चुनावी साल में क्या RJD का इमेज मेकओवर करना चाहते हैं लालू यादव?
बिहार में विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले लालू प्रसाद यादव ने 8 प्रोफेसरों को आरजेडी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिया। आखिर इसके राजनीतिक निहितार्थ क्या हैं?;
राजनीति में ऐसा वाकया शायद ही पहले घटा होगा कि किसी क्षेत्रीय स्तर की पार्टी ने एक ही दिन में विश्वविद्यालयों या कॉलेजों में पढ़ा रहे आठ प्रोफेसरों को अपना राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त कर दिया हो। लालू प्रसाद यादव ने ये फैसला करके सबको चौंका दिया।
लालू यादव ने जिन आठ प्रोफेसरों को आरजेडी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया है, उनमें 3 प्रोफेसर तो दिल्ली यूनिवर्सिटी के ही हैं, जबकि 1 दिल्ली की जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के हैं। बाकी चार प्रोफेसर बिहार में ही पढ़ा रहे हैं।
आखिर इस फैसले के पीछे क्या है? एकेडमिक क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को अचानक पार्टी में राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी देने के पीछे का क्या गेमप्लान हो सकता है? ये सब समझने से पहले ये जान लेते हैं कि वो आठ प्रोफेसर कौन हैं, जिन्हें चुनावी साल में लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव ने आरजेडी की आवाज उठाने के लिए चुना है।
कौन हैं वो आठ प्रोफेसर?
आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के निर्देश पर पार्टी के प्रधान महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी ने जिन आठ नामों को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए जाने की इत्तेला दी है, उनमें शामिल हैं-
डॉ श्याम कुमार: दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ी मल कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर
डॉ राज कुमार रंजन: दिल्ली यूनिवर्सिटी के शहीद भगत सिंह कॉलेज के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर
डॉ रवि शंकर: दिल्ली यूनिवर्सिटी के बीआर आंबेडकर कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर
डॉ बादशाह आलम: दिल्ली में जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर
डॉ उत्पल बल्लभ: पटना यूनिवर्सिटी के जियोग्राफी डिपार्टमेंट से जुड़े हैं
डॉ दिनेश पाल: बिहार के छपरा में जय प्रकाश यूनिवर्सिटी के जगलाल चौधरी कॉलेज के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर
डॉ अनुज कुमार तरुण: बिहार के बोधगया में मगध यूनिवर्सिटी के पीजी कैंपस के हिंदी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर
डॉ राकेश रंजन: बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी के गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज पकड़ीदयाल (मधुबन) पूर्वी चंपारण के राजनीति विज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर
फैसले के पीछे क्या है?
अब सवाल ये आता है कि एकेडमिक क्षेत्र यानी गैर-राजनीतिक क्षेत्र में सेवायें दे रहे लोगों को लालू प्रसाद यादव ने राजनीतिक मोर्चे पर क्या सोचकर लगाया? वो भी चुनावी साल में और राष्ट्रीय प्रवक्ता जैसे अहम पदों पर?
ये समझने के लिए 'द फेडरल देश' ने पटना में बिहार टाइम्स से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार अजय से बात की। उन्होंने कहा,"आरजेडी द्वारा नवनियुक्ति इन आठों प्रवक्ताओं की कोई सार्वजनिक पहचान तो नहीं है। लेकिन आरजेडी चला रहे लोगों को भी पता है कि उनकी पार्टी को लेकर बहुत अच्छे ख्यालात नहीं है। इसलिए अकादमिक क्षेत्र के लोगों को प्रवक्ता बनाने का फैसला पार्टी की इमेज मेकओवर की कोशिश हो सकती है।"
नए प्रवक्ता ने क्या कहा?
लेकिन आरजेडी के नए राष्ट्रीय प्रवक्ताओं में से एक डॉ. श्याम कुमार, जोकि दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ी मल कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं, इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते। 'द फेडरल देश' से बातचीत में डॉ. श्याम कुमार ने कहा, "देखिए, यह तो राजनीतिक प्रतिबद्धता का मसला है। हम अकादमिक लोग जरूर हैं लेकिन हम अराजनीतिक नहीं हैं। मैं आरजेडी के टीचर्स विंग 'राष्ट्रीय शिक्षक मोर्चा' का अध्यक्ष हूं और हम सामाजिक न्याय के बड़े सवालों के लिए लगातार लड़ रहे हैं।"
लेकिन एक साथ 8 प्रोफेसरों को प्रवक्ता बना देना क्या चुनावी साल में छवि निर्माण की कोशिश के रूप में नहीं देखी जाएगी? 'द फेडरल देश' के इस सवाल पर आरजेडी के नए-नियुक्त प्रवक्ता डॉ. श्याम कुमार बोले, "हम इमेज मेकओवर के लिए काम नहीं करते और न ही हम चुनाव के लिए काम करते हैं। हम सोशल जस्टिस को जमीन पर उतारने के लिए काम करते हैं। यह एक रुटीन है। जो वैचारिकी का विमर्श है, उसे हम अंतिम पायदान तक ले जाना चाहते हैं।"