अमित शाह की सलाह एम के स्टालिन को नही आई पसंद, भाषा के मुद्दे पर हमला और तेज
गृहमंत्री अमित शाह ने तमिलनाडु सरकार को सुझाव दिया था कि इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई तमिल भाषा में कराएं। अब सीएम एम के स्टालिन ने और तीखे हमले किए हैं।;
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन द्वारा केंद्र सरकार पर ‘हिंदी थोपने’ का आरोप लगाने के तुरंत बाद, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (7 मार्च) को उनसे राज्य में इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा तमिल भाषा में शुरू करने का आग्रह किया। इससे पहले सीएम एमके स्टालिन ने पेड़ को शांति पसंद हो सकती है, लेकिन हवा कभी शांत नहीं होगी।" यह केंद्रीय शिक्षा मंत्री ही थे जिन्होंने हमें पत्र लिखने के लिए उकसाया, जबकि हम बस अपना काम कर रहे थे। वह अपनी जगह भूल गए और पूरे राज्य को हिंदी थोपने को स्वीकार करने की धमकी देने की हिम्मत की, और अब वह एक ऐसी लड़ाई को फिर से शुरू करने के परिणामों का सामना कर रहे हैं जिसे वह कभी नहीं जीत सकते। तमिलनाडु को आत्मसमर्पण करने के लिए ब्लैकमेल नहीं किया जाएगा।
शाह का स्टालिन को जवाब
तमिलनाडु के रणिपेट जिले के थक्कोलम में CISF के 56वें स्थापना दिवस समारोह में बोलते हुए शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने परीक्षाओं में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा, "अब पीएम मोदी की सरकार ने सुनिश्चित किया है कि CISF परीक्षा तमिल भाषा में भी दी जा सके।"
इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री स्टालिन से राज्य में इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा तमिल भाषा में शुरू करने का आग्रह किया। शाह ने तमिलनाडु की संस्कृति और परंपरा की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस राज्य ने भारत की सांस्कृतिक धारा को मजबूत किया है।
“चाहे प्रशासनिक सुधार हों, आध्यात्मिक ऊंचाइयां हों, शिक्षा हो या राष्ट्र की एकता और अखंडता—तमिलनाडु ने हर क्षेत्र में भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया है,” शाह ने कहा।
स्टालिन का तीखा हमला: 'हिंदी उपनिवेशवाद बर्दाश्त नहीं'
शाह के बयान से कुछ घंटे पहले ही स्टालिन ने ‘हिंदी थोपने’ के खिलाफ केंद्र को आड़े हाथों लिया। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किए गए पत्रों की एक श्रृंखला में केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला।
स्टालिन ने आरोप लगाया कि ‘हिंदी थोपी जा रही है, जिससे गैर-हिंदी भाषी जनता घुटन महसूस कर रही है।’ उन्होंने लिखा, “तमिलनाडु ब्रिटिश उपनिवेशवाद के स्थान पर हिंदी उपनिवेशवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। योजनाओं के नाम से लेकर सरकारी संस्थानों तक, हर जगह हिंदी को थोपा जा रहा है।”
स्टालिन ने केंद्र को तीन-भाषा नीति पर भी चुनौती देते हुए कहा कि बीजेपी इसे 2026 के विधानसभा चुनावों में अपने मुख्य एजेंडे के रूप में पेश करे—"तब जनता इसका करारा जवाब देगी।"
स्टालिन ने केंद्र सरकार द्वारा तीन-भाषा नीति को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे हस्ताक्षर अभियान को "एक तमाशा" बताया और इसे "तमिलनाडु में हंसी का पात्र" करार दिया।
'LKG छात्र पीएचडी धारक को पढ़ा रहा' – स्टालिन
स्टालिन ने तंज कसते हुए कहा कि तमिलनाडु पहले से ही NEP (नई शिक्षा नीति) के कई लक्ष्यों को प्राप्त कर चुका है, जिन्हें नीति 2030 तक हासिल करना चाहती है।
“यह वैसा ही है जैसे कोई LKG का छात्र पीएचडी धारक को लेक्चर दे रहा हो,” स्टालिन ने लिखा। उन्होंने कहा कि द्रविड़ समाज दिल्ली से निर्देश नहीं लेता, बल्कि देश को रास्ता दिखाता है।
शिक्षा मंत्री से भिड़े स्टालिन
स्टालिन ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर भी हमला बोलते हुए कहा कि वे तमिलनाडु को हिंदी स्वीकार करने के लिए धमका रहे हैं।
स्टालिन ने आरोप लगाया कि प्रधान ने तमिलनाडु को चेतावनी दी थी कि यदि राज्य NEP को पूरी तरह लागू नहीं करता, तो उसके लिए फंड रोक दिया जाएगा।
“केंद्रीय मंत्री भूल गए कि वे कहां खड़े हैं। उन्होंने पूरे राज्य को धमकाने की कोशिश की, लेकिन अब वे उस लड़ाई को फिर से जगा चुके हैं जिसे वे कभी नहीं जीत सकते,” स्टालिन ने कहा।
बीजेपी की प्रतिक्रिया: 'तीन-भाषा नीति समय की जरूरत'
बीजेपी का कहना है कि तीन-भाषा नीति किसी भी राज्य पर जबरदस्ती नहीं थोपी जा रही, बल्कि यह समय की जरूरत है।
तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख के. अन्नामलाई ने स्टालिन पर आरोप लगाया कि वे केंद्र सरकार की योजनाओं के तमिल नामों को प्रचारित नहीं कर रहे हैं।
“मोदी सरकार ने तमिलनाडु में कुछ ट्रेनों को तमिल नाम दिए हैं। लेकिन स्टालिन ने यूपीए शासन के दौरान ट्रेनों के लिए तमिल नाम दिलाने के लिए क्या किया?” अन्नामलाई ने पूछा।
अमित शाह की तमिलनाडु यात्रा और बढ़ता टकराव
स्टालिन का यह हमला ऐसे समय पर हुआ जब अमित शाह तमिलनाडु के दौरे पर आए थे। शाह ने यहां CISF के स्थापना दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और तमिलनाडु की संस्कृति, भाषा और प्रशासनिक विरासत की प्रशंसा की।
इस विवाद से साफ है कि तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच हिंदी-तमिल भाषा विवाद आने वाले समय में और तेज़ हो सकता है।