कर्नाटक सरकार का बड़ा फैसला: अब बैलेट पेपर से स्थानीय चुनाव, अलग वोटर लिस्ट होगी तैयार
कर्नाटक सरकार का यह कदम न सिर्फ चुनावी व्यवस्था में बड़े बदलाव का संकेत है, बल्कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अभियान 'वोट चोरी' को भी मजबूत करता है। यह फैसला आने वाले समय में अन्य राज्यों और केंद्र सरकार के साथ संभावित टकराव का आधार बन सकता है।;
राहुल गांधी के 'वोट चोरी अभियान' को और धार देते हुए कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की जगह अब बैलेट पेपर प्रणाली को लागू किया जाएगा। इसके साथ ही राज्य सरकार ने अलग मतदाता सूची बनाने का भी निर्णय लिया है — जो कि भारत निर्वाचन आयोग की सूची से अलग होगी। यह कदम सीधे तौर पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग (ECI) को चुनौती देने के रूप में देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुवाई में राज्य सरकार का कहना है कि वह "वोट चोरी" को बर्दाश्त नहीं करेगी और चुनावी पारदर्शिता को प्राथमिकता देगी।
महादेवपुरा से शुरू हुआ था 'वोट चोरी' का मुद्दा
राहुल गांधी ने कर्नाटक से ही अपने 'वोट चोरी अभियान' की शुरुआत की थी। बेंगलुरु की एक रैली में उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी ने केंद्र की सत्ता “चुराए हुए वोटों” के दम पर हासिल की है। उन्होंने दावा किया था कि बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र की महादेवपुरा सीट पर वोट चोरी के दस्तावेज़ी सबूत हैं। इससे पहले भी कांग्रेस कई बार EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठा चुकी है।
कैबिनेट की बैठक में ऐतिहासिक निर्णय
गुरुवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आगामी ग्राम पंचायत, तालुक पंचायत, जिला पंचायत और नगरपालिकाओं के चुनाव अब बैलेट पेपर से कराए जाएंगे। इसके लिए आवश्यक कानूनी संशोधन भी किए जाएंगे।
अलग वोटर लिस्ट
सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि स्थानीय चुनावों के लिए राज्य चुनाव आयोग (SEC) अपनी खुद की मतदाता सूची तैयार करेगा। अब तक इन चुनावों के लिए केंद्र द्वारा तैयार की गई मतदाता सूची का उपयोग होता था। इस परिवर्तन के लिए पंचायत राज अधिनियम में संशोधन किया जाएगा, जिसे कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है।
तकनीकी कारण भी बने निर्णय का आधार
राज्य सरकार ने EVM पर भरोसे की कमी के अलावा तकनीकी कारणों का भी हवाला दिया है। चुनावों में EVM की कमी और ग्राम व जिला पंचायत चुनावों को एक साथ कराने की चुनौती भी इस फैसले के पीछे है। राज्य चुनाव आयोग ने भी पहले बैलेट पेपर में रुचि दिखाई थी। राज्य में पिछले चार सालों से स्थानीय चुनाव नहीं हुए हैं, इसलिए अब एक साथ चुनाव कराना अनिवार्य हो गया है।
लोकतंत्र में पारदर्शिता होनी चाहिए: मुख्यमंत्री सिद्धारमैया
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को मीडिया से कहा कि हमने फैसला लिया है कि अब चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाएंगे। EVM की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। कई विकसित देशों ने भी EVM पर संदेह के बाद बैलेट पेपर पर वापसी की है। लोकतंत्र में मतदाता को भरोसा होना चाहिए कि उसका वोट सुरक्षित है। इसी उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है।
कानून मंत्री ने बताई प्रक्रिया
कानून मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि राज्य सरकार अब राज्य चुनाव आयोग को मतदाता सूची को अपडेट करने, सुधारने और पुनर्गठन का अधिकार देगी। इससे एक ‘गुणवत्तापूर्ण सूची’ तैयार हो सकेगी। मतदाता सूची में कई गलतियां पाई गई हैं — जैसे फर्जी नाम, डुप्लिकेट प्रविष्टियाँ आदि। इन सभी कारणों से सरकार ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने का निर्णय लिया।
15 दिनों में आएगा अध्यादेश
क्योंकि शीतकालीन सत्र नवंबर में है, इसलिए तत्काल कानून बनाने की प्रक्रिया संभव नहीं है। इसलिए सरकार अध्यादेश (Ordinance) लाने की तैयारी कर रही है, जिससे बैलेट पेपर और नई मतदाता सूची की प्रक्रिया को जल्दी लागू किया जा सके। अध्यादेश लागू होने के बाद राज्य चुनाव आयोग को मतदाता सूची से नाम जोड़ने/हटाने और बैलेट पेपर के इस्तेमाल का अधिकार मिल जाएगा।
राज्य चुनाव आयोग तैयार है
राज्य चुनाव आयुक्त जीएस संग्रेशी ने बताया कि जैसे ही राज्य सरकार कानून में संशोधन करेगी, हम बैलेट पेपर से चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।