46 साल बाद खुल सकता है वो कमरा, जानें-जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की कहानी
जगन्नाथ पुरी मंदिर स्थित रत्न भंडार को आखिरी बार साल 1978 में खोला गया था.
Jagannath Puri Ratn Bhandar: 12वीं सदी का पुरी का भगवान जगन्नाथ का यह भव्य मंदिर एक बार फिर सुर्खियों में है.इस बार मंदिर की चर्चा इसके खजाने यानी 'रत्न भंडार' के खुलने को लेकर है. सरकार ने यदि इजाजत दे दी तो रत्न भंडार 46 साल बाद यानी 14 जुलाई को एक बार फिर खुलने की उम्मीद है. इसके बाद लोग यह जान पाएंगे कि भगवान जगन्नाथ के इस रत्न भंडार में सोने, चांदी के बेशकीमती रत्न एवं पत्थर जड़ित कितने आभूषण हैं.. रत्न भंडार खुलने के बाद आभूषणों की सूची बनेगी और उनकी मरम्मत की जाएगी.
1978 में आखिरी बार खोला गया था कमरा
मंदिर के एक कमरे में दो लॉकर में रत्न भंडार होने की बात कही जाती है। इनमें भगवान जगन्नाथ, बालभद्र और देवी सुभद्रा के आभूषण हैं.रत्न भंडार वाले कक्षों को पिछली बार 1978 में खोला गया था. उस समय के कानून मंत्री प्रताप जेना ने बताया था कि रत्न भंडार में... रत्न एवं कीमती पत्थर लगे 12 हजार 831 भारी सोने के आभूषण और 22 हजार 153 चांदी के बर्तन और अन्य सामग्री है.1978 में 13 मई और जुलाई 23 के बीच रत्न भंडार आखिरी बार खोला गया था. खास बात यह भी है कि 1985 में 14 जुलाई को भी कमरा खोला गया था लेकिन इस बार रत्न भंडार के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई.चर्चा रत्न भंडार से कुछ आभूषण चोरी होने की भी होती है... कुल मिलाकर रत्न भंडार के कमरे को अब तक केवल चार बार 1984, 1978, 1926 और 1905 में ही खोला गया है.
एसजेटीए करता है देखरेख
मंदिर की देखरेख एवं प्रबंधन करने वाला श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) बिना अनुमति के रत्न भंडार को नहीं खोल सकता. इसे खोलने के लिए बकायदा उसे ओडिशा सरकार से इजाजत लेनी पड़ती है.साल 2018 में भी रत्न भंडार खोलने की कोशिश हुई. हाई कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने रत्न भंडार का कमरा खोलने की अनुमति दी लेकिन उस समय कमरे की चाबी नहीं मिली और कमरा नहीं खोला जा सका. इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई को बाहर से ही निरीक्षण करना पड़ा. चाबियों के गुम होने पर भी सस्पेंस है. इसकी जांच भी हुई लेकिन कुछ सामने नहीं आया.
जहरीले नागों का खतरा
बात केवल कमरा और रत्न भंडार खोलने की नहीं है...एक दूसरा खतरा भी है जो मंदिर प्रशासन को डराए हुए है.वह खतरा है जहरीले नागों की पौराणिक मान्यता है कि इस खजाने की पहरेदारी नाग करते हैं.कमरा और रत्न भंडार को खोलते समय उनके डसने का खतरा भी है...इसलिए इस खतरे से निपटने के लिए एसजेटीए खास उपाय कर रहा है.इलाके के सबसे तेज तर्रार सांप पकड़ने वाले की तलाश की जा रही है.साथ ही रत्न भंडार खोलने के समय वहां डॉक्टरों की अगुवाई में एक मेडिकल टीम मुस्तैद रहेगी. जो सांप के डसने के समय इलाज करेगी.
कमरे को लेकर कई तरह के सस्पेंस
रत्नभंडार के आभूषणों के रखरखाव और उसकी गिनती को लेकर श्री जगन्नाथ मंदिर के नियम भी हैं.इसके मुताबिक हर छह महीने पर रत्न भंडार की ऑडिट होनी चाहिए.इन आभूषणों के लिए कौन जिम्मेदार होगा, इसकी ऑडिट कैसे होनी चाहिए और चाबी किसके पास होगी, इसके बारे में श्री जगन्नाथ टेंपल रूल्स-1960 में विस्तार से बताया गया है. इस नियम के मुताबिक रत्न भंडार के कमरे की चाबी रखने की जिम्मेदारी मंदिर प्रशासन के पास है.यह भी कहा गया है कि सरकार के कहने पर मंदिर प्रशासन को चाबी उसे सौंपनी होगी
जाहिर है कि रत्न भंडार का ताला खोलने के लिए समिति अपना मन पूरी तरह से बना चुकी है... ताला यदि खुलता है तो आभूषणों की सूची बनेगी और उसकी मरम्मत होगी... आभूषणों की प्रकृति, स्वरूप और उनके वजन की भी जांच होगी... बहरहाल, भगवान जगन्नाथ के इस रत्न भंडार में क्या-क्या है, इसके बारे में जानने के लिए हर कोई उत्सुक है. हर कोई रत्न भंडार के इस रहस्य और सस्पेंस से परदा उठते देखना चाहता है.