लेज़र हमले से विमान खतरे में, चेन्नई में हवाई सुरक्षा की पोल खुली
लेजर किरणों के कारण कॉकपिट में पायलटों की स्थिति अस्थायी रूप से खराब हो सकती है, जिससे लैंडिंग प्रभावित हो सकती है। अब तक 27 घटनाओं के बावजूद कोई FIR दर्ज नहीं की गई है;
2025 की पहली छमाही में चेन्नई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरते विमानों पर 27 लेज़र हमले दर्ज किए गए हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि अभी तक एक भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। ये हमले ऐसे समय पर हो रहे हैं जब 12 जून को अहमदाबाद में एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 की भयावह दुर्घटना ने 241 लोगों की जान ले ली, और विमानन सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता खड़ी कर दी है। अब सवाल उठ रहे हैं कि चेन्नई के अधिकारी इन लेज़र हमलों को और कितनी देर तक अनदेखा करते रहेंगे।
दो हफ्तों में तीन गंभीर घटनाएं
25 मई 2025 – दुबई से आ रही एमिरेट्स की फ्लाइट, जिसमें 326 यात्री थे, पर हरी लेज़र बीम का हमला हुआ जिससे पायलट कुछ सेकंड तक असहज हो गए।
6 जून 2025 – एक और एमिरेट्स फ्लाइट पर परांगीमलै इलाके से लेज़र हमला हुआ, जिसमें 304 यात्री सवार थे।
11 जून 2025 – पुणे से आ रही एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट, जिसमें 178 लोग थे, को गुइंडी इलाके से बीम मारी गई, जिससे उसे कुछ देर हवा में चक्कर लगाना पड़ा।
लेज़र किरणों का खतरनाक प्रभाव
विमानन विशेषज्ञों के अनुसार, लेज़र बीम पायलट की आंखों को अस्थायी रूप से अंधा कर सकती है, दिशा भ्रम पैदा कर सकती है और यहां तक कि रेटिना को नुकसान पहुंचा सकती है। नागरिक उड्डयन विशेषज्ञ कैप्टन मोहन रंगनाथन ने कहा कि अगर रात के समय फाइनल लैंडिंग के दौरान कॉकपिट में लेज़र बीम लगे तो पायलट कुछ सेकंड तक कुछ नहीं देख सकते — यह किसी हादसे को जन्म दे सकता है।”
एफआईआर अब तक क्यों नहीं?
चेन्नई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अब तक कोई लिखित शिकायत नागरिक उड्डयन विभाग या हवाई अड्डा प्राधिकरण से नहीं मिली है सिर्फ मौखिक सूचनाएं दी गई हैं। उनका कहना है कि इन घटनाओं के स्रोत शादी समारोह, नाइट पार्टीज़ या कार्यक्रमों में प्रयोग हो रही लेज़र लाइट्स हो सकते हैं।
क्या कार्रवाई हो रही है?
11 जून को चेन्नई पुलिस कमिश्नर ए. अरुण की अध्यक्षता में एक बहु-विभागीय बैठक हुई जिसमें AAI, DGCA और विभिन्न एयरलाइनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।एयरपोर्ट अधिकारियों ने हवाई अड्डे के पास लेज़र लाइट्स पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।पुलिस ने परांगीमलै, नंदांबक्कम और गुइंडी क्षेत्रों के CCTV फुटेज की जांच शुरू कर दी है, हालांकि अब तक कोई संदिग्ध पकड़ा नहीं गया है।
क्यों मुश्किल है स्रोत का पता लगाना?
एक वरिष्ठ हवाई अड्डा अधिकारी ने बताया कि जब लेज़र बीम लगती है, तो पायलट का पूरा ध्यान लैंडिंग पर होता है, वह बीम के स्रोत को ट्रैक नहीं कर सकते।बीम अक्सर 7-12 नॉटिकल मील दूर से आती है, और पल्लावरम या श्रीपेरुंबुदूर जैसे घनी आबादी वाले इलाकों से आ सकती है, जहां हजारों घर हैं, जिससे सटीक लोकेशन बताना बेहद कठिन हो जाता है।
आंकड़े क्या कहते हैं?
2024: कुल 65 लेज़र घटनाएं दर्ज
2025 (अब तक): 27 घटनाएं दर्ज
DGCA के National Aviation Safety Plan (2024–28) ने लेज़र हस्तक्षेप को “गंभीर खतरा” करार दिया है जो किसी बड़े विमान हादसे को जन्म दे सकता है।
कानूनी कार्रवाई की दिशा में कदम
चेन्नई पुलिस ने अब चेतावनी जारी की है कि लेज़र पॉइंटर्स, हॉट एयर बलून, और अन्य प्रकाश उत्सर्जक वस्तुओं का हवाई मार्ग के पास उपयोग प्रतिबंधित किया गया है।यह भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 223(a) और विमान अधिनियम 1937 की धारा 65 व 66 के तहत दंडनीय अपराध है।जीवन संकट में डालने पर BNS की धारा 125 के तहत भी केस दर्ज किया जा सकता है।
क्या यह जानबूझकर किया जा रहा है?
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहले यह माना जा रहा था कि ये घटनाएं अनजाने में हो रही हैं, लेकिन हाल की दो घटनाओं में जानबूझकर टारगेटिंग की आशंका भी जताई जा रही है। एक घटना में बीम अन्ना यूनिवर्सिटी के पास से आई थी, लेकिन अभी तक उसकी जाँच पूरी नहीं हो सकी है।अहमदाबाद हादसे के बाद चेन्नई एयरपोर्ट के लेज़र हमलों की गंभीरता और बढ़ गई है।
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इन घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया गया तो आगामी समय में एक और विमान दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता।सरकार, पुलिस और हवाई अड्डा प्राधिकरण को मिलकर लेज़र हमलों पर त्वरित कार्रवाई, कानूनी प्रवर्तन, और जन-जागरूकता के प्रयास करने होंगे ताकि आसमान में उड़ानें सुरक्षित रह सकें।