राष्ट्रीय प्रतीक सिर्फ सरकारी कामों के लिए, हजरतबल विवाद पर बोले उमर अब्दुल्ला

शुक्रवार की नमाज के बाद कुछ अज्ञात लोगों ने हजरतबल दरगाह परिसर में लगाए गए उस पत्थर को क्षतिग्रस्त कर दिया था, जिस पर राष्ट्रीय प्रतीक अंकित था। यह पट्ट वक्फ बोर्ड द्वारा हाल ही में किए गए नवीनीकरण कार्य के तहत लगाया गया था।;

Update: 2025-09-06 16:48 GMT
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जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को श्रीनगर स्थित प्रसिद्ध हजरतबल दरगाह में वक्फ बोर्ड द्वारा लगाए गए एक पुनर्निर्माण पट्ट पर राष्ट्रीय प्रतीक (अशोक स्तंभ) के उपयोग पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रतीक केवल सरकारी कार्यों में उपयोग किया जाना चाहिए, न कि धार्मिक स्थलों पर। यह बयान उन्होंने दक्षिण कश्मीर के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करते हुए मीडिया से बातचीत में दिया।

वक्फ बोर्ड मांगे माफी

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सबसे पहले सवाल यह है कि क्या धार्मिक स्थल पर इस तरह राष्ट्रीय प्रतीक का इस्तेमाल होना चाहिए था? मैंने आज तक किसी भी मस्जिद, मंदिर या गुरुद्वारे में राष्ट्रीय प्रतीक इस्तेमाल होते नहीं देखा। वक्फ बोर्ड को यह गलती स्वीकार कर माफी मांगनी चाहिए।

उमर ने वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन दरक्शां अंद्राबी की उस प्रतिक्रिया की भी आलोचना की, जिसमें उन्होंने प्रतीक को हटाने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई और जन सुरक्षा कानून (PSA) लगाने की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड ने पहले लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ किया और अब उन्हें धमका रहा है। कम से कम उन्हें माफी मांगनी चाहिए थी।

पट्ट लगाने की ज़रूरत क्या थी?

उमर अब्दुल्ला ने पट्ट की आवश्यकता पर भी सवाल उठाया और कहा कि शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने हजरतबल दरगाह को वर्तमान स्वरूप दिया, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने नाम की कोई पट्ट नहीं लगवाई। उनका काम आज भी लोगों को याद है तो फिर अब इस पट्ट की क्या ज़रूरत थी? उन्होंने यह भी कहा कि गूगल पर सर्च करिए, पूरे देश में कहीं भी किसी धार्मिक स्थल पर राष्ट्रीय प्रतीक का इस्तेमाल नहीं होता। यह केवल सरकारी उपयोग के लिए है।

दर्ज हुई एफआईआर

इस पूरे घटनाक्रम के बीच जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। अधिकारियों ने बताया कि हजरतबल दरगाह में शुक्रवार को राष्ट्रीय प्रतीक को नुकसान पहुंचाने के मामले में एफआईआर नंबर 76/2025 के तहत निगीन थाने में भारतीय न्याय संहिता (BNS) और राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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