कोलकाता में दिल्ली वाला नुस्खा, क्या है नबन्ना अभियान, प्रशासन-पुलिस परेशान
आरजी कर मेडिकल अस्पताल कांड के विरोध में छात्र पश्चिम बंगाल सरकार के आधिकारिक दफ्तर नबन्ना मार्च कर रहे हैं। हालांकि पुलिस-प्रशासन की तरफ से उन्हें रोकने की कोशिश की जा रही है।
What is Nabanna Protest: आरजी मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर की वारदात के बाद बंगाल गुस्से में है। अलग अलग संगठन अपने स्तर पर विरोध कर रहे हैं। छात्रों के कुछ संगठन इस घटना के खिलाफ नबन्ना भवन की तरफ मार्च निकाल रहे हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार को शक है कि इसमें राजनीतिक दलों की भी शह है। छात्र, नबन्ना ना जा सकें इसके लिए दिल्ली वाला फॉर्मूला कोलकाता पुलिस ने निकाला है। कुछ जगहों पर लोहे दीवार कंटेनर के शक्ल में खड़ी की गई है तो कुछ जगहों पर ड्रोन से निगरानी की जा रही है। बता दें कि किसान आंदोलन के समय दिल्ली पुलिस ने हरियाणा और यूपी से लगने वाली सीमा की इस तरह से सील किया था कि परिंदा भी पर ना मार सके।
क्या है नबन्ना अभियान
यह राज्य सचिवालय, नबन्ना तक एक विरोध रैली है, और इस महीने की शुरुआत में आरजी कर अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के विरोध में डॉक्टरों, नागरिक समाज संगठनों और विपक्षी दलों द्वारा आयोजित आंदोलनों की एक श्रृंखला में से एक है। रैली के पीछे कौन है? नबन्ना अभियान दो अलग-अलग उद्देश्यों वाले समूहों द्वारा आयोजित किया जा रहा है - अपंजीकृत छात्र संगठन 'पश्चिम बंग छात्र समाज' और 'संग्रामी जौथा मंच', जो राज्य सरकार के कर्मचारियों का एक समूह है।
मांगें क्या हैं?
छात्र संगठन आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग कर रहा है। सरकारी कर्मचारी मांग कर रहे हैं कि उनका महंगाई भत्ता (डीए) केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाले भत्ते के बराबर किया जाए। क्या मार्च कानूनी है? पुलिस ने मार्च की अनुमति देने से इनकार कर दिया है और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं। पुलिस ने मार्च को अवैध और अनधिकृत बताया है। कोलकाता के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त सुप्रतिम सरकार ने कहा कि अभिजन के आयोजकों ने सोशल मीडिया के माध्यम से घोषणाएं कीं, लेकिन उन्होंने पुलिस से अनुमति नहीं ली, जो उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार अनिवार्य आवश्यकता है।
पुलिस ने रैली की अनुमति क्यों नहीं दी?
पुलिस ने मार्च की अनुमति न देने का कारण यातायात संबंधी चिंताओं को बताया है। यूजीसी-नेट परीक्षा 27 अगस्त को मार्च के दिन आयोजित की जा रही है, जिसमें राज्य के कई उम्मीदवारों के भाग लेने की उम्मीद है। पुलिस ने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने की अनुमति देने से यातायात बाधित होगा और परीक्षा में शामिल होने जा रहे छात्रों को गंभीर असुविधा होगी। क्या पुलिस को अन्य आशंकाएं हैं? कोलकाता पुलिस ने कहा कि उन्हें विश्वसनीय खुफिया जानकारी मिली है कि उपद्रवी लोग विरोध मार्च में घुसपैठ करने और बड़े पैमाने पर हिंसा और अराजकता भड़काने की कोशिश करेंगे। पुलिस ने और क्या कदम उठाए हैं?
सरकार ने बीएनएसएस की धारा 163 के तहत नबन्ना (सचिवालय) के पास निषेधाज्ञा लागू कर दी है, जिससे पांच या उससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लग गई है। तृणमूल कांग्रेस ने रैली को सड़कों पर अराजकता फैलाने के उद्देश्य से षड्यंत्र बताया है। अपने दावे के समर्थन में उन्होंने पश्चिम मेदिनीपुर जिले के घाटल से कथित तौर पर भाजपा नेताओं को मार्च के दौरान हिंसा फैलाने की योजना बनाते हुए दिखाने वाले वीडियो जारी किए हैं।
छात्र संगठनों का क्या है तर्क
छात्र समाज के प्रवक्ता सायन लाहिड़ी ने कहा कि पुलिस और टीएमसी द्वारा किए गए दावे निराधार हैं। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें उठाना है और वे अहिंसक तरीके से सचिवालय तक मार्च करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न स्थानों से शुरू होकर नबान्ना की ओर जाने वाली रैलियां एक गैर-राजनीतिक निकाय द्वारा आयोजित की जा रही हैं, जिसका भाजपा, आरएसएस या एबीवीपी से