खेलो इंडिया में चमका तमिलनाडु, फंडिंग में पिछड़ा! केंद्र से मिले सिर्फ ₹20 करोड़
तमिलनाडु ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स में अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन केंद्रीय फंडिंग में असमानता और लंबित परियोजनाओं के कारण खेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रभावित हो रहा है। इससे राज्य के युवा खिलाड़ियों के भविष्य पर भी असर पड़ सकता है।;
हाल ही में बिहार में संपन्न हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में तमिलनाडु ने 14 स्वर्ण पदक जीते, केरल ने 12 और गुजरात को सिर्फ 2 स्वर्ण पदक मिले। बावजूद इसके, खेलो इंडिया योजना के तहत तमिलनाडु को 2024-25 के लिए केवल 20.4 करोड़ रुपये का आवंटन मिला। जबकि राज्य ने 120 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा था। वहीं, गुजरात को 426.13 करोड़ रुपये मिले। जबकि वह प्रतियोगिता में 21वें स्थान पर रहा। केरल को भी केवल 49.63 करोड़ रुपये आवंटित हुए।
2023-24 में भी तमिलनाडु को 29.5 करोड़ रुपये और केरल को 65.58 करोड़ रुपये मिले। जबकि गुजरात को 606.37 करोड़ रुपये दिए गए। महाराष्ट्र ने सबसे अधिक 58 स्वर्ण पदक और कुल 158 पदक जीते। राज्य को खेलो इंडिया योजना के तहत करीब 87.41 करोड़ रुपये मिले। हरियाणा 39 स्वर्ण पदक के साथ दूसरे और राजस्थान 24 स्वर्ण पदक के साथ तीसरे स्थान पर रहा, जिसे 107.33 करोड़ रुपये मिले।
तमिलनाडु ने राज्य के कई जिलों में खेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए बड़े प्रोजेक्ट्स की योजना बनाई है। जैसे कोयंबटूर में हॉकी और क्रिकेट स्टेडियम, चेन्नई के विभिन्न हिस्सों में मिनी स्टेडियम और रामनाथपुरम में सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक और घास टर्फ फुटबॉल स्टेडियम। लेकिन मंत्रालय से फंड आवंटन में देरी और प्रतिक्रिया न मिलने के कारण इन परियोजनाओं में रुकावट आ रही है।
राज्यसभा सांसद पी. विल्सन ने इस वित्तीय असमानता पर सवाल उठाए हैं। केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय का कहना है कि फंड योजना के तहत आवंटित होते हैं न कि राज्यवार। प्रस्तावों पर विचार उनकी पूरी तैयारी, तकनीकी योग्यता और फंड की उपलब्धता पर निर्भर करता है।
तमिलनाडु में कुल 18 खेलो इंडिया मान्यता प्राप्त अकादमियां, 38 केंद्र और 1 राज्य स्तरीय केंद्र स्थापित हैं। फिलहाल अतिरिक्त केंद्र खोलने का कोई प्रस्ताव नहीं है। वहीं राज्य के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि सभी जिलों में अत्याधुनिक स्टेडियम बनाने की योजना है। लेकिन फंड की कमी से काम प्रभावित हो रहा है।
तमिलनाडु ने कई खेलों में अच्छा प्रदर्शन किया है जैसे एथलेटिक्स, बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, तैराकी आदि। लेकिन कोचों का कहना है कि संसाधनों की कमी के कारण खिलाड़ियों का प्रशिक्षण प्रभावित हो रहा है। प्रस्तावों की मंजूरी में देरी भी समस्या बनी हुई है।
राज्य के अधिकारियों का यह भी कहना है कि फंड आवंटन में भौगोलिक और जनसंख्या आधारित न्याय नहीं हो रहा है। कुछ जिलों को ज्यादा फंड मिलने के कारण अन्य जिलों के प्रस्ताव ठुकरा दिए जाते हैं। पिछले 2-3 वर्षों में केंद्र से कोई ठोस फीडबैक नहीं मिला है।
तमिलनाडु के खेल विभाग ने केंद्रीय मंत्रालय से फंड आवंटन में समानता और शीघ्र कार्रवाई की मांग की है ताकि राज्य में खेल अवसंरचना का विकास तेजी से हो सके और खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण मिल सके।