विधानसभा चुनाव से पहले अजित पवार की एनसीपी को लग रहे हैं झटके, क्या है वजह

मंगलवार को ही एनसीपी से 4 नेताओं ने त्यागपत्र दिया है. इनके जाने के बाद अब ऐसे कई नाम भी सामने आने लगे हैं, जिनकी पार्टी छोड़ने की प्रबल आशंका है. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव इसी साल के अंत में होने हैं, ऐसे में ये दौर अजित पवार के लिए बेहद कठिन साबित होने वाला है.

Update: 2024-07-17 04:51 GMT

Maharashtra Politics: लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद से ही महाराष्ट्र की राजनीती में बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है. खासतौर से महायुती में शामिल बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा चुनौती अजित पवार की एनसीपी को झेलनी पड़ रही है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को महज 1 सीट ही मिली और यहीं से उनकी पार्टी के लिए परेशानियों का दौर भी शुरू हो चुका है. नतीजतन जो लोग शरद पवार को छोड़ अजित पवार के साथ आये थे, उनमें से कुछ ने अब अजित पवार का साथ छोड़ना शुरू कर दिया है. मंगलवार को ही एनसीपी से 4 नेताओं ने त्यागपत्र दिया है. इनके जाने के बाद अब ऐसे कई नाम भी सामने आने लगे हैं, जिनकी पार्टी छोड़ने की प्रबल आशंका है. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव इसी साल के अंत में होने हैं, ऐसे में ये दौर अजित पवार के लिए बेहद कठिन साबित होने वाला है.

इन लोगों ने छोड़ी पार्टी

अजित पवार की एनसीपी को छोड़ने वाले महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ के चार बड़े नेता हैं. इनमें पिंपरी-चिंचवड़ इकाई के प्रमुख अजित गव्हाणे, छात्र विंग के प्रमुख यश साने, पूर्व नगरसेवक, राहुल भोसले और पंकज भालेकर शामिल हैं. फिलहाल ये आशंका जताई जा रही है कि ये सभी शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी में शामिल हो सकते हैं. इस बीच ऐसे कयास भी लगाए जा रहे हैं कि एनसीपी नेता छगन भुजबल भी शरद पवार वाल एनसीपी का दमन थाम सकते हैं, उन्होंने हाल ही में शरद पवार से मुलाकात की थी. लेकिन अभी तक भुजबल की तरफ से पार्टी छोड़ने का कोई फैसला नहीं लिया गया है.

क्या हो सकता है नेताओं का पार्टी छोड़ने का कारण

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं. लोकसभा चुनाव में जो परिणाम आये उससे सबसे ज्यादा निराशा अजीत पवार की एनसीपी को हुई, जो महज 1 ही सीट जीत पायी. इस चुनाव परिणाम ने अजीत पवार की एनसीपी को ये सन्देश भी दिया कि जनता के मन में शरद पवार के लिए सहानुभूति है. यही वजह भी है कि इन नतीजों ने अजीत पवार की एनसीपी की पार्टी में उथल पुथल मचा दी है. एनसीपी में जो नेता हैं, उनके मन में ये बात घर करती जा रही है कि अजीत पवार को लेकर लोगों में मन में कोई लगाव नहीं है. भविष्य शरद पवार के साथ ही है. जिन्होंने लोकसभा चुनाव में 8 सीट जीतीं हैं. अब विधानसभा चुनाव में अजीत पवार की एनसीपी के नेताओं को ऐसा लग रहा है कि शरद पवार की पार्टी को जनता का मत ज्यादा मिलेगा.

सूत्रों का कहना है कि अजीत पवार को लेकर उन्हीं के पार्टी नेताओं के मन में संशय इस बात को लेकर भी पैदा हुआ है कि एनडीए की केंद्र सरकार में अजित पवार की पार्टी से किसी को मंत्री नहीं बनाया गया है. इससे पार्टी नेताओं को लग रहा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में महायुति में एनसीपी को ख़ास तवज्जो नहीं मिलने वाली है.

क्या इस विधानसभा सीट की वजह से दिया इस्तीफा?

दूसरी ओर सूत्रों का कहना है कि अजित गव्हाणे एनसीपी के लिए भोसरी विधानसभा सीट हासिल करना चाहते थे, ताकि उन्हें वहां से विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मिल सके. लेकिन जब उनकी सभी कोशिशें फेल हो गयीं तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया. दावा ये भी किया जा रहा है कि उन्होंने कुछ दिन पहले ही अजित पवार से भी मुलाकात की थी और बताया था कि पार्टी को भोसरी विधानसभा सीट से क्यों चुनाव लड़ना चाहिए, जिस पर बीजेपी के महेश लांडगे दो बार जीत चुके हैं.

शरद पवार ने नेताओं की वापसी पर अभी कुछ स्पष्ट नहीं किया है

अजित पवार की एनसीपी से जो नेता जा रहे हैं, उन्हें वापस अपनी पार्टी में लेने से शरद पवार ने इनकार नहीं किया है. लेकिन ये जरुर कहा है कि जो भी कोई उनकी पार्टी को कमजोर करना चाहता ही, उसे दोबारा से शामिल नहीं किया जायेगा. हाँ, उन लोगों का स्वागत है जो संगठन को मजबूत करने में मदद करेंगे.  

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