एलजी ने सीएम आतिशी को लिखा पत्र, लंबित 14 सीएजी रिपोर्ट को सदन में पेश करने की मांग

दिल्ली के उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री आतिशी को चीट्ठी लिखते हुए कहा है कि CAG की 14 रिपोर्ट को सदन में पेश किया जाए और इसके लिए विशेष सत्र बुलाया जाए.;

Update: 2024-12-16 14:14 GMT

LG ON CAG Report : दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) ने मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखकर दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। एलजी ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की 14 लंबित रिपोर्टों को तुरंत सदन के पटल पर रखा जाना चाहिए। उन्होंने यह कदम जीएनसीटीडी अधिनियम, 1991 की धारा 48 के तहत उठाया है।


एलजी का पत्र: मुख्य बिंदु
1. पारदर्शिता का दायित्व:
एलजी ने अपने पत्र में कहा कि सीएजी रिपोर्ट शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही की कसौटी हैं। इन्हें विधानमंडल के सामने प्रस्तुत करना सरकार का संवैधानिक दायित्व है।

2. संवैधानिक जिम्मेदारी में चूक का आरोप:
एलजी का आरोप है कि रिपोर्ट समय पर पेश न कर दिल्ली सरकार अपने संवैधानिक दायित्वों का पालन करने में विफल रही है।

3. अरविंद केजरीवाल के कार्यकाल की रिपोर्ट:
एलजी ने यह भी बताया कि ये सभी रिपोर्टें उस समय की हैं, जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल थे।

कैग द्वारा हाई कोर्ट में दी जा चुकी है जानकारी

CAG रिपोर्ट को लेकर दिल्ली की राजनीती काफी गरमाई हुई है। इसके पीछे की वजह ये है कि जहाँ एक ओर आम आदमी पार्टी पर इस बात के आरोप लग रहे हैं कि वो जानबूझ कर इस रिपोर्ट को विधानसभा में पटल पर नहीं रख रही है तो वहीँ दूसरी ओर दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी, साथ ही ये भी कहा था कि अगर दिल्ली सरकार CAG की रिपोर्ट को पटल पर नहीं रखती है तो उन्हें कोर्ट का सहारा लेना पड़ेगा।

इस बीच ये बात भी सामने आई है कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ( CAG ) ने हाईकोर्ट को जानकारी दी थी कि दिल्ली से संबंधित 8 रिपोर्ट GNCTD अधिनियम के मुताबिक विधानसभा में प्रस्तुत करने के लिए दिल्ली सरकार के पास लंबित हैं. CAG की तरफ से कहा गया था कि कानूनी ढांचे के अनुसार, दिल्ली सरकार को अपने द्वारा प्रस्तुत ऑडिट रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष रखनी होती है.

विशेष सत्र बुलाने की मांग

एलजी ने कहा कि विधानसभा की विशेष बैठक बुलाकर इन रिपोर्टों को सार्वजनिक किया जाए। यह कदम शासन की पारदर्शिता सुनिश्चित करने और जनता के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक है।

सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार
अब यह देखना अहम होगा कि दिल्ली सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है। लंबे समय से दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच विभिन्न मुद्दों पर टकराव चलता आ रहा है। ऐसे में सीएजी रिपोर्ट का यह मुद्दा राजनीतिक तापमान बढ़ा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला एक बार फिर सरकार और उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र को लेकर बहस को जन्म दे सकता है।


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