कर्नाटक अवैध खनन मामला: पूर्व मंत्री जी जनार्दन रेड्डी को 7 साल की जेल
विशेष सीबीआई न्यायाधीश टी रघु राम ने इस मामले में पूर्व मंत्री सबीता इंद्रा रेड्डी और पूर्व नौकरशाह बी. कृपानंदम को बरी कर दिया है।;
हैदराबाद स्थित विशेष सीबीआई अदालत ने मंगलवार (5 मई) को कर्नाटक के पूर्व मंत्री और विधायक गाली जनार्धन रेड्डी तथा तीन अन्य को ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (OMC) अवैध खनन मामले में दोषी ठहराया। अदालत ने सभी को 7 साल की सजा सुनाई और प्रत्येक पर ₹10,000 का जुर्माना भी लगाया। कंपनी पर भी ₹1 लाख का जुर्माना लगाया गया। रेड्डी को आरोपी संख्या 2 के रूप में नामित किया गया था।
अदालत ने रेड्डी के बहनोई और OMC के मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीनिवास रेड्डी (A1), खनन और भूविज्ञान विभाग के तत्कालीन सहायक निदेशक वी.डी. राजगोपाल (A3) और रेड्डी के निजी सहायक मेहफूज अली खान (A7) को भी दोषी ठहराया।
सीबीआई के अनुसार, 2007 से 2009 के बीच हुए इस अवैध खनन से सरकारी खजाने को ₹884 करोड़ का नुकसान हुआ। फैसले के तुरंत बाद, सीबीआई ने रेड्डी और अन्य दोषियों को हिरासत में ले लिया।
14 साल बाद सजा
यह फैसला लगभग 14 साल बाद आया, जब सीबीआई ने रेड्डी व अन्य के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। आरोप था कि इन्होंने खनन पट्टे की सीमा markings में छेड़छाड़ कर कर्नाटक-आंध्र प्रदेश सीमा पर बेल्लारी रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में अवैध खनन किया।
विशेष न्यायाधीश टी. रघु राम ने पूर्व मंत्री सबीता इंद्रा रेड्डी और पूर्व अधिकारी बी. कृपानंदम को इस मामले में बरी कर दिया।
पहली चार्जशीट 2011 में
रेड्डी की सजा इस हाई-प्रोफाइल केस में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो एक दशक से अधिक समय तक चला। जांच के दौरान कई प्रभावशाली नेताओं और नौकरशाहों के नाम सामने आए। मामला 2009 में तब सामने आया जब आंध्र प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से गहन जांच की मांग की। इसके बाद, CBI ने जांच अपने हाथ में ली और 2011 में पहली चार्जशीट दाखिल की।
बाद में एक पूरक चार्जशीट भी दायर की गई, जिसमें IAS अधिकारियों, पूर्व मंत्रियों और रेड्डी के करीबी सहयोगियों को आरोपी बनाया गया। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहे इस मुकदमे की सुनवाई मई के अंत तक पूरी होने की उम्मीद थी। पिछले महीने बहस पूरी हो चुकी थी।