उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार को पानी की कमी के लिए ठहराया ज़िम्मेदार

उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार को पत्र लिखते हुए कहा कि पानी की कमी के पीछे दिल्ली सरकार की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना हरकत बताया. अपने पत्र का अंत उपराज्यपाल ने ग़ालिब के शेर से करते हुए लिखा "उम्र भर ग़ालिब, यही भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी, और आइना साफ़ करता रहा."

Update: 2024-05-31 14:16 GMT

Delhi Water Crisis: राजधानी दिल्ली में चल रही पानी की घोर किल्लत के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार को आड़े लेते हुए एक पत्र लिखा है. अपने इस पत्र में उपराज्यपाल ने ग़ालिब के एक शेर से मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल समेत दिल्ली सरकार पर व्यंग्य भी कसा, शेर कुछ इस तरह है "उम्र भर ग़ालिब, यही भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी, और आइना साफ़ करता रहा."

इस पत्र में उपराज्यपाल विजय कुमार सक्सेना ने पानी की कमी को दिल्ली सरकार की गैर जिम्मेदाराना हरकत बताया है. साथ ही ये भी कहा है कि यूपी और हरियाणा से दिल्ली को निर्धारित पानी की सप्लाई हो रही है लेकिन 40 प्रतिशत पानी पुराणी और जर्जर पाइप लाइन की वजह से बर्बाद हो रहा है. उन्होंने अपने पत्र में ये भी लिखा कि पिछले 10 सालों में दिल्ली सरकार द्वारा हजारों करोड़ रुपये खर्च किए जाने के बावजूद भी न तो पुरानी पाइपलाइनों का रिपेयर हो सका, न उन्हें बदला जा सका, और ना ही पर्याप्त नई पाइपलाइन डाली गई. इस पर भी हद तो ये है कि इसी पानी को चोरी करके टैंकर माफिया द्वारा गरीब जनता को बेचा जाता है.

इस पत्र के बाद एक बार फिर से आम आदमी पार्टी और उपराज्यपाल के बीच फिर से आरोप प्रत्यारोप की जंग शुरू होने वाली है, क्योंकि दिल्ली सरकार पानी की कमी को लेकर हरियाणा पर आरोप लगा रही है और हरियाणा सरकार लगातार दिल्ली सरकार के इस आरोप को गलत करार दे रही है.

क्या लिखा है पत्र में

पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में पानी को ले कर दिल्ली सरकार का बेहद गैर जिम्मेदराना रवैया देखने को मिल रहा है. आज दिल्ली में महिलायें, बच्चे, बूढ़े और जवान अपनी जान जोखिम में डाल कर एक बाल्टी पानी के लिए टैंकरों के पीछे भागते दिखाई दे रहे हैं.

देश की राजधानी मे ऐसे हृदय विदारक दृश्य देखने को मिलेंगे, इसकी शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। लेकिन, सरकार द्वारा अपनी विफलताओं के लिए अन्य राज्यों पर दोषारोपण किया जा रहा है. मुख्यमंत्री द्वारा दिल्ली में 24 घंटे पानी सप्लाइ करने का वादा अब तक तो एक छलावा ही साबित हुआ है.

मुझे बताया गया है कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश लगातार अपने निर्धारित कोटे का पानी दिल्ली को दे रहे हैं। इसके बावजूद, आज दिल्ली में पानी की भयंकर कमी की जो सबसे बड़ी वजह है, वो यह है कि, जितने पानी का उत्पादन हो रहा है, उसके 54 प्रतिशत का कोई हिसाब ही नहीं है. 40 प्रतिशत पानी सप्लाई के दौरान पुरानी और जर्जर पाइपलाइनों की वजह से बर्बाद हो जाता है. पिछले दस सालों में दिल्ली सरकार द्वारा, हजारों करोड़ रुपये खर्च किए जाने के बावजूद भी, न तो पुरानी पाइपलाइनों का रिपेयर हो सका, न उन्हें बदला जा सका, और ना ही पर्याप्त नई पाइपलाइन डाली गई. हद तो ये है, कि इसी पानी को चोरी करके, टैंकर माफिया द्वारा गरीब जनता को बेचा जाता है.

यह कितने दुर्भाग्य की बात है, कि जहाँ एक तरफ दिल्ली के अमीर इलाकों में औसतन, प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 550 लीटर पानी सप्लाई किया जा रहा है, वहीं गाँवों और कच्ची बस्तियों में रोज़ाना औसतन मात्र 15 लीटर पानी प्रति व्यक्ति सप्लाई किया जाता है.

मुझे बताया गया है कि आज के दिन भी, वज़ीराबाद को छोड़ कर, दिल्ली के सारे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स अपनी क्षमता से ज्यादा पानी का उत्पादन कर रहे हैं. वज़ीराबाद ट्रीटमेंट प्लांट इस वजह से पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहा है, क्योंकि बराज का जलाशय, जहां हरियाणा से आया हुआ पानी जमा होता है, लगभग पूरी तरह गाद से भरा हुआ है. इसके कारण, इस जलाशय की क्षमता, जो 250 मिलियन गैलन हुआ करती थी, वो घट कर मात्र 16 मिलियन गैलन रह गई है.





2013 तक हर साल इसकी सफाई होती थी और गाद निकाला जाता था. लेकिन पिछले 10 सालों में एक बार भी इसकी सफाई नहीं करवाई गई और हर साल पानी की कमी के लिए दूसरों पर दोष मढ़ा जाता रहा. इस मामले में मैंने स्वयं मुख्यमंत्री जी को पिछले साल पत्र भी लिखा था.

मुझे यह कहते हुए अफसोस हो रहा है कि दस साल के दौरान, अपनी अयोग्यता, निष्क्रियता और असामर्थ्य को छुपाने के लिए, दिल्ली सरकार की आदत बन गई है, कि अपनी हर नाकामी के लिए दूसरों को दोष दें और मात्र सोशल मीडिया, प्रेस कांफ्रेंस और कोर्ट केस कर के, अपनी जिम्मेदारियों से बचे रहें और जनता को गुमराह करते रहें.

दिल्ली में पानी की यह कमी सिर्फ और सिर्फ सरकार के कुप्रबंधन का नतीजा है.

मिर्ज़ा ग़ालिब साहब ने 200 साल पहले जो शेर लिखा था, मैं उसे दोहराना चाहूँगाः

"उम्र भर ग़ालिब, यही भूल करता रहा,

धूल चेहरे पर थी, और आइना साफ़ करता रहा."

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