कुमारी शैलजा की सीएम पद की दावेदारी ! उलझ न जाए कांग्रेस की तैयारी

शैलजा ने गुटबाजी की बात को भी खारिज करते हुए कहा कि चुनाव आने पर सभी लोग "एक कांग्रेस खेमे" के रूप में जमीनी स्तर पर काम करेंगे

Update: 2024-08-23 14:29 GMT

Haryana Assembly Elections: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही कांग्रेस के अंदर की खेमेबाजी भी फिर से बाहर आ रही है. जहाँ एक ओर हुडा परिवार हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए खुद को कांग्रेस का प्रमुख चेहरा दर्शा रहा है, तो वहीँ दूसरी ओर हरियाणा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा ने भी अब मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के लिए ताल ठोंक दी है. कुमारी शैलजा की इस दावेदारी ने एक बार फिर से ये दिखा दिया है कि अभी भी उनके और हुडा के बीच सब कुछ ठीक नहीं है और अभी भी दोनों खेमे आमने सामने हैं. कुमारी शैलजा सिरसा से कांग्रेस की सांसद हैं और प्रदेश में पार्टी का प्रमुख दलित चेहरा हैं. उनकी इस दावेदारी से निश्चित तौर पर कांग्रेस पार्टी पर भी कहीं न कहीं दबाव देखने को मिल सकता है कि वो दलित चेहरे या फिर जात चेहरे में से किसे आगे करती है. हालाँकि कुमारी शैलजा ने अपनी दावेदारी पेश करते हुए ये भी कहा है कि अंतिम निर्णय हाई कमान को करना है.


कुमारी शैलजा ने क्या कहा 
कांग्रेस को बहुमत मिलने की स्थिति में हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने की बात कहते हुए वरिष्ठ पार्टी नेता कुमारी शैलजा ने शुक्रवार को कहा कि लोगों की ‘‘व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर’’ महत्वाकांक्षाएं होती हैं और उन्होंने पूछा कि ‘‘ऐसा क्यों नहीं’’.
सिरसा से लोकसभा चुनाव जीतने के कुछ महीनों बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के प्रमुख दलित चेहरे ने आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा भी जताई और कहा कि वो राज्य में काम करना चाहती हैं लेकिन इस मामले पर अंतिम फैसला हाईकमान करेगा.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुख्यालय में संपादकों के साथ बातचीत में शैलजा ने गुटबाजी के कारण चुनावों में पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचने की बात को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव आने पर सभी लोग "एक कांग्रेस खेमे" के रूप में जमीनी स्तर पर काम करने में जुट जाते हैं.
अगले महीने 62 साल की होने वाली शैलजा ने कहा, "मैं बहुत व्यावहारिक हूं और मैं आपको बहुत स्पष्ट रूप से जवाब दूंगी. किसी भी संगठन में हमेशा धक्का-मुक्की और अपनी जगह बनाने की होड़ लगी रहती है. ये किसी भी संगठन का हिस्सा है और ये हमेशा रहेगा. महत्वाकांक्षा, काम करना, अपनी जगह बनाने की होड़, ये सब वहां होता है. लेकिन इतना कहने के बाद भी, (यह तब तक होता है) जब तक टिकटों की घोषणा नहीं हो जाती. मैं ये भी कहूंगी कि जब चुनाव आते हैं हर कोई जमीनी काम में जुट जाता है."


खेमे बाजी पर क्या है कुमारी शैलजा की राय
कुमारी शैलजा से जब ये सवाल किया गया कि क्या हरियाणा कांग्रेस में विभिन्न खेमे एक साथ आएंगे, उन्होंने कहा, ''हर किसी की अपनी महत्वाकांक्षा है. ये कांग्रेस खेमा है, आखिरकार सभी पार्टी के लिए काम कर रहे हैं.'' उन्होंने वरिष्ठ नेताओं द्वारा चुनावों से पहले अलग-अलग प्रचार कार्यक्रम चलाने के बारे में गुटबाजी की बात को भी खारिज कर दिया और कहा कि वे सभी कांग्रेस के लिए ऐसा कर रहे हैं.
चुनाव बाद गठबंधन की संभावना पर चर्चा करते हुए शैलजा ने कहा कि कोई त्रिशंकु विधानसभा नहीं होगी और कांग्रेस को "शानदार बहुमत" मिलेगा. उन्होंने कहा, "हम जमीनी स्तर पर लोगों के संपर्क में हैं. वे पूरी तरह भाजपा के खिलाफ हैं." उन्होंने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं और विधानसभा चुनाव में भी बहुत अच्छे नतीजे आएंगे और हम सरकार बनाएंगे.’’ ये पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करेगी, शैलजा ने कहा कि पार्टी के काम करने के कुछ तरीके हैं.
"जब आप सरकार में होते हैं, तो जाहिर है कि जो व्यक्ति मुख्यमंत्री रह चुका होता है, वही पार्टी का नेतृत्व करता है. लेकिन जब आप विपक्ष में होते हैं, तो पार्टी शायद ही कभी मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा पेश करती है."

मुख्यमंत्री पद की दौड़ में मानती हैं शैलजा

कांग्रेस के बहुमत मिलने की स्थिति में क्या वो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं, इस सवाल पर शैलजा ने कहा, "व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर लोगों की अपनी महत्वाकांक्षाएं होती हैं. क्यों नहीं?" हरियाणा के भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखे जाने पर उन्होंने कहा, "ये मेरी पार्टी और हाईकमान को तय करना है." उन्होंने ये भी कहा कि वो लंबे समय तक केंद्र में काम कर चुकी हैं और अब राज्य स्तर पर जाना चाहती हैं. विधानसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा, "मैंने केंद्र में काफी राजनीति की है, मैं राज्य स्तर पर काम करना चाहती हूं. लोगों के काम राज्य से ज्यादा जुड़े होते हैं. इसलिए मैं राज्य में काम करना चाहती हूं, बाकी फैसला हाईकमान को करना है, लेकिन हां, मैं निश्चित रूप से ऐसा चाहती हूं."

एससी होने के नाते मुख्यमंत्री पद की दावेदारी बनती है
कांग्रेस द्वारा जाति जनगणना की बात करने के बाद, क्या उन्हें लगता है कि आगामी चुनावों में दलित समुदाय से एक मुख्यमंत्री होना चाहिए? उन्होंने जवाब दिया कि जाति देश में एक वास्तविकता है और हर किसी की अपेक्षाएँ होती हैं, चाहे वो व्यक्तिगत रूप से हो या समुदाय के हिसाब से.
"इसमें कोई दो राय नहीं है कि अनुसूचित जातियों ने कांग्रेस के लिए बड़ी संख्या में वोट दिया है और वे कांग्रेस की रीढ़ हैं, इसलिए उम्मीदें भी हैं. अगर दूसरे लोग या दूसरे वर्ग खुद को सीएम पद के लिए पेश करते हैं, तो जागरूकता बहुत बढ़ जाती है और इसलिए सवाल उठता है कि एससी समुदाय से क्यों नहीं?" उन्होंने कहा, "हमें भी खड़े होकर ये कहने का आत्मविश्वास होना चाहिए कि हम क्यों नहीं."

1 अक्टूबर को होने हैं चुनाव 
चुनाव आयोग ने पिछले सप्ताह शुक्रवार को घोषणा की थी कि 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा के लिए चुनाव एक अक्टूबर को होंगे और नतीजे चार अक्टूबर को घोषित किये जायेंगे. चुनावों की घोषणा के साथ ही राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गयी है. हरियाणा में वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार है. कांग्रेस 10 साल तक विपक्ष में रहने के बाद भाजपा को सत्ता से बेदखल कर सत्ता में वापसी करना चाहती है.
पिछले विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन सरकार बनाई थी. हालांकि, लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर मतभेद के बाद ये गठबंधन टूट गया था। बाद में भाजपा ने निर्दलीय विधायकों के समर्थन से अपनी सरकार बचा ली थी. कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में हरियाणा की 10 सीटों में से भाजपा और कांग्रेस ने पांच-पांच सीटें जीती थीं.

(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को फेडरल स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से स्वतः प्रकाशित किया गया है।)


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