जम्मू-कश्मीर: कठुआ में आतंकियों की तलाश में अभियान शुरू, सेना ने बड़े इलाके को घेरा; देखें VIDEO

जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में सेना के गश्ती दल पर हुए घातक हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों का पता लगाने के लिए व्यापक संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया गया है.

Update: 2024-07-09 06:20 GMT

Kathua Terrorists Search Operation: जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में सेना के गश्ती दल पर हुए घातक हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों का पता लगाने के लिए मंगलवार (9 जुलाई) को एक व्यापक संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया गया है. बता दें कि इस हमले में पांच जवान शहीद हो गए थे. अधिकारियों का कहना है कि जमीनी खोज दल को हेलीकॉप्टर और यूएवी निगरानी से सहायता मिल रही है. खोजी कुत्तों और मेटल डिटेक्टरों को भी अभियान में लगाया जा रहा है.

अधिकारियों ने कहा कि सेना, पुलिस और सीआरपीएफ ने माछेडी, बदनोटे, किंडली और लोहाई मल्हार इलाकों में संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया है और एक बड़े इलाके को घेर लिया गया है.

एक महीने में पांचवीं घटना

जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के सुदूर माचेडी इलाके में 8 जुलाई को भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने गश्त कर रहे एक दल पर घात लगाकर हमला कर दिया, जिसमें एक जूनियर कमीशंड अधिकारी सहित पांच सैन्यकर्मी शहीद हो गए और कई अन्य घायल हो गए. जम्मू क्षेत्र में एक महीने में हुए पांचवें आतंकवादी हमले की व्यापक निंदा हो रही है. तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित राजनीतिक नेताओं ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की है.

सूत्रों के अनुसार, तीन से चार आतंकवादियों ने इस हमले को अंजाम दिया है, जिनमें से ज़्यादातर विदेशी हैं. वे उसी समूह का हिस्सा हैं, जो बसनगढ़ हमले में शामिल था, जिसमें पनारा गांव में 28 अप्रैल को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में गांव के रक्षक मोहम्मद शरीफ़ की मौत हो गई थी.

सेना के ट्रक पर हमला

अधिकारियों ने कहा कि आतंकवादियों ने दोपहर करीब साढ़े तीन बजे कठुआ शहर से करीब 150 किलोमीटर दूर लोहाई मल्हार के बदनोटा गांव के पास माचेडी-किंडली-मल्हार मार्ग पर नियमित गश्त कर रहे सेना के एक ट्रक को ग्रेनेड और गोलीबारी से निशाना बनाया. घात लगाकर किए गए हमले के बाद आतंकवादी पास के जंगल में भाग गए. जबकि, सेना ने पुलिस और अर्धसैनिक बलों की सहायता से जवाबी कार्रवाई की. सेना के जिस वाहन पर हमला हुआ, उसमें 10 लोग सवार थे. इस हमले में एक जेसीओ समेत पांच सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए. पांच अन्य को इलाज के लिए पठानकोट सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

हमले के बाद आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई. जिसके बाद हमलावरों को बेअसर करने के लिए क्षेत्र में अतिरिक्त बल भेजा गया. माना जा रहा है कि हमलावरों की संख्या तीन थी और वे भारी हथियारों से लैस थे. ये हमलावर संभवत: हाल ही में सीमा पार से घुसपैठ कर आए थे. पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के संगठन कश्मीर टाइगर्स ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. यह कठुआ जिले में एक महीने के भीतर दूसरी बड़ी आतंकवादी घटना है. इससे पहले 12 और 13 जून को भी इसी तरह की मुठभेड़ हुई थी, जिसमें दो आतंकवादी को मार गिराया गया था और एक सीआरपीएफ जवान शहीद हो गया था. अधिकारियों ने बताया कि भारी बारिश के बावजूद व्यापक तलाशी अभियान जारी है.

पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन व्यक्तिगत रूप से उधमपुर जिले के बसंतगढ़ से जुड़े घने वन क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियान की निगरानी कर रहे हैं, जहां पहले भी कई मुठभेड़ें हो चुकी हैं. यह वन क्षेत्र उधमपुर जिले के बसंतगढ़ से जुड़ा हुआ है. अधिकारियों ने कहा कि ऐसी आशंका है कि आतंकवादी सीमा पार से घुसपैठ करने के बाद इस मार्ग का इस्तेमाल अंदरूनी इलाकों तक पहुंचने के लिए करते हैं.

जम्मू अब आतंक का गढ़

जम्मू क्षेत्र को शांतिपूर्ण माहौल के लिए जाना जाता है. हाल के महीनों में आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमलों से हिल गया है. विशेष रूप से पुंछ, राजौरी, डोडा और रियासी के सीमावर्ती जिलों में आतंकवादी घटनाएं देखने को मिली हैं. आतंकवादी गतिविधियों में हाल ही में हुई वृद्धि के लिए पाकिस्तानी आकाओं द्वारा आतंकवाद को फिर से भड़काने के प्रयासों को जिम्मेदार ठहराया गया है.

हमलों का इतिहास

राजौरी और पुंछ की सीमा पर ढेरा की गली और बुफलियाज के बीच का क्षेत्र घना वन है और यह चमरेर जंगल और फिर भाटा धुरियान जंगल की ओर जाता है, जहां पिछले वर्ष 20 अप्रैल को सेना के वाहन पर घात लगाकर किए गए हमले में पांच सैनिक मारे गए थे. पिछले साल मई में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान चमरेर जंगल में पांच और सैन्यकर्मी मारे गए थे और एक मेजर रैंक का अधिकारी घायल हो गया था. इस अभियान में एक विदेशी आतंकवादी भी मारा गया था.

साल 2022 में राजौरी जिले के दरहाल इलाके के परगल में सेना के शिविर पर आतंकवादियों द्वारा किए गए आत्मघाती हमले में पांच सैन्यकर्मी मारे गए थे. हमले में शामिल दोनों आतंकवादियों को मार गिराया गया. साल 2021 में जंगली इलाके में आतंकवादियों द्वारा किए गए दो अलग-अलग हमलों में नौ सैनिक मारे गए. 11 अक्टूबर को चमरेर में एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) सहित पांच सैन्यकर्मी मारे गए. जबकि 14 अक्टूबर को पास के जंगल में एक जेसीओ और तीन सैनिक मारे गए.

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