दिल्ली में पुराने वाहनों पर नहीं होगी कोई कोई दंडात्मक कार्रवाई, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश

दिल्ली की बीजेपी सरकार ने जुलाई में पुराने वाहनों के लिए ईंधन नहीं की नीति लागू की थी। लेकिन जनविरोध के चलते यह नीति घोषणा के 2 दिन के भीतर ही रोक दी गई। सरकार इसे 1 नवंबर से दिल्ली-एनसीआर में लागू करने जा रही थी।;

Update: 2025-08-12 12:01 GMT
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि दिल्ली में पुराने वाहनों के मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक (कोर्सिव) कार्रवाई नहीं की जाए

देश की सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली सरकार की उस अर्जी पर नोटिस जारी किया है, जिसमें राजधानी में डीजल और पेट्रोल वाहनों पर लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निर्देश दिया कि दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल वाहनों और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक (कोर्सिव) कार्रवाई नहीं की जाएगी।

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति विनोद के. चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। सुनवाई के बाद अदालत ने दिल्ली सरकार की अर्जी पर नोटिस जारी किया और कहा, "फिलहाल, डीजल वाहनों के 10 साल पुराने होने या पेट्रोल वाहनों के 15 साल पुराने होने के आधार पर उनके मालिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए। इस मामले को 4 सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया जाए।

जुलाई में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने "पुराने वाहनों के लिए ईंधन नहीं" नीति लागू की थी। लेकिन जनविरोध के चलते यह नीति घोषणा के 2 दिन के भीतर ही रोक दी गई। सरकार ने कहा कि इस प्रतिबंध को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए तार्किक और बुनियादी ढांचे से जुड़ी बाधाएं हैं।

इसके बाद, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने 1 नवंबर से दिल्ली-एनसीआर में पुराने (End-of-Life) वाहनों में ईंधन भरने पर रोक लगाने का निर्देश जारी किया। इस आदेश को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, यह कहते हुए कि यह प्रतिबंध वैज्ञानिक आधार से रहित है।

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