहुँची। वहां छिपाई गई सागवान की लकड़ियाँ बरामद हुईं और राजेश गिरफ्तार हुआ।
हंटर के हैंडलर अनिल कुमार ने बताया, “यह बेल्जियन मेलिनोइस नस्ल का कुत्ता है, जिसने तौलिये से राजेश की गंध पहचानकर उसे पकड़वाया।”कवाल रेंज की वन अधिकारी सुष्मा रावुलु ने भी ‘द फेडरल’ से बातचीत में इस गिरफ्तारी की पुष्टि की।
कैसे शुरू हुई ‘स्निफर डॉग स्क्वाड’ की कहानी
तेलंगाना वन विभाग ने 2018 में पुलिस की तरह ही एक स्निफर डॉग स्क्वाड की शुरुआत की थी। इसे कवाल और अमराबाद टाइगर रिज़र्व में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया था। इसका उद्देश्य था — सागवान की लकड़ी की तस्करी और शिकार पर रोक लगाना।
वन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 2014 से 2025 तक 96,813 लकड़ी तस्करी के केस और 18,002 वाहनों की जब्ती दर्ज की गई। सिर्फ 2019-20 में ही ₹5.64 करोड़ की सागवान बरामद की गई और ₹10.61 करोड़ का जुर्माना वसूला गया।वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के मुताबिक, पिछले 11 वर्षों में तेलंगाना में 135 शिकार के मामले दर्ज हुए और 2023 में ही 52 जंगली जानवर मारे गए।कुत्तों की इस स्क्वाड की बदौलत अब तक 40 से अधिक तस्कर और शिकारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
ब्रूनो से हंटर तक की यात्रा
कवाल रिज़र्व में इस समय हंटर तैनात है, जबकि अमराबाद रिज़र्व में कभी ब्रूनो नामक जर्मन शेफर्ड ने दो साल तक सेवा दी थी। ब्रूनो की मौत 2020 में किडनी डिसऑर्डर से हुई। वह बीएसएफ के ग्वालियर केंद्र से प्रशिक्षित होकर आया था और उसने 20 से ज्यादा तस्करी और शिकार के मामलों को सुलझाया था।अब ब्रूनो के स्थान पर एक नया कुत्ता फिर से ग्वालियर के बीएसएफ नेशनल ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
हंटर का प्रशिक्षण और दिनचर्या
हंटर को 2024 में मरे ‘चीता’ नामक स्निफर डॉग की जगह अगस्त 2025 में लाया गया। बेल्जियन मेलिनोइस नस्ल के इस कुत्ते की सूंघने की शक्ति इंसान से 200 गुना अधिक और सुनने की क्षमता 20 गुना तेज़ है।हालांकि इसकी दृष्टि कमजोर होती है, इसलिए रात में इसे ज्यादा उपयोग नहीं किया जाता।हंटर को हरियाणा के पंचकूला स्थित ITBP के नेशनल ट्रेनिंग सेंटर फॉर डॉग्स में सात महीने का कठोर प्रशिक्षण मिला। वह राष्ट्रीय पासिंग आउट परेड में तीसरे स्थान पर रहा।
अनिल कुमार बताते हैं — “प्रशिक्षण में खून, हड्डियों, और जानवरों की खाल की गंध पहचानना, छिपी वस्तुएँ ढूंढना और तेज़ फुर्ती से काम करना सिखाया गया।”
जब हंटर ने फिर किया कमाल
13 अक्टूबर को जन्नारम रेंज में रात के गश्ती दल को तस्करों द्वारा काटे गए सागवान के पेड़ मिले। हंटर ने वहां पड़ी एक शर्ट की गंध सूंघी और टीम को सीधे राठौड़ हीरालाल के घर तक पहुंचा दिया। हीरालाल और उसके दो साथियों को वहीं गिरफ्तार कर लिया गया। हंटर की डाइट भी खास है — सुबह उबले अंडे, दूध, चावल और सब्जियाँ; रात में बिना हड्डी का मटन और चावल। दिन में स्नैक्स और ट्रीट्स दिए जाते हैं। उसका रोज़ाना सुबह 5:30 बजे व्यायाम होता है और शाम 6 बजे दूसरी कसरत। उसे विशेष एयर-कंडीशन्ड क्वार्टर और नियमित चिकित्सा जांच की सुविधा दी गई है।
जंगल का रक्षक
वन विभाग के अधिकारी कहते हैं “हंटर अब सिर्फ एक डॉग नहीं, बल्कि जंगल का रक्षक बन गया है।”कवाल के जंगलों में अब उसका नाम सुनकर ही तस्कर और शिकारी सहम जाते हैं।विभाग जल्द ही राज्यभर में डॉग स्क्वाड का विस्तार करने जा रहा है और ‘टाइगर सेल’ नामक एक विशेष निगरानी इकाई बनाई जा रही है, जिसमें कैमरा ट्रैप, इंटेलिजेंस नेटवर्क और सर्विलांस सिस्टम शामिल होंगे।जबकि अमराबाद रिज़र्व के अधिकारी नए कुत्ते की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो ब्रूनो की विरासत को आगे बढ़ाएगा। नाम तय नहीं हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि वह भी जंगलों की सुरक्षा में हंटर की तरह ही एक नई कहानी लिखेगा।