मंगलुरु नामकरण पर सियासत गरम, कांग्रेस की पहल पर BJP का वार

अगर सरकार ईमानदारी से काम करे और SAF को पूरी राजनीतिक और प्रशासनिक समर्थन मिले तो दक्षिण कन्नड़ की "संवेदनशील" छवि मिट सकती है और ब्रांड मंगलुरु को देश-दुनिया में नई पहचान मिल सकती है।;

Update: 2025-07-16 10:00 GMT

कर्नाटक का दक्षिण कन्नड़ जिला अब 'मंगलुरु जिला' कहलाया जा सकता है। जिले का मुख्यालय और प्रसिद्ध तटीय शहर मंगलुरु व्यापार, पर्यटन और निवेश की दृष्टि से अधिक पहचान रखता है। इसी को ध्यान में रखते हुए जिले का नाम बदलने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। हालांकि, जहां एक ओर राज्य सरकार इसे आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से फायदेमंद बता रही है, वहीं विपक्षी बीजेपी इस कदम को संप्रदाय विशेष को खुश करने की कोशिश करार दे रही है।

नाम बदलने की मांग

जुलाई के दूसरे सप्ताह में ज़िला विकास समन्वय और निगरानी समिति (DISHA) की बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया। DISHA, केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है। यह निर्णय राज्य सरकार द्वारा हाल ही में रामनगर ज़िले का नाम बदलकर 'बेंगलुरु साउथ' करने के बाद आया है। 2022-23 में दक्षिण कन्नड़ का आर्थिक उत्पादन ₹1.25 लाख करोड़ रहा, जो बेंगलुरु साउथ (₹8.59 लाख करोड़) के बाद राज्य में दूसरा सबसे बड़ा है।

आर्थिक और सामाजिक ताकत

दक्षिण कन्नड़ न सिर्फ एक शैक्षिक केंद्र है, बल्कि यहां की स्वास्थ्य सेवाएं, होटल, समुद्र तट और खेल-कूद व जल क्रीड़ा सुविधाएं भी आकर्षण का केंद्र हैं। निजी संचालित सिटी बस सेवा इसे अन्य शहरों से अलग बनाती है। हालांकि श्रमिकों की कमी के कारण प्रवासी मजदूर यहां आते हैं, लेकिन ज़िले का सपना है कि वह हाई-इनकम अर्नर्स यानी उच्च आय वर्ग के लोगों का गंतव्य बने। कुछ रियल एस्टेट कंपनियां इस क्षेत्र को "India's Silicon Beach" के रूप में प्रचारित कर रही हैं।

सांप्रदायिक हिंसा

पिछले 15 वर्षों में 18 राजनीतिक हत्याओं के बाद राज्य सरकार ने Special Action Force (SAF) की स्थापना की है। इसका मकसद ज़िले में सांप्रदायिक तनाव रोकना और जनता व व्यापारियों का भरोसा बहाल करना है। इस बल की निगरानी मंगलुरु के पुलिस कमिश्नर सुधीर कुमार रेड्डी कर रहे हैं। SAF को नफरत फैलाने वाले बयानों की निगरानी, हिंसा की रोकथाम और सोशल मीडिया मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। SAF में 78 जवानों की तीन यूनिट्स बनाई गई हैं – एक-एक दक्षिण कन्नड़, उडुपी और शिवमोग्गा के लिए। फिलहाल जवान तीन महीने की ट्रेनिंग ले रहे हैं।

राजनीतिक विवाद

SAF के गठन को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह मुस्लिम समुदाय को खुश करने का प्रयास है। पार्टी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के अल्पसंख्यक सेल के कुछ नेताओं ने सुरक्षा की गारंटी न मिलने पर इस्तीफे की धमकी दी थी। यह विवाद तब गहराया जब एक मस्जिद सचिव और ट्रक ड्राइवर की हत्या कर दी गई। आरोप है कि यह हत्या बजरंग दल के सदस्यों ने एक पुराने अपराध का बदला लेने के लिए की थी।

'ब्रांड उडुपी' पर हमला?

उडुपी से बीजेपी विधायक यशपाल सुवर्णा ने SAF को 'ब्रांड उडुपी' की छवि को धूमिल करने वाला बताया। सुवर्णा पहले भी 2005 में गौ तस्करी मामले में और 2021 के हिजाब विरोध आंदोलन में चर्चा में रहे थे। राज्य के गृहमंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि दक्षिण कन्नड़ को सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील ज़िला नहीं कहा जाना चाहिए, जबकि वह स्वयं शांति बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

पुलिस पर पक्षपात के आरोप

बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के कार्यकाल में जहां सांप्रदायिक घटनाओं में तेज़ी आई थी, वहीं कांग्रेस सरकार के आने के बाद कुछ शांति रही। लेकिन हाल ही में फिर से प्रतिशोधी हत्याएं शुरू हो गई हैं। उडुपी के काउप थाने के पुलिसकर्मियों द्वारा भगवा शर्ट और लुंगी पहनकर सोशल मीडिया पोस्ट डालना भी विवादों में रहा। उस वक्त विपक्ष में रहे सिद्धारमैया ने ट्वीट किया था, “अब पुलिस को त्रिशूल भी दे दो।

क्या SAF काम करेगा?

पुलिस कमिश्नर रेड्डी ने साफ कहा कि “पुलिस एक तटस्थ बल है और अदालत इसकी निगरानी करती है। उन्होंने माना कि दोनों समुदायों में अपराधी तत्व मौजूद हैं और कुछ स्थानीय लोग – जैसे कंडक्टर, दुकानदार, ऑटो ड्राइवर – सांप्रदायिक संगठनों के लिए जासूस का काम करते हैं।

उन्होंने सवाल उठाया कि किसी अपराधी की मौत के बाद शव को जुलूस में क्यों ले जाया जाता है? मई में मारे गए सुहास शेट्टी की शवयात्रा 18 किमी दूर ले जाई गई, जिसे हिंदू कार्यकर्ता बताया गया। बीजेपी नेताओं ने शोक सभा में भाग लिया और परिवार को ₹25 लाख का मुआवज़ा भी दिया।

कानून का डर जरूरी

रेड्डी ने कहा कि जो सांप्रदायिक शांति भंग करेगा, उसके दरवाज़े पर कानून खुद आएगा। अभी तक 13 लोगों को सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है और 25 को ज़िले से बाहर किया गया है – यह पिछले साल की तुलना में अधिक है। इन सभी कार्रवाइयों के बावजूद, SAF ने अभी आधिकारिक रूप से ऑपरेशन शुरू नहीं किया है।

क्या ब्रांड मंगलुरु चमकेगा?

अगर सरकार ईमानदारी से काम करे और SAF को पूरी राजनीतिक और प्रशासनिक समर्थन मिले तो दक्षिण कन्नड़ की "संवेदनशील" छवि मिट सकती है और ब्रांड मंगलुरु को देश-दुनिया में नई पहचान मिल सकती है — ऐसा विश्वास अब कई लोगों को होने लगा है।

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