संभल में जो मरे उन्हें कट्टे से लगी थी गोली, लेकिन सवाल चलाई किसने?

Sabhal Violence: संभल हिंसा में जिन चार लोगों की मौत हुई थी उसकी ऑटोप्सी रिपोर्ट आ चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक गोली कट्टे से चली थी।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-11-26 08:08 GMT

Sambhal Violence Updates:  24 नवंबर की तारीख थी, संभल में जामा मस्जिद में सर्वे कर रही टीम बाहर निकल रही थी और बवाल हो गया। सवाल इसी बवाल पर कि कौन है उसके पीछे। इस केस में संभल से सपा सांसद जियाउर रहमान बर्क और सपा के विधायक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है। मजिस्ट्रियल जांच भी हो रही है और उसके साथ सियासत भी। सियासत इस बात पर कि जिन चार लोगों की मौत हुई उसे यूपी पुलिस ने गोली मारी थी। हालांकि यूपी पुलिस ने कहा कि अनर्गल आरोप लगाए जा रहे हैं। उपद्रवियों की तरफ से फायरिंग हुई जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। अब इस संबंध में ऑटोप्सी रिपोर्ट भी आ चुकी है जिसके मुताबिक जो लोग अब इस दुनिया में नहीं हैं उन्हें कट्टे से गोली मारी गई। लेकिन मूल सवाल यह है कि कट्टे से गोली किसने चलाई। 

अब हो रही है सियासत
बता दें कि समाजवादी पार्टी की 12 सदस्यों वाली फैक्ट फाइंडिंग टीम का गठन अखिलेश यादव ने किया है। हालांकि संभल प्रशासन ने 30 नवंबर तक बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा रही है। समाजवादी पार्टी की तरफ से यह आरोप लगाया जा रहा है कि कट्टे से गोली पुलिस की तरफ से चलाई गई। समाजवादी पार्टी ने मृतकों के परिजनों के बयानों के आधार पर आरोप लगाया है। हालांकि यूपी पुलिस का कहना है कि हम 9 एमएम पिस्टल का इस्तेमाल करते हैं। जिनकी मौत हुई उनको गोली दंगाइयों की तरफ से लगी है। हालांकि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे ने कहा कि पुलिस दो तरह के हथियार रखती है। यानी कि औपचारिक तौर पर समाजवादी पार्टी का मानना है कि कहीं न कहीं तो कुछ गड़बड़ है। 

नजदीक से चली थी गोली

मुरादाबाद के कमिश्नर आंजनेय सिंह का कहना है कि रविवार की झड़पों में मारे गए लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि पीड़ितों की मौत देसी पिस्तौल से चली गोलियों से हुई है। ज़्यादातर मामलों में मौत का कारण संभवतः 315 बोर की गोली लगने से लगी चोट की वजह से थी। ऐसी गोलियां देसी पिस्तौल से चलाई जाती हैं और गोलियों के घाव से पता चलता है कि गोलियां बहुत नजदीक से चलाई गई थीं। पुलिस कर्मी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए मुख्य रूप से पेलेट गन का इस्तेमाल कर रहे थे। क्या ये लोग प्रदर्शनकारियों के दूसरे समूह द्वारा चलाई गई गोलियों से मारे गए यह जांच का विषय है।

दिया गया था उकसाने वाला बयान
सपा सांसद ने भड़काऊ बयान दिए और विधायक के बेटे ने पुलिस और सर्वेक्षण दल पर हमला करने के लिए भीड़ जुटाई। वे 19 नवंबर को अदालत द्वारा आदेशित सर्वेक्षण के दौरान मस्जिद में मौजूद थे और शुक्रवार को वापस लौटे। हमारे पास पर्याप्त सबूत हैं जो बताते हैं कि यह एक पूर्व नियोजित साजिश थी, क्योंकि हमलावरों ने आग्नेयास्त्र और पत्थर जमा कर रखे थे।" झड़पें रविवार सुबह शुरू हुईं जब एक भीड़ ने पुलिस और 16वीं सदी की शाही जामा मस्जिद का अदालत द्वारा आदेशित सर्वेक्षण करने वाली एएसआई टीम पर पत्थर फेंके। सर्वेक्षण एक याचिका के बाद शुरू किया गया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि मुगल सम्राट बाबर ने मस्जिद बनाने के लिए एक मंदिर को ध्वस्त कर दिया था।

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