दूसरों को हिम्मत दे रहीं तान्या सोनी खुद हुई 'जल शिकार', 'सिस्टम' ने मार डाला

हादसे में बाल बाल बचे छात्र का कहना है कि बेसमेंट में कोई बायोमेट्रिक लॉक सिस्टम नहीं था; प्रशासन द्वारा प्रतिक्रिया में देरी हुई.

Update: 2024-07-31 06:02 GMT

Rau's IAS Study Circle Incident: दिल्ली के ओल्ड राजिन्द्र नगर स्थित Rau's IAS Study Circle कोचिंग सेंटर में हुई त्रासदी में 21 वर्षीय ऋषभ पाल तो बाल बाल बच गए, लेकिन उन्हें इस बात का अफ़सोस है कि वो अपने साथी छात्रों का नहीं बचा पाए, जिनमें तान्या सोनी भी शामिल हैं. वो इसलिए भी क्योंकि तनया सोनी ने उन्हें उस समय उम्मीद न छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया था. रिषभ का कहना है कि वो उम्मीद छोड़ चुके थे लेकिन तान्या ही थी, जो हिम्मत बढ़ा रही थी.

गाजियाबाद निवासी ऋषभ उन 25-30 छात्रों में शामिल थे, जो 27 जुलाई की शाम को इमारत के बेसमेंट में फंस गए थे, जहां तान्या, श्रेया यादव और नेविन डाल्विन की बारिश के बाद लाइब्रेरी में भरे पानी से मौत हो गई थी.

'पानी के तेज बहाव के कारण फंसे'
जून में शुरू हुए Rau's IAS Study Circle के बैच M-33 के सिविल सेवा अभ्यर्थी ऋषभ ने पीटीआई-भाषा को बताया, "जब पानी इमारत में घुसने लगा तो हम लोग लाइब्रेरी में थे. गेट के पास मौजूद करीब 10 से 12 छात्र किसी तरह बाहर निकलने में कामयाब रहे, लेकिन हममें से करीब 10-15 छात्र सीढ़ियों पर पानी के तेज बहाव के कारण फंस गए."
ऋषभ ने कहा कि वो उम्मीद खो चुके थे और बस मन में यही विचार आ रहा था कि अब वे सभी मर जाएंगे. लेकिन तान्या सोनी, जो मेरी बैचमेट थी, ने कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है और हम बच जाएंगे. उसने ये भी कहा: 'चलो एक मानव श्रृंखला बनाते हैं.' हमने श्रृंखला बनाने की कोशिश की, लेकिन पानी के बहाव के कारण हम ऐसा नहीं कर सके."

हाउसकीपिंग स्टाफ ने ऋषभ को बाहर निकाला
ऋषभ का कहना है कि पानी लगातार अंदर आ रहा था. तान्या और श्रेया एक मेज़ पर खड़ी थीं. मैंने किसी तरह हिम्मत जुटाई और सीढ़ियाँ चढ़ने लगा. सीढ़ियों के बीच में एक हाउसकीपिंग कर्मचारी ने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाया और मुझे ऊपर खींच लिया.
ऋषभ ने कहा, "मेरे पीछे-पीछे मेरे दोस्त जयदीप और कुछ अन्य लोग भी बाहर आ गए. फिर हमारे संस्थान के कर्मचारी रस्सी लेकर आए और पानी में फंसे अन्य लोगों को बाहर निकाला."
ऋषभ ने कहा कि तान्या और श्रेया शायद सीढ़ियों की ओर नहीं गईं, क्योंकि वे अंदर बह रहे पानी के बहाव से डर गई थीं. उन्होंने कहा, "मुझे नेविन के बारे में नहीं पता, क्योंकि मैंने उसे लाइब्रेरी में नहीं देखा था. हो सकता है कि वो उस समय शौचालय में रहा हो."

'प्रतिक्रिया का नहीं मिला मौका'
रिषभ ने कहा कि उनके पास प्रतिक्रिया करने के लिए न के बराबर समय था, क्योंकि महज 5 से 10 सेकंड के भीतर ही वे घुटनों तक पानी में थे और उसके बाद हालात बदतर होते चले गए.
उन्होंने कहा, "नकुल सबसे आखिर में बाहर आया और उसने हमें बताया कि दो और लड़कियां (तान्या और श्रेया) अभी भी वहां हैं. केवल तीन से चार मिनट में 13 फुट ऊंची लाइब्रेरी पानी से भर गई."
ऋषभ अपने माता-पिता के साथ उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में रहते हैं. उन्होंने संस्थान में एक साल के कोर्स के लिए 1.75 लाख रुपये का भुगतान किया है. उनके पिता एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं, जबकि उनके बड़े भाई नोएडा में एक आईटी कंपनी में काम करते हैं.

'स्टाफ सदस्यों ने छात्रों को बचाने में मदद की'
रिषभ ने बताया कि सभी स्टाफ सदस्यों ने पानी में फंसे हुए छात्रों को बचाने में मदद की.
उन्होंने कहा, "लाइब्रेरी में मौजूद अंकल समेत हर स्टाफ सदस्य ने छात्रों की जान बचाने में हमारी मदद की. अगर उन्होंने तुरंत कार्रवाई नहीं की होती तो हताहतों की संख्या और अधिक होती."

'कोई बायोमेट्रिक लॉक नहीं'
ऋषभ ने उन दावों को सिरे से नकार दिया, जिसमें ये कहा जा रहा था कि बेसमेंट में बायोमेट्रिक लॉक सिस्टम था. रिषभ ने कहा, "मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि बेसमेंट या इमारत के किसी भी हिस्से में कोई बायोमेट्रिक प्रणाली नहीं थी." उन्होंने कहा कि बेसमेंट से दो प्रवेश और निकास द्वार थे.

'प्रतिक्रिया में देरी'
रिषभ ने प्रशासन पर प्रतिक्रिया में देरी का भी आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया, "रात करीब 10 बजे आए एनडीआरएफ अधिकारियों ने हमें बताया कि वे कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि उनके पास कोई उपकरण नहीं है."
उन्होंने कहा, "हो सकता है कि संस्थान का बेसमेंट अवैध रूप से बनाया गया हो, लेकिन इमारत में मौजूद सभी फैकल्टी सदस्यों ने बचाव में हमारी मदद की."
जब वो बाहर आने की कोशिश कर रहा था, तो लाइब्रेरी में टूटे हुए कांच के टुकड़ों से ऋषभ घायल हो गया. उसे प्राथमिक उपचार दिया गया और आगे के इलाज के लिए गंगा राम अस्पताल ले जाया गया.

शीघ्र न्याय की मांग
ऋषभ ने कहा कि वो पीड़ितों के लिए जल्द से जल्द न्याय और इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा की कामना करते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें और संस्थान के अन्य छात्रों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि उन्होंने कोचिंग के लिए मोटी फीस चुकाई है.

( एजेंसी इनपुट्स के साथ )


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