कनीमोझी का बड़ा बयान: मंदिरों से कॉलेज खोलना परंपरा, हिंदी थोपने का किया विरोध
द फेडरल के साथ इंटरव्यू में, DMK सांसद ने कॉलेज फंडिंग पर बात की, गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी थोपे जाने की आलोचना की और शिक्षा को राज्य का विषय बनाने की मांग की।;
तमिलनाडु में AIADMK द्वारा सत्तारूढ़ DMK पर मंदिर फंड का कथित रूप से दुरुपयोग कर शैक्षणिक संस्थान बनाने के आरोप लगाए जाने के बाद, DMK सांसद और पार्टी की उप महासचिव कनीमोझी करुणानिधि ने अपनी पार्टी का बचाव किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि धार्मिक संस्थाओं द्वारा कॉलेज खोलने की परंपरा राज्य में दशकों से चली आ रही है और यह कोई नई बात नहीं है जो मौजूदा स्टालिन सरकार ने शुरू की हो। द फेडरल को दिए इंटरव्यू में कनीमोझी ने कई राजनीतिक मुद्दों पर बात की— जिसमें गैर-हिंदी राज्यों में ‘हिंदी थोपने’ से लेकर शिक्षा नीति और राज्यों के अधिकारों पर DMK की स्थिति शामिल रही।
AIADMK का आरोप और DMK की प्रतिक्रिया
AIADMK महासचिव ई. के. पलानीस्वामी ने DMK सरकार पर आरोप लगाया कि उसने हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती (HR&CE) विभाग के फंड का दुरुपयोग कर कॉलेज बनवाया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कनीमोझी ने कहा कि सबसे पहले, उन्हें यह समझना होगा कि यह कोई नई पहल नहीं है। HR&CE विभाग दशकों से कॉलेज चला रहा है। धार्मिक संस्थाओं द्वारा शिक्षा संस्थान खोलना स्वतंत्रता के बाद की नहीं, बल्कि उससे भी पहले की परंपरा है। उन्होंने कहा कि ईसाई मिशनरियों ने स्कूल-कॉलेज खोले, इस्लामी संस्थाओं ने भी अपने शैक्षणिक संस्थान चलाए और मंदिरों ने भी गुरुकुल (‘पाठशालाएं’), अन्नदान, तालाब निर्माण और किसानों को सहायता दी— यह सब मंदिरों में मौजूद शिलालेखों में दर्ज है।
कनीमोझी ने बताया कि 1960 के दशक से HR&CE विभाग द्वारा स्कूल-कॉलेज चलाए जा रहे हैं और यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता और एम.जी. रामचंद्रन के कार्यकाल में भी इन्हें समर्थन और फंड मिलता रहा है। उन्होंने कहा कि यह कोई नया कदम नहीं है। लोग मंदिरों को समाज की भलाई के लिए दान देते हैं। ऐसे में धार्मिक संस्थानों को आम लोगों से अलग नहीं किया जा सकता। उन्होंने AIADMK नेता पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो व्यक्ति खुद को द्रविड़ आंदोलन से जुड़ा बताता है, वह आज RSS से भी कठोर बातें कर रहा है।
TVK और भाजपा पर कनीमोझी की राय
TVK नेता विजय वसंत द्वारा BJP के साथ गठबंधन से इनकार पर कनीमोझी ने कहा कि यह उनकी पार्टी का निर्णय है और उनके लिए अच्छा है। AIADMK की तरह उन्होंने स्पष्ट रूप से BJP के साथ न जाने का फैसला लिया है। इसमें और कुछ कहने को नहीं है। फिलहाल DMK ही है जो BJP की विचारधारा का सबसे आगे से विरोध कर रही है।
अंतरराष्ट्रीय दौरा और भाषायी विविधता पर बयान
स्पेन में एक प्रेस मीट के दौरान कनीमोझी ने कहा कि भारत की असली भाषा ‘विविधता में एकता’ है। इस अनुभव पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि दौरा काफी ज्ञानवर्धक रहा। हमें यह समझने का अवसर मिला कि अन्य देश भारत को किस नजरिए से देखते हैं। हमने देश की स्थिति को स्पष्ट रूप से समझाने का प्रयास किया। उन्होंने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत की स्थिति बताई। उन्होंने कहा कि हम वर्षों से विविधता, राज्यों की विशिष्टता, भाषाओं और परंपराओं को बचाने की लड़ाई लड़ते आ रहे हैं। DMK हमेशा मानती रही है कि भारत की ताकत उसकी विविधता में है।
ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल
ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार की प्रतिक्रिया को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि हम संसद में इस पर चर्चा करेंगे। हमारे पास कई सवाल हैं और हम सरकार से स्पष्टीकरण मांगेंगे।
हिंदी थोपने के मुद्दे पर तमिलनाडु की भूमिका
महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में स्कूलों में हिंदी थोपने के मुद्दे पर चल रही बहस पर कनीमोझी ने कहा कि तमिलनाडु ने बहुत पहले समझ लिया था कि हिंदी थोपना राज्य की पहचान के लिए खतरनाक है। आज महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे राज्य भी इस नुकसान को समझ रहे हैं और अपनी भाषाओं के लिए खड़े हो रहे हैं। हम उनके साथ हैं।
शिक्षा निधि पर केंद्र सरकार से अपील
केंद्र सरकार द्वारा हजारों करोड़ की शिक्षा निधि रोके जाने के आरोप पर कनीमोझी ने कहा कि हमारी मांग बिल्कुल साफ है—शिक्षा को फिर से राज्य सूची में वापस दीजिए। राज्य अपने छात्रों की ज़रूरतों को बेहतर तरीके से समझते हैं। शिक्षा का प्रबंधन राज्यों को सौंप देना चाहिए।
शिक्षा नीति और NEP पर DMK का रुख
उन्होंने स्पष्ट किया कि DMK पहले भी संसद में शिक्षा नीति और NEP (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) को लेकर आवाज उठाती रही है और आगे भी उठाएगी. हमने हमेशा कहा है—शिक्षा को राज्य सूची में वापस लाओ।