बाबा केदारनाथ के खुले कपाट, पहले दिन 12 हजार श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
108 क्विंटल फूलों से सजे बाबा केदारनाथ मंदिर के कपाट विधि-विधान के साथ खुले, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की पहली पूजा की।;
देवभूमि उत्तराखंड में आज एक बार फिर आस्था की गूंज सुनाई दी, जब चारधाम यात्रा के तीसरे पड़ाव केदारनाथ धाम के कपाट शुक्रवार सुबह विधिपूर्वक श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। मंदिर परिसर में हर-हर महादेव के उद्घोष, मंत्रोच्चारण और घंटियों की आवाज़ के बीच बाबा केदारनाथ के दरबार में पहले ही दिन करीब 12,000 से अधिक श्रद्धालु पहुंचे, जिनमें देश-विदेश से आए यात्रियों की भागीदारी रही। बर्फ से ढके पर्वतों की गोद में बसे इस पावन धाम में भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था। भीड़ के बावजूद अनुशासन और श्रद्धा का ऐसा संगम कम ही देखने को मिलता है।
फूलों से महका धाम, 108 क्विंटल फूलों से किया गया श्रृंगार
सुबह की पहली किरण के साथ जब मंदिर के कपाट खुले, तब धाम एक नई छटा में नजर आ रहा था। BKTC (बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति) के अधिकारियों ने बताया कि मंदिर को 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया था, जिनमें गुलाब, गेंदा, कैलेंडुला, डेज़ी सहित 54 किस्म के फूल शामिल थे। ये फूल केवल स्थानीय क्षेत्रों से ही नहीं बल्कि नेपाल, थाईलैंड और श्रीलंका जैसे देशों से भी मंगवाए गए थे। मंदिर के गर्भगृह से लेकर बाहरी परिसर तक हर कोना फूलों से सुसज्जित था और वातावरण महक रहा था। जैसे ही कपाट खुले, भक्तों के बीच भावनाओं की लहर दौड़ गई, कई आंखें नम थीं और हाथ folded होकर बाबा को निहार रहे थे।
चारधाम यात्रा की तीसरी सीढ़ी अब बद्रीनाथ की बारी
केदारनाथ धाम चारधाम यात्रा का तीसरा पड़ाव है। इससे पूर्व 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खोले जा चुके हैं। अब श्रद्धालु 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने का इंतजार कर रहे हैं। केदारनाथ धाम, जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। श्रद्धालु कठिन पर्वतीय यात्रा करके बाबा के दर पर पहुंचते हैं और यहां आकर उनकी थकान जैसे पल भर में गायब हो जाती है।
पूजा-अर्चना के बाद मुख्यमंत्री ने किए प्रथम दर्शन
सुबह 5 बजे से मंदिर में विशेष पूजा और वैदिक अनुष्ठानों की प्रक्रिया शुरू हुई। 7 बजे कपाट विधिवत खोले गए, इस पावन अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सबसे पहले मंदिर में पूजा-अर्चना कर बाबा के दर्शन किए। उन्होंने राष्ट्र की सुख-समृद्धि और जनकल्याण की कामना की। उनके साथ केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल, रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी सौरभ गहरवार, बीकेटीसी के सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल, मंदिर के रावल भीमशंकर लिंग, पुजारी बागेश लिंग और वेदपाठी उपस्थित थे।
इस बार संगम पर होगी भव्य आरती, हर श्रद्धालु बनेगा साक्षी
इस वर्ष की यात्रा को खास बनाने के लिए BKTC ने एक नई शुरुआत की है। गंगा आरती की तर्ज पर मंदाकिनी और सरस्वती नदी के संगम पर एक दिव्य आरती का आयोजन किया जाएगा, जिसे ‘केदार आरती’ नाम दिया गया है। इसके लिए संगम स्थल पर तीनों ओर विशेष रैम्प बनाए गए हैं ताकि अधिक से अधिक श्रद्धालु इस आध्यात्मिक आयोजन के साक्षी बन सकें। मंदिर समिति के अनुसार यह आरती केदारनाथ में नई परंपरा की शुरुआत होगी, जिसे आने वाले वर्षों में और अधिक भव्य रूप दिया जाएगा।
सुरक्षा, चिकित्सा और सुविधाओं का व्यापक प्रबंध
श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या और मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए प्रशासन ने यात्रा मार्ग पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। SDRF, पुलिस बल और स्वास्थ्य कर्मियों को तैनात किया गया है। मेडिकल टीम, एम्बुलेंस और कंट्रोल रूम हर मोर्चे पर तैयार हैं। साथ ही मौसम अपडेट और भीड़ नियंत्रण के लिए डिजिटल बोर्ड और वॉकी-टॉकी सिस्टम भी तैनात किए गए हैं।
इस तरह बाबा केदार के दरबार में आस्था, व्यवस्था और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिला। केदारनाथ के कपाट खुलने के साथ ही देवभूमि की अध्यात्मिक यात्रा ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है, और भक्तों के दिलों में नई ऊर्जा का संचार हो गया है।