ट्रंप के टैरिफ हमले से यूपी में कई सेक्टर्स को नुकसान, रुक सकते हैं ऑर्डर,बुनकरों-कारीगरों पर असर

ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने का असर यूपी में चमड़ा उद्योग, बनारसी सिल्क, रेशम के कारोबार, भदोही कालीन और मुरादाबाद के पीतल उद्योग जैसे सेक्टर्स में भी दिखाई पड़ने वाला है। जहां निर्यात के ऑर्डर रुक सकते हैं। वहीं, इससे बुनकर-कारीगर भी प्रभावित होंगे।;

By :  Shilpi Sen
Update: 2025-08-07 14:32 GMT

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ को लेकर निर्यातक और अमेरिका से कारोबार करने वाले व्यापारी तैयारी कर ही रहे थे कि बौखलाए ट्रंप ने रूस से तेल व्यापार के लिए 25 प्रतिशत और टैरिफ की घोषणा कर दी। 27 अगस्त से लागू होने वाले 50 प्रतिशत का टैरिफ भारतीय निर्यातकों और उन सेक्टर्स पर कहर बनकर टूटने वाला है, जो अमेरिका को सबसे ज़्यादा निर्यात करते हैं।

भारत और अमेरिका के आयात-निर्यात को इसी से समझा जा सकता है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत ने अमेरिका को 25.52 बिलियन डॉलर का निर्यात किया है। तेज़ी से बढ़ रहे भारतीय बाज़ार में भी अमेरिका का सामान खपता है। इसी तिमाही में भारत ने अमेरिका से 12.86 अरब डॉलर का आयात किया है। उत्तर प्रदेश के कई सेक्टर्स ऐसे हैं, जो अमेरिका को उद्योग का बड़ा निर्यात करते हैं। इनमें टेक्सटाइल्स, बनारसी सिल्क, भदोही कालीन, चमड़े का उद्योग और हैंडिक्राफ्ट शामिल हैं, जिनमें ख़ास तौर पर मुरादाबाद के ब्रास वेयर की माँग है। ट्रम्प के टैरिफ़ हमले से इन सेक्टर्स पर मायूसी छा गई है। वाराणसी से बनारसी सिल्क, मीनाकारी, टेक्सटाइल्स, फर्निशिंग, भदोही से कालीन, मुरादाबाद से हैंडीक्राफ्ट्स, कानपुर से चमड़ा उद्योग के प्रोडक्ट्स, आगरा से इंजीनियरिंग और कृषि प्रोडक्ट्स, मेरठ से स्पोर्ट्स, इंजीनियरिंग और ऑटो पार्ट्स का बड़े पैमाने कर निर्यात अमेरिका को होता है।

ऑर्डर हो सकते हैं होल्ड

विश्व प्रसिद्ध बनारसी सिल्क का पीढ़ियों से व्यवसाय करने वाले परिवार के रजत मोहन पाठक कहते हैं ‘फैशन के व्यवसाय की एक ख़ास बात है कि जो अभी ट्रेंड में है वो अगले सीज़न में ट्रेंड में नहीं रहेगा। फैशन और टेक्सटाइल्स की एक लाइफ साइकिल है जिससे भारतीय निर्यातकों को नुक़सान होना तय है। लेकिन यह सिर्फ भारतीय व्यवसायियों का नुक़सान नहीं है। अमेरिकन व्यापारियों का भी नुक़सान होगा। क्योंकि अमेरिका का व्यापारी ऑर्डर होल्ड कर देगा। उसके बाद भरपाई के लिए भारतीय निर्यातकों से नेगोशिएट करेगा। भारत से अमेरिका को टेक्सटाइल्स और फैशन प्रोडक्ट्स के निर्यात का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि 2023-24 में भारत में अमेरिका को 10.5 डॉलर के वस्त्र निर्यात किए इसमें रेशमी वस्त्र, साड़ियां और कपड़े, 14 प्रतिशत मैन मेड टेक्सटाइल और 5 प्रतिशत हस्तशिल्प हैं। इस तरह से भारत से होने वाले वस्त्र निर्यात का 28 प्रतिशत अमेरिका को निर्यात होता है।

क्रिसमस सीज़न ऑर्डर पर काम

व्यवसायी और एक्सपोर्टर रजत मोहन पाठक कहते हैं ‘ अमेरिका का सबसे बड़ा रिटेल सेल का सीजन क्रिसमस होता है। यानि उससे चार महीने पहले से भारत से इंपोर्ट के ऑर्डर, डिज़ाइन फाइनल और डील तय हो चुकी है। ऐसे में ऑर्डर रुकेगा तो अमरीकन इंपोर्टर और भारतीय एक्सपोर्टर दोनों का नुकसान होगा।’

व्यापारी नेता हरजिंदर सिंह कहते हैं कि अमेरिकन कंपनियों और वहां के बायर्स को देखते हुए अभी भी यह बात लगती है कि यह ट्रम्प की एक दबाव की रणनीति है। हो सकता है कि जो ट्रम्प कह रहे हैं उसको लागू ही न कर पाएं। क्योंकि 25 प्रतिशत टैरिफ के लिए तो व्यापारी तैयार थे पर अब 50 प्रतिशत तो बहुत ज़्यादा है। इसका सबसे ज़्यादा असर वहां के व्यापारियों और वहां के खरीदारों पर पड़ेगा।

चमड़ा प्रोडक्ट निर्यात 

इसी तरह बड़ा नुक़सान कानपुर के चमड़ा उद्योग को हो सकता है। कानपुर से सालाना 2000 हज़ार करोड़ रुपए के चमड़े के प्रोडक्ट्स का निर्यात विदेशों में किया जाता है। इसमें से 25 प्रतिशत अमेरिका को निर्यात होता है। कानपुर के लेदर गुड्स के एक्सपोर्टर मान रहे हैं कि क्रिसमस सीजन की वजह से पहले से जो ऑर्डर दिए गए थे उन पर कम चल रहा है। ऐसे में अगर ऑर्डर रुका तो ज़बरदस्त नुक़सान होगा।

बुनकरों-कारीगरों पर असर

यह तय है कि ट्रम्प के इस टैरिफ़ हमले से टेक्सटाइल और हाथ से बुनी कालीनों को क़ीमत बढ़ जाएगी। एक अनुमान के मुताबिक 60-70 प्रतिशत तक क़ीमत बढ़ सकती है। जिससे बुनकरों और कारीगरों का नुक़सान होना तय है। रजत मोहन पाठक कहते हैं ‘भारत में सामान का ऑर्डर दे चुके अमेरिका के व्यापारी और कंपनी दबाव बना सकते हैं कि टैरिफ का आधा हिस्सा भारतीय निर्यातक दें नहीं तो ऑर्डर रोक देंगे। किसी भी तरह का नुक़सान अगर व्यापारी को होता है तो पूरी सप्लाई की चेन पर असर पड़ेगा। यानि उससे बिज़नेस साइकिल डिस्टर्ब हो जाएगी और उससे जुड़े और लोगों का भी काम और रोज़गार प्रभावित होगा।’

मुरादाबाद के पीतल उद्योग को भी ट्रम्प के इस फैसले से झटका लगने की आशंका है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुरादाबाद के हैंडीक्राफ्ट्स को 1500 से 2000 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। वजह यह है कि ऐसे प्रोडक्ट्स लोग शौक के लिए खरीदते हैं और टैरिफ ज़्यादा होने से ऑर्डर रुक जाएंगे। मुरादाबाद के पीतल उद्योग के सामान का सबसे बड़ा ख़रीदार अमेरिका ही है। व्यापारी नेता हरजिंदर सिंह कहते हैं कि ‘हमें आत्मविश्वास में कमी नहीं दिखानी चाहिए क्योंकि वहाँ क़ीमत बढ़ने से ट्रम्प पर दबाव होगा और इतना आसान नहीं होगा कि भारत से हो रहे व्यापार को इतनी जल्दी अमेरिकी व्यापारी कहीं शिफ्ट करें।’

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