शवों की दफनगाह या श्रद्धा स्थल? कर्नाटक के धर्मस्थल पर उठते सख्त सवाल
एक पूर्व सफाईकर्मी ने कर्नाटक के धर्मस्थल में 1998-2014 के बीच सैकड़ों बलात्कार- हत्या के शिकार लोगों को दफनाने का दावा किया है। अब सौजन्या कांड की मांग फिर उठी है।;
Dharmasthala Soujanya case: कर्नाटक के प्रसिद्ध मंदिर शहर धर्मस्थल में 1998 से 2014 के बीच सैकड़ों बलात्कार और हत्या के शिकार लोगों को दफनाने का दावा करने वाले एक पूर्व सफाईकर्मी के खुलासे ने न सिर्फ स्थानीय लोगों को झकझोर दिया है, बल्कि 2012 की बहुचर्चित सौजन्या बलात्कार और हत्या मामले की दर्दनाक यादें भी ताज़ा कर दी हैं।
सैकड़ों शवों को दफनाने का दावा
पूर्व सफाईकर्मी ने दावा किया है कि उसे 1998 से 2014 तक धर्मस्थल में सैकड़ों शवों को ठिकाने लगाने के लिए मजबूर किया गया, जिनमें अधिकांश महिलाएं थीं, जिनका बलात्कार कर हत्या की गई थी। उसने अपनी शिकायत में कहा है कि उसकी जान को खतरा है और इन अपराधों के पीछे प्रभावशाली लोग शामिल हैं।
एफआईआर दर्ज होने के बाद, उसने अदालत में उन कंकालों के अवशेष भी पेश किए जो उसने गुपचुप रूप से दफन स्थल से निकाले थे। 11 जुलाई को बेल्थंगडी कोर्ट में पेश होकर उसने यह भी कहा कि यदि उसे और उसके परिवार को सुरक्षा दी जाए, तो वह दफन स्थलों की जानकारी देने को तैयार है।
सरकार की देरी और लोगों का आक्रोश
हालांकि शिकायत के कई दिन बाद तक सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। 19 जुलाई को जनता और सामाजिक संगठनों के दबाव में आकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार ने डीजीपी (इंटरनल सिक्योरिटी) प्रणब मोहंती के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया।स्थानीय लोगों का सवाल है, “जब एक व्यक्ति अपनी जान जोखिम में डालकर सच बता रहा है, तो सरकार को कार्रवाई में नौ दिन क्यों लग गए?” इस देरी से लोगों में नाराज़गी और संदेह और गहरा गया है।
'फिर सच साबित हो रहा है...'
The Federal Karnataka की टीम जब धर्मस्थल और आसपास के इलाकों में पहुंची, तो लोगों में डर और अविश्वास साफ नज़र आया। कई व्यापारियों, छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने वर्षों से ऐसी फुसफुसाहटें सुनी थीं, लेकिन कभी यह नहीं सोचा था कि मामला इतना गंभीर हो सकता है।एक वरिष्ठ नागरिक ने कहा, यह सिर्फ एक मामला नहीं हो सकता। सालों से इस तरह की बातें होती रहीं, हमने इन्हें अफवाह समझा। अब लगता है, शायद ये बातें सच थीं।
सौजन्या हत्याकांड फिर चर्चा में
इस खुलासे के बाद 2012 का सौजन्या बलात्कार और हत्या मामला फिर सुर्खियों में आ गया है। उस वक्त 17 वर्षीय सौजन्या का शव धर्मस्थल के एक सुनसान स्थान पर मिला था। बलात्कार के बाद गला घोंटा गया था और उसका शॉल उसके हाथों में बंधा हुआ था।हालांकि मामला सीबीआई को सौंपा गया था, लेकिन 2023 में सीबीआई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में एकमात्र आरोपी को बरी कर दिया। अब नागरिक समाज की मांग है कि सौजन्या मामले और सामूहिक दफन प्रकरण की एक साथ जांच हो।
सरकार की सीमित जांच, लोगों में गुस्सा
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि SIT केवल सामूहिक दफन के आरोपों की जांच करेगी, पुराने मामलों को फिर से नहीं खोला जाएगा। इस फैसले ने स्थानीय निवासियों, मानवाधिकार संगठनों और पीड़ितों के परिवारों में आक्रोश भर दिया है।एक सेवानिवृत्त शिक्षक ने कहा, “अगर आप जमीन खोदेंगे लेकिन सच्चाई नहीं, तो इसका क्या फायदा? सभी बंद फाइलों को खोलना चाहिए।”
‘सौजन्या को न्याय दो’,धर्मस्थल में प्रदर्शन
21 जुलाई को कुछ युवाओं ने धर्मस्थल में ‘सौजन्या को न्याय दो’ के नारे लगाते हुए प्रदर्शन किया। पुलिस ने जल्द ही उन्हें रोक लिया और बस में बैठाकर क्षेत्र से बाहर ले गई। हालांकि कोई हिंसा नहीं हुई, लेकिन कुछ देर के लिए इलाके में तनाव व्याप्त हो गया।
SIT में मतभेद की आहट
SIT में शामिल डीआईजी एमएन अनुचेत और डीसीपी सौम्या लता के निजी कारणों से जांच टीम से हटने की खबरें आ रही हैं। इससे लोगों को जांच की पारदर्शिता और प्रभावशीलता पर और अधिक संदेह हो रहा है।
लोगों की अपील,सच सामने लाओ, चुप्पी नहीं चाहिए
एक स्थानीय किसान ने कहा, 'यह कोई छोटा मामला नहीं है। अगर सरकार फिर अनदेखी करती है, तो जनता का विश्वास हमेशा के लिए टूट जाएगा। हमें चुप्पी नहीं, सच्चाई और न्याय चाहिए।'
(यह लेख मूलतः द फेडरल कर्नाटक में प्रकाशित हुआ था।)