अफवाह का ना रंग ना रूप लेकिन नतीजा खतरनाक, जलगांव हादसा भूलना मुश्किल
क्या अफवाह की वजह से जलगांव में रेल यात्री दूसरे ट्रेन की चपेट में आ गए। इस संबंध में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने बड़ी जानकारी दी है।;
Jalgaon Train Accident: अफवाह का ना रंग ना रूप लेकिन नतीजा भयावह होता है। 23 जनवरी को महाराष्ट्र के जलगांव में कुछ लोग पुष्पक एक्स्प्रेस ट्रेन (Pushpak Express) से बोगी में चिंगारी की खबर सुनकर चेन पुल्लिंग करते हैं। ट्रेन के रुकते ही यात्री ट्रेन से उतर कर बगल की ट्रैक पर जा खड़े होते हैं। उसी दौरान कर्नाटक एक्सप्रेस (Karnataka Express) पूरी रफ्तार से आती हुई नजर आती है। ट्रैक पर खड़े लोगों को समझने विचारने का मौका नहीं मिलता है और ट्रेन काटते हुए आगे बढ़ जाती है और मंजर बेहद डरावना। ट्रैक पर शव और मानव अंग बिखरे नजर आते हैं।
इस पूरी घटना को महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार (Maharashtra Deputy CM Ajit Pawar) ने अपने शब्दों में कुछ इस तरह व्यक्त किया है। श्रावस्ती के ऊधल कुमार और विजय कुमार ट्रेन में सवार थे... वे जनरल बोगी में यात्रा कर रहे थे और ऊपरी बर्थ पर बैठे थे पेंट्री से एक चायवाले ने बोगी में आग लगने की आवाज़ लगाई, दोनों ने यह सुना और घबरा गए। कुछ यात्री आग से बचने के लिए चलती ट्रेन से कूद गए। लेकिन ट्रेन की गति अच्छी थी इसलिए उनमें से एक ने चेन खींच दी और ट्रेन रुक गई। कई यात्री ट्रेन से उतर गए और रेलवे ट्रैक पार करने लगे। एक और ट्रेन, कर्नाटक एक्सप्रेस बहुत तेज़ गति से आई और रेलवे ट्रैक पार कर रहे यात्रियों को टक्कर मार दी।
अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है. उनमें से 10 की पहचान हो चुकी है जबकि अन्य 3 की पहचान नहीं हो पाई है। कुल घायलों की संख्या 10 है, जिनमें 8 पुरुष और 2 महिलाएं हैं। यह घटना ऊधल कुमार और विजय कुमार द्वारा फैलाई गई अफवाह के कारण हुई। वे घायल हैं और उनका इलाज चल रहा है। रेलवे सेवाएं सुचारू रूप से चल रही हैं। हमने प्रशासन को सभी घायलों को सरकारी खर्च पर इलाज मुहैया कराने का निर्देश दिया है। हमारे मंत्री और कलेक्टर घटना की जांच कर रहे हैं।
जलगांव हादसे में मरने वालों के परिजनों को महाराष्ट्र सरकार, रेलवे की तरफ से मुआवजे का ऐलान कर दिया गया है। लेकिन सवाल यह है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार किसे माना जाए। क्या रेलवे जिम्मेदार है, क्या जिन लोगों की जान गई वो जिम्मेदार थे। या वे लोग जिन्होंने आग या चिंगारी की सत्यता जाने बिना बोगी में शोर करने लगे कि ट्रेन में आग लग गई है। जाहिर सी बात है कि मौजूदा मामले में रेलवे को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। क्योंकि गति सीमा के बारे में किसी तरह का बंधन नहीं था। दोनों ट्रेनों को अपने अपने ट्रैक पर निर्धारित गति के साथ आगे बढ़ने की अनुमति थी। लेकिन अफवाह की वजह से ना सिर्फ 13 लोगों की मौत हुई, बल्कि उतने परिवारों का सहारा छिन गया।
बात ऐसी नहीं कि अफवाह की वजह से जान सिर्फ जलगांव में गई। हाल ही में तिरुपति मंदिर में बैकुंछ दर्शन के लिए पास लेने के लिए अलग अलग जगहों पर बने कुछ काउंटर पर हुई। पुष्पा 2 के प्रीमियर के दौरान हैदराबाद में हादसा हुआ। पिछले साल यूपी में एक संत के सभा से निकलने के बाद हादसा हुआ और उनके पीछे प्राथमिक तौर पर अफवाह को जिम्मेदार बताया गया था।