एसएससी को लेकर रामलीला मैदान में हुए प्रदर्शन पर दिल्ली पुलिस ने दर्ज की एफआईआर

दिल्ली पुलिस के डीसीपी बोले आयोजकों ने शर्तों का किया उल्लंघन, इसलिए रद्द की परमिशन. पुलिस ने ये भी दावा किया कि प्रदर्शनकारियों में शामिल कुछ लोगों ने शर्तों का उल्लंघन किया और पुलिस के खिलाफ संघर्ष भी किया.;

Update: 2025-08-25 12:54 GMT

Protest Against SSC : दिल्ली पुलिस ने एसएससी परीक्षा में कथित गड़बड़ी के खिलाफ रामलीला मैदान में हुए प्रदर्शन को लेकर एफआईआर दर्ज की है। डीसीपी सेंट्रल दिल्ली निधीन वाल्सन (IPS) ने बताया कि यह एफआईआर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 223 बी (पूर्व में आईपीसी 188) के तहत दर्ज की गई है।


पुलिस के अनुसार, 24 अगस्त को करीब 1,500 अभ्यर्थियों ने मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था, जिसकी अनुमति शाम 5 बजे तक दी गई थी। लेकिन समय सीमा समाप्त होने के बाद भी लगभग 300 लोग मैदान में डटे रहे। पुलिस अधिकारियों ने उन्हें कई बार समझाया और चेतावनी दी कि अब यह जमावड़ा गैरकानूनी होगा, इसके बावजूद करीब 100 प्रदर्शनकारियों ने मैदान छोड़ने से इनकार कर दिया।

डीसीपी ने बताया कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए 40 लोगों को हिरासत में लिया गया, जबकि बाकी प्रदर्शनकारी चले गए। इस दौरान पाँच पुलिसकर्मी, जिनमें तीन महिला कॉन्स्टेबल शामिल थीं, घायल हो गए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस ने किसी भी प्रकार का लाठीचार्ज नहीं किया।

डीसीपी निधीन वाल्सन ने कहा कि आयोजकों ने अनुमति की शर्तों का उल्लंघन किया है, जिसके चलते 25 अगस्त को प्रस्तावित प्रदर्शन की अनुमति रद्द कर दी गई है।

क्या है बीएनएस की धारा 223 बी?

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 223 सार्वजनिक शांति और व्यवस्था बनाए रखने से जुड़ी है। यह धारा किसी लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवहेलना से संबंधित है।

धारा 223 (a): यदि कोई व्यक्ति सरकारी आदेश का उल्लंघन करता है और इसके कारण किसी अन्य व्यक्ति को चोट या असुविधा होती है तो उस पर कार्रवाई की जाती है।

धारा 223 (b): यदि आदेश की अवहेलना से किसी व्यक्ति के जीवन को खतरा होता है या दंगा होने की आशंका पैदा होती है, तो अपराध और गंभीर हो जाता है।

धारा 223 के मुख्य तत्व:

आदेश किसी लोक सेवक (जैसे पुलिस या सरकारी अधिकारी) द्वारा दिया गया हो।

आदेश वैध और सार्वजनिक हित में हो।

अवहेलना जानबूझकर की गई हो।

अवहेलना से दंगा या शांति भंग होने का खतरा उत्पन्न हो सकता है।

जमानत प्रावधान:
धारा 223 के तहत अपराध संज्ञेय (Cognizable) है, यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ्तारी कर सकती है। हालांकि यह अपराध जमानती (Bailable) है और आरोपी को कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल सकती है।


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