बांग्लादेशी घुसपैठियों ने बदली दिल्ली की डेमोग्राफी, राजनीतिक परिणामों पर भी असर; JNU रिपोर्ट में खुलासा

JNU report: संबित पात्रा ने कहा कि सबसे भयावह बात यह है कि राजनीतिक दल इसे बढ़ावा दे रहे हैं. ये जो रोहिंग्या आ रहे हैं, इनका कोई दस्तावेज नहीं है.;

Update: 2025-02-03 12:19 GMT

JNU report on illegal immigrants: भारत में अक्सर अवैध रूप से रह रहे विदेशी लोगों को लेकर चिंता जताई जाती है. खासतौर पर अवैध बांग्लादेशी बड़ी तादाद में भारत में रह रहे हैं. इसको लेकर पुलिस, प्रशासन तरफ से समय-समय पर अभियान भी चलाए जाते हैं. इसी बीच दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) ने इसी मामले पर एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इसमें बताया गया है कि दिल्ली में भी बड़ी तादाद में अवैध आप्रवासी रह रहे हैं. इसकी वजह से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिणामों पर असर पड़ा है. रिपोर्ट को लेकर बीजेपी ने AAP सरकार पर तीखा हमला किया है. बीजेपी ने आम आदमी पार्टी (आप) पर आरोप लगाया है कि वह अवैध माइग्रेशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.

बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिओं पर जेएनयू की एक 114 पन्नों की रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट दिखाते हुए उन्होंने दिल्ली सरकार पर निशाना साधा. रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश और म्यांमार से अवैध इमिग्रेशन को राजनीतिक संरक्षण हासिल है.

संबित पात्रा ने रिपोर्ट पढ़ते हुए कहा कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिओं की वजह से दिल्ली में मुस्लिम आबादी बढ़ी है. जिसकी वजह से दिल्ली की डेमोग्राफी में एक बदलाव आ गया है. आज से 10-15 साल पहले जो दिल्ली थी, वैसी अब नहीं है. चोरी-चोरी, चुपके-चुपके दिल्ली की डेमोग्राफी बदल रही है, जो खतरे का सूचक है.

फर्जी दस्तावेज

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि राजनीतिक दल और उनके सहयोगी इन प्रवासियों को फर्जी पहचान पत्र और वोटर रजिस्ट्रेशन हासिल करने में मदद करते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ये प्रवासी एजेंटों, दलालों और धार्मिक प्रचारकों के नेटवर्क पर निर्भर रहते हैं. जो उन्हें आवास और रोजगार में सहायता प्रदान करते हैं. प्रवासी इस नेटवर्क को फर्जी दस्तावेजों के लिए भुगतान करते हैं. जिससे वे रोजगार और अन्य सेवाओं तक पहुंच प्राप्त कर लेते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवासी अधिकतर निर्माण कार्यों और घरेलू श्रमिकों के रूप में काम करते हैं और अनधिकृत बस्तियों में रहते हैं. अवैध प्रवासन के कारण शहर में भीड़भाड़ और अनियोजित शहरी विस्तार होता है. जिससे बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ बढ़ता है.

प्रभावित इलाके

रिपोर्ट के अनुसार, प्रवासी दिल्ली में मुख्य रूप से सुल्तानपुरी, मुस्तफाबाद, जामिया नगर, सीलमपुर, जाफराबाद, द्वारका, गोविंदपुरी, जाकिर नगर और अन्य क्षेत्रों में बस हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रवासन ने दिल्ली के जनसांख्यिकीय परिदृश्य को बदल दिया है और इसका संबंध साल 2017 के रोहिंग्या संकट से भी जोड़ा गया है.

खतरा

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कुछ आलोचकों के अनुसार, दिल्ली सरकार द्वारा प्रवासियों को आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के कारण शहर में और अधिक प्रवासन हो सकता है. इससे दिल्ली के बुनियादी ढांचे पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और सरकार के लिए नई चुनौतियां खड़ी होंगी. रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि अवैध प्रवासन ने मानव तस्करी, दस्तावेजों की जालसाजी और तस्करी में शामिल आपराधिक नेटवर्क को मजबूत किया है.

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