UTTAR PRADESH: ज़्यादा ड्रॉप आउट वाले संस्थानों की होगी जांच

उत्तर प्रदेश में छात्रवृत्ति के फ़र्ज़ीवाड़े का खेल सामने आ सकता है। समाज कल्याण विभाग ने ऐसे 60 संस्थानों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं जिनमें छात्रों ने दाखिला तो लिया पर बाद में बड़ी संख्या में ड्रॉप आउट हो गए।;

By :  Shilpi Sen
Update: 2025-06-07 11:21 GMT

यूपी के शिक्षण शिक्षण संस्थानों में छात्रवृत्ति का फर्ज़ीवाड़ा सामने आ सकता है। ऐसे संस्थानों पर सरकार की नज़र है जिनमें छात्रों ने दाखिला तो लिया पर एक साल या सेमेस्टर के बाद ही पढाई छोड़ दी। ये ऐसे छात्र हैं जिनको प्रदेश के समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति मिली थी। ज़्यादा संख्या में ड्रॉप आउट वाले 60 संस्थानों को चिह्नित करके सरकार ने जाँच के आदेश दिए हैं।

उत्तर प्रदेश में छात्रवृत्ति के फ़र्ज़ीवाड़े का खेल सामने आ सकता है। समाज कल्याण विभाग ने ऐसे 60 संस्थानों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं जिनमें छात्रों ने दाखिला तो लिया पर बाद में बड़ी संख्या में ड्रॉप आउट हो गए। यानि छात्रों ने छात्रवृत्ति लेकर अलग अलग पाठ्यक्रमों में पढ़ाई शुरू की पर एक सेमेस्टर या एक साल बाद ही पढ़ाई छोड़ दी। इससे इनके फ़र्ज़ी छात्र होने की आशंका है तो वहीँ छात्रवृत्ति को लेकर भी बड़ा फ़र्ज़ीवाड़ा सामने आ सकता है।शुरुआती जाँच में ऐसे 60 संस्थानों को चिह्नित भी कर लिया गया है।

वैसे तो इस तरह की शिकायतें और भी संस्थानों के बारे में मिली थीं पर पहले चरण में जिन संस्थानों को ही चुना गया है उनमें ड्रॉपआउट की संख्या बहुत ज्यादाा है। ये संस्थान प्रदेश के अलग अलग जिलों में हैं।इन जिलों के जिलाधिकारियों को कहा गया है कि वो जल्दी जाँच पूरी कर अपनी रिपोर्ट समाज कल्याण निदेशालय को भेजें। जिलाधिकारी संस्थानों में उन छात्रों के दस्तावेज चेक करेंगे। साथ ही उन छात्रों से बात भी करेंगे। समाज कल्याण विभाग हर साल क़रीब 50 लाख छात्रों को छात्रवृत्ति देता है। ढाई लाख से कम सालाना आय वाले एससी-एसटी छात्रों को और दो लाख तक की आय वाले अन्य वर्गों के छात्रों को छात्रवृत्ति का भुगतान समाज कल्याण विभाग करता है।

दरअसल छात्रवृत्ति लेने वाले छात्रों के फॉलोअप के दौरान ये बात सामने आयी कि बहुत बड़ी संख्या में छात्रों ने अपना ब्योरा अपलोड नहीं किया है।सभी छात्रों का डेटा ऑनलाइन करने की जिम्मेदारी उनके संस्थानों की है। यानि पहले साल छात्रव्रत्ति लेने के बाद दूसरे और तीसरे साल उन्होंने छात्रवृत्ति की किश्त के लिए आवेदन ही नहीं किया। ऐसे में समाज कल्याण विभाग ने उन संस्थानों की जांच कराने का फैसला किया है जहां ज़्यादा बड़ी संख्या में छात्र ड्रॉपआउट हैं।

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