कुरनूल बस हादसा: 16 बार ट्रैफिक नियम तोड़े, फिर भी चलती रही ‘मौत की सवारी’

बचे हुए यात्रियों ने बताया कि बस में अचानक तेज धमाका हुआ और देखते ही देखते लपटों ने पूरी बस को घेर लिया।

Update: 2025-10-24 16:50 GMT
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आंध्र प्रदेश के कुरनूल ज़िले में शुक्रवार (24 अक्टूबर) तड़के एक भयानक सड़क हादसे में 20 लोगों की मौत हो गई। हैदराबाद से बेंगलुरु जा रही एक निजी स्लीपर बस में भीषण आग लग गई। ज्यादातर यात्री गहरी नींद में थे और उन्हें संभलने का मौका तक नहीं मिला। हादसा इतना भयानक था कि कई शव बुरी तरह झुलस गए।

कैसे हुआ हादसा

रूट: हैदराबाद → बेंगलुरु

स्थान: एनएच-44, चिन्नेतेकुर गांव के पास, कुरुनूल ज़िला

समय: सुबह करीब 2:45 बजे

हादसा: मोटरसाइकिल से टकराने के बाद बस में आग लग गई

नतीजा: 20 की मौत, कई घायल

टक्कर के बाद बस का फ्यूल टैंक फट गया और आग ने पल भर में पूरे वाहन को अपनी चपेट में ले लिया। आग लगते ही बस का ढांचा पूरी तरह जलकर राख हो गया।

बच निकले कुछ यात्री

कुछ यात्रियों ने हिम्मत दिखाते हुए खिड़कियां तोड़ीं और आपात द्वार से बाहर कूदकर जान बचाई। बचे हुए यात्रियों ने बताया कि बस में अचानक तेज धमाका हुआ और देखते ही देखते लपटों ने पूरी बस को घेर लिया। आकाश नामक यात्री ने बताया कि जोरदार धमाके से मेरी नींद खुली। मैंने देखा कि बस में हर तरफ आग थी। मैंने शीशा तोड़ा और कूद गया। एक अन्य यात्री हरीका ने कहा कि पीछे बैठे एक यात्री ने दरवाजा तोड़ा और हम सब बाहर कूद गए। मेरे सिर पर हल्की चोट आई है।

दो आईटी इंजीनियरों समेत चार सदस्यीय परिवार की मौत

हादसे में बेंगलुरु में काम कर रहे दो टेक्नोलॉजी इंजीनियर गन्नामनेनी धात्री और अनुषा रेड्डी की मौत हो गई। दोनों दिवाली मनाने अपने घर आए थे और वापस काम पर लौट रहे थे। इसके अलावा नेल्लोर जिले के एक ही परिवार के चार सदस्य रमेश (35), उनकी पत्नी अनुषा (32), बेटा यशवंत (8) और बेटी मन्विता (6) भी मारे गए। यह परिवार दिवाली मनाकर बेंगलुरु लौट रहा था।

डीएनए टेस्ट से होगी पहचान

अब तक 14 शवों की पहचान हो चुकी है, जबकि बाकी शव पूरी तरह जल जाने के कारण डीएनए जांच से पहचान की जा रही है। जीवित बचे लोगों में रामिरेड्डी, वेणुगोपाल रेड्डी, सत्यनारायण, श्रीलक्ष्मी, नवीन कुमार और सुभ्रमण्यम शामिल हैं।

16 बार ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन

प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि जिस बस में हादसा हुआ, उस पर 16 ट्रैफिक चालान दर्ज थे — ज्यादातर ओवरस्पीडिंग और खतरनाक ड्राइविंग के लिए। बस वेमुरी कावेरी ट्रैवल्स की थी और दमन और दीव में रजिस्टर्ड थी। बावजूद इसके, उसके पास 2030 तक का ऑल इंडिया परमिट और फिटनेस सर्टिफिकेट था।

सिस्टम की लापरवाही और भ्रष्टाचार का नतीजा

यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि परिवहन तंत्र की लापरवाही और भ्रष्टाचार की पोल खोलता है। कई प्राइवेट बस ऑपरेटर “ऑल इंडिया परमिट” के नाम पर यात्रियों की जान से खेलते हैं। जानकारी के अनुसार, इस बस को मूल रूप से 43 सीटों की अनुमति थी, लेकिन बाद में अवैध रूप से स्लीपर कोच में बदल दिया गया था।

सिर्फ एक हफ्ते में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में तीन बड़ी बसों में आग लग चुकी है — जिनमें एक शादी समारोह की बस और एक स्कूल बस भी शामिल है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्लीपर बसों में ज्वलनशील सामग्री, गलत वायरिंग और बंद इमरजेंसी एग्जिट उन्हें “चलती ताबूतें” बना देती हैं। चीन ने 2012 में ऐसे वाहनों पर रोक लगा दी थी, लेकिन भारत में ये अब भी धड़ल्ले से चल रही हैं।

सरकार ने दिए जांच के आदेश

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने हादसे की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सभी निजी बसों की फिटनेस, सुरक्षा और परमिट की जांच की जाएगी। अगर लापरवाही साबित हुई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

पीड़ितों के लिए न इंसाफ

यह हादसा सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि प्रणालीगत उदासीनता की एक और मिसाल है। हर बड़े हादसे के बाद जांच और आदेश तो जारी होते हैं, लेकिन कुछ दिनों बाद सब भूल जाते हैं और अगली त्रासदी इंतज़ार करती रहती है।

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