वैष्णो देवी भूस्खलन में मृतकों की संख्या 32 पहुंची, जम्मू क्षेत्र में बारिश से तबाही

भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद वैष्णो देवी यात्रा जारी रखने पर एलजी मनोज सिन्हा प्रशासन पर सवाल। किश्तवाड़ त्रासदी से सबक नहीं लिया गया। जम्मू क्षेत्र में 12 दिनों में 136 लोगों की मौत;

Update: 2025-08-27 10:24 GMT
वैष्णो देवी जाने के नए रास्ते से तो यात्रा रोकी गई थी, लेकिन जहां भूस्खलन हुआ, उस पुराने मार्ग से यात्रा जारी थी

जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में पहाड़ी पर स्थित वैष्णो देवी धाम जाने वाले मार्ग पर मंगलवार को आए भूस्खलन में मरने वालों की संख्या बढ़कर 32 हो गई है। अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। सुरक्षा बल भूस्खलन वाले स्थल पर तैनात हैं, यह मार्ग रियासी जिले के कटरा से वैष्णो देवी धाम की ओर जाता है।

पुराने मार्ग पर हादसा

लगातार हो रही भारी बारिश से मंगलवार दोपहर लगभग 3 बजे पहाड़ का बड़ा हिस्सा खिसक गया और पत्थर, बोल्डर और चट्टानें गिरने लगीं, जिससे श्रद्धालु अचानक चपेट में आ गए।

भूस्खलन कटरा से धाम तक की 12 किमी की घुमावदार चढ़ाई के लगभग आधे रास्ते में हुआ। धाम तक जाने वाले दो मार्ग हैं—हिमकोटी मार्ग पर सुबह से ही यात्रा स्थगित थी, लेकिन पुराने मार्ग पर दोपहर 1.30 बजे तक यात्रा जारी रही।

इसके बाद प्रशासन ने मूसलाधार बारिश को देखते हुए यात्रा को अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया।

‘एलजी प्रशासन की आपराधिक लापरवाही’

मौसम विभाग की लगातार चेतावनियों के बावजूद यात्रा को समय पर न रोकने पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं। पिछले 12 दिनों में केवल किश्तवाड़, कठुआ और रियासी जिलों में तीन अलग-अलग बारिश-संबंधी घटनाओं में 136 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 129 श्रद्धालु शामिल हैं।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि “जब मौसम विभाग लगातार हर घंटे भारी बारिश, बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन की चेतावनियाँ दे रहा था, तब भी प्रशासन ने मचैल माता यात्रा और वैष्णो देवी यात्रा को नहीं रोका। यह प्रशासन की आपराधिक लापरवाही है।”

अधिकारी ने कहा कि अगर एलजी मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाला प्रशासन अमरनाथ यात्रा को मौसम की खराबी के चलते तुरंत रोक सकता है, तो मचैल माता और वैष्णो देवी यात्रा को न रोकना असंवेदनशीलता है।

उन्होंने कटरा और पाडर के एसडीएम तथा श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को 129 मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराया।

पिछली घटनाएँ

14 अगस्त को किश्तवाड़ में 65 श्रद्धालु मारे गए और 32 लापता हो गए।

17 अगस्त को कठुआ में बादल फटने से 7 लोगों की मौत हुई, जिनमें 5 नाबालिग थे।

'अर्ध कुंवारी के पास पेड़ कटाई से हुआ भूस्खलन’

कटरा के स्थानीय निवासी दीपक कुमार ने कहा, “2019 में अनुच्छेद 370 हटाने से पहले केंद्र ने अमरनाथ यात्रा समय से पहले ही खत्म कर दी थी। लेकिन इस बार इतनी मौतें प्रशासन की लापरवाही का नतीजा हैं। 1 जनवरी 2022 को भी 12 श्रद्धालु भगदड़ में मारे गए थे।”

उन्होंने मंगलवार को आधकुवारी के पास हुए भूस्खलन के लिए अंधाधुंध पेड़ कटाई और नए रास्तों के निर्माण को जिम्मेदार ठहराया।

“त्रिकुटा पहाड़ियों पर पहले कभी ऐसी तबाही नहीं देखी गई। श्राइन बोर्ड ने केवल अधिक श्रद्धालुओं को आकर्षित कर पैसे कमाने के लिए पहाड़ों को बर्बाद कर दिया है।”

‘जिम्मेदारी तय होनी चाहिए’

राष्ट्रीय हिंदी दैनिक के वरिष्ठ पत्रकार रोहित जांडियाल ने कहा, “कुछ लाख रुपये की मुआवज़ा राशि घोषित कर देना और सोशल मीडिया पर संवेदनाएं जताना प्रशासन को जिम्मेदारी से मुक्त नहीं कर सकता। नौकरशाहों पर जिम्मेदारी तय होनी चाहिए और कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन पूरा तंत्र जनता की भलाई और सुशासन से असंवेदनशील हो चुका है।”

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, “जैसे ही हमारी सरकार बचाव, राहत और पुनर्वास कार्य पूरे करेगी, हम जांच कराएँगे कि इस त्रासदी के लिए कौन जिम्मेदार है।” उन्होंने बताया कि मौसम विभाग और अन्य एजेंसियों की चेतावनियों के बावजूद यह घटना हुई।



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