जानें कौन है नागेंद्र? जिन्होंने भ्रष्टाचार के आरोप में कर्नाटक के मंत्री पद से दिया इस्तीफा

कर्नाटक में भ्रष्टाचार के आरोप में मंत्री बी नागेंद्र ने इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब इस राजनेता का नाम अवैध कामों से जुड़ा हो.

Update: 2024-06-08 13:46 GMT

Karnataka Minister Nagendra Resigned: कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों में इस्तीफा देने वाले पहले मंत्री बी नागेंद्र से हिल गई है. यह पहली बार नहीं है, जब इस राजनेता का नाम अवैध कामों से जुड़ा हो. उनका इस्तीफा महर्षि वाल्मीकि विकास निगम से जुड़े करोड़ों रुपये के घोटाले के बाद हुआ है, जिसके 90 करोड़ रुपये के अवैध ट्रांसफर के कारण एक अधिकारी पी. चंद्रशेखरन को आत्महत्या करनी पड़ी थी.

अवैध धन ट्रांसफर

यूनियन बैंक से अवैध रूप से पैसे ट्रांसफर किए जाने के मामले में बैंक ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में मामला दर्ज कराया. जब सीबीआई ने इस मामले को अपने हाथ में लिया तो इस घोटाले ने तूल पकड़ लिया और बीजेपी ने दबाव बढ़ाना शुरू किया. इस सब के बीच सिद्धारमैया ने नागेंद्र का इस्तीफा मांग लिया. हालांकि, चंद्रशेखरन के सुसाइड नोट में नागेंद्र का नाम नहीं था. लेकिन छह पन्नों के पत्र में कई अधिकारियों के नाम थे. आदिवासी कल्याण विभाग के मंत्री नागेंद्र ने धोखाधड़ी में अपनी संलिप्तता से इनकार करने के बावजूद नैतिक जिम्मेदारी का हवाला देते हुए गुरुवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया.

नागेन्द्र का इतिहास

विशेष जांच दल (एसआईटी) ने नागेन्द्र के तीन अधिकारियों और दो करीबी सहयोगियों को गिरफ्तार किया है. जबकि, सीबीआई जांच अभी भी जारी है. नाम न बताने की शर्त पर सिद्धारमैया सरकार के एक मंत्री ने द फेडरल को बताया कि कथित अवैध खनन में शामिल नागेंद्र आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के नेताओं के संपर्क में था. वाल्मीकि आदिवासी विकास निगम से ट्रांसफर किया गया. पैसा कथित तौर पर तेलंगाना के एक व्यापारी से जुड़ा है. मंत्री ने दावा किया कि सीबीआई फिर से गिरफ्तार आरोपियों और एक प्रसिद्ध राजनेता से संबंध रखने वाले लोगों के साथ उसके संबंधों की जांच करेगी.

बदलते रहे हैं पाला

नागेंद्र का राजनीतिक करियर उथल-पुथल भरा रहा है, जिसमें बीजेपी और कांग्रेस दोनों से जुड़ाव शामिल है. बाद में उन्होंने जनार्दन रेड्डी और बी श्रीरामुलु के साथ गठबंधन किया. क्योंकि वे बेल्लारी जिले में राजनीतिक रूप से प्रमुख हो गए थे. रेड्डी के प्रभाव ने नागेंद्र के राजनीतिक करियर को बढ़ावा दिया, जिसके कारण साल 2008 में कुडलिगी से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में उनकी पहली चुनावी जीत हुई. साल 2013 में वे फिर से निर्दलीय के तौर पर चुने गए. साल 2018 में वे कांग्रेस में वापस आ गए, बल्लारी ग्रामीण से चुनाव लड़ा और भाजपा के सना फकीरप्पा को हराया, जो उनके पूर्व मार्गदर्शक श्रीरामुलु के रिश्तेदार हैं. साल 2023 में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर नागेंद्र फिर से मैदान में उतरे और भाजपा नेता श्रीरामुलु को हराकर उन्हें जिला प्रभारी मंत्री का पद मिला.

दो गिरफ्तारियां

नागेंद्र को साल 2011 और 2015 में दो बार गिरफ्तार किया गया था. सिद्धारमैया और उनकी टीम ने भाजपा सरकार और उसके मंत्रियों, जिनमें जनार्दन रेड्डी और नागेंद्र शामिल थे, के अवैध खनन घोटाले के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. लेकिन नागेंद्र कांग्रेस में शामिल हो गए और फिर से विधायक बन गए. नागेंद्र के भाजपा में रहने के दौरान खनन कारोबारी जनार्दन रेड्डी के साथ घनिष्ठ संबंधों ने कानूनी जांच को काफी हद तक प्रभावित किया था. बेंगलुरू की एक विशेष अदालत ने 22,282 टन लौह अयस्क की अवैध बिक्री के लिए नागेंद्र के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही का आदेश दिया, जिससे कथित तौर पर सरकारी खजाने को 2.81 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. मार्च 2012 में नागेंद्र को अवैध लौह अयस्क परिवहन और बिक्री के लिए 18 महीने की जेल हुई थी.

अवैध निर्यात

साल 2015 में सीबीआई ने नागेंद्र को उत्तरी कनारा के बेलिकेरी बंदरगाह से बैंगलोर स्थित आईएलसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा लौह अयस्क के अवैध निर्यात के संबंध में गिरफ्तार किया था. ये कार्यवाही फिलहाल रोक दी गई है. क्योंकि कर्नाटक हाई कोर्ट कथित अपराधों पर समय-सीमा की जांच कर रहा है. यह जांच उनके राजनीतिक करियर को प्रभावित करती रही है. नागेन्द्र का इस्तीफा कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों के मुद्दे को उजागर करता है. वरिष्ठ राजनीतिक टिप्पणीकार सी रुद्रप्पा ने कहा कि नागेंद्र का इस्तीफा सिद्धारमैया सरकार के लिए निर्णायक क्षण है. यह कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. खासकर तब, जब वह पिछले साल भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुत मुखर अभियान के बाद सत्ता में आई थी.

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