प. बंगाल जगन्नाथ विवाद: ममता ने 'चोरी की लकड़ी' के आरोप को खारिज किया

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पुरी के प्रति सम्मान जताते हुए विवाद को राजनीतिक साजिश करार दिया। उन्होंने ओडिशा में बंगालियों के उत्पीड़न की निंदा की;

Update: 2025-05-05 12:43 GMT
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 30 अप्रैल को दीघा में नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना की। | फोटो : X/@MamataOfficial

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दीघा में हाल ही में उद्घाटन किए गए जगन्नाथ मंदिर को लेकर उठे विवादों पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने उन आरोपों को "बेबुनियाद और मनगढंत" बताया है कि मंदिर में स्थापित मूर्तियों को बनाने में पुरी मंदिर की "चोरी की नीम लकड़ी" का इस्तेमाल हुआ है।

पुरी मंदिर का सम्मान करते हैं: ममता

ममता ने कहा, “हम पुरी के मंदिर का सम्मान करते हैं और हम जगन्नाथ धाम का भी सम्मान करते हैं। देशभर में काली मंदिर और गुरुद्वारे मौजूद हैं, तो मंदिर और भी जगह क्यों नहीं हो सकते? इस पर इतना गुस्सा क्यों?”

इससे पहले, बीजेपी प्रवक्ता सम्बित पात्रा ने दीघा मंदिर को "जगन्नाथ धाम" कहे जाने पर आपत्ति जताई थी। उधर, ओडिशा सरकार ने भी ममता को पत्र लिखकर मंदिर को "जगन्नाथ धाम" कहने से रोकने की बात कही है।

'चोरी की लकड़ी' के आरोप खारिज

पुरी मंदिर के सेवादारों के दीघा मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने को लेकर भी विवाद है। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) ने वरिष्ठ सेवादार रामकृष्ण दासमोहतरा से इस संबंध में पूछताछ की है। दासमोहतरा ने 30 अप्रैल को हुए दीघा मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह का नेतृत्व किया था जिसमें ममता बनर्जी भी मौजूद थीं।

ममता ने कहा, “हम क्यों चोरी की लकड़ी इस्तेमाल करेंगे? हमारे पास अपनी नीम की लकड़ी है। ये आरोप पूरी तरह से झूठे और अस्वीकार्य हैं।”

ओडिशा में बंगालियों पर हमले का आरोप

ममता ने यह भी कहा कि ओडिशा में बंगालियों पर हमले की एक “चिंताजनक प्रवृत्ति” दिख रही है। उन्होंने राज्य के डीजीपी को ओडिशा पुलिस प्रमुख से बात करने का निर्देश दिया है।

उन्होंने कहा, “जैसे ओडिशा के लोग बंगाल में शांति से काम करते हैं, वैसे ही बंगाल के लोग भी ओडिशा में काम करते हैं। पर मुझे रिपोर्ट मिली है कि वहां सिर्फ बंगाली बोलने पर भी लोगों को पीटा जा रहा है। यह बहुत निंदनीय है।” 

सांस्कृतिक टकराव?

दीघा का यह मंदिर परियोजना राज्य सरकार द्वारा समर्थित है और इसे बंगाल की खाड़ी तट पर एक धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है। मंदिर की वास्तुकला पुरी के 12वीं सदी के मंदिर से प्रेरित है और इसमें वही देवता प्रतिष्ठित हैं, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा।

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