पीएमके में पिता पुत्र के बीच खींचतान, दो तारीखें, दो आम परिषद बैठकों का एलान
हालांकि डॉ. रामदास इस बात पर अड़े हैं कि उनकी बैठक पार्टी की संवैधानिक आवश्यकता 15 दिन के नोटिस के अनुसार है, लेकिन उन्होंने अंबुमणि की बैठक को "अनधिकृत" और "अवैध" घोषित किया है।;
Family Drama In PMK : तमिलनाडु की प्रमुख वन्नियार-आधारित पार्टी पट्टाली मक्कल कच्ची (PMK) एक गहरे आंतरिक संकट से जूझ रही है। पार्टी के संस्थापक डॉ. एस. रामदास और उनके बेटे, पूर्व पार्टी अध्यक्ष डॉ. अंबुमणि रामदास के बीच नेतृत्व को लेकर टकराव अब खुलकर सामने आ गया है। दोनों ने अलग-अलग तारीखों पर महापरिषद की बैठकें बुला ली हैं और एक-दूसरे के वफादारों को पार्टी से निष्कासित करने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है।
यह राजनीतिक झगड़ा अब इतना गहरा हो गया है कि पार्टी कार्यकर्ता 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के विभाजन की आशंका ज़ाहिर कर रहे हैं।
एक पार्टी, दो अलग बैठकें
अंबुमणि रामदास ने 9 अगस्त को महाबलीपुरम में अपनी महापरिषद बैठक बुलाई है, जबकि उनके पिता डॉ. एस. रामदास ने 17 अगस्त को विल्लुपुरम में समानांतर बैठक की घोषणा की है। दोनों खेमों के समर्थक असमंजस में हैं कि किस बैठक में शामिल होना उचित होगा।
डॉ. रामदास का दावा है कि उनकी बैठक पार्टी की संवैधानिक प्रक्रिया — 15 दिन पूर्व सूचना देने के प्रावधान — का पालन करती है, जबकि उन्होंने अंबुमणि की बैठक को "अमान्य" और "अनधिकृत" करार दिया है।
इसके विपरीत, अंबुमणि गुट का कहना है कि पार्टी नियमावली के तहत सात दिन की सूचना पर्याप्त है। वरिष्ठ नेता एडवोकेट के. बालू के अनुसार, “केवल महासचिव ही बैठक की सूचना दे सकते हैं और अध्यक्ष को ही महापरिषद की अध्यक्षता करनी चाहिए। संस्थापक की भूमिका मार्गदर्शन तक सीमित है।”
राजनीतिक अभियान भी विवाद में
राज्य भर में वन्नियार आरक्षण के समर्थन में अंबुमणि द्वारा शुरू किए गए 'उरिमाई मीतपु पयानम' (अधिकार पुनः प्राप्ति यात्रा) को लेकर भी विवाद गहरा गया है। डॉ. रामदास ने इस यात्रा को "अवैध" और "बेकार" बताते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है। उन्होंने पुलिस में शिकायत कर इसे रुकवाने की मांग की है, यह कहते हुए कि यह अभियान उत्तरी तमिलनाडु में कानून-व्यवस्था को बिगाड़ सकता है।
एनडीए को लेकर मतभेद
हालाँकि पीएमके फिलहाल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा है, लेकिन रामदास का कहना है कि उन्होंने अंबुमणि को 2024 के चुनाव में एनडीए के साथ गठबंधन न करने की सलाह दी थी, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया।
एनडीए के प्रति अपनी निष्ठा दोहराते हुए, अंबुमणि ने 4 अगस्त को डीएमके सरकार की आलोचना करते हुए कहा, "सुप्रीम कोर्ट द्वारा वन्नियारों के लिए आरक्षण देने का निर्देश 1,200 दिन पहले आया, लेकिन अब तक कोई अमल नहीं हुआ। गरीबों की ज़मीनों पर कब्ज़ों के मामले में भी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।"
कार्यकर्ताओं की निष्कासन की होड़
दोनों खेमों ने एक-दूसरे के वफादार कार्यकर्ताओं को पार्टी से निकालना शुरू कर दिया है। जुलाई में, डॉ. रामदास ने पार्टी की कार्यकारिणी समिति को भंग कर अंबुमणि के अधिकार छीन लिए। उनका दावा है कि पीएमके के 95% कार्यकर्ता उनके साथ हैं और नेतृत्व का अधिकार केवल उन्हीं के पास है।
जासूसी का सनसनीखेज आरोप
डॉ. रामदास ने अपने ही बेटे अंबुमणि पर जासूसी करवाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके थाईलापुरम फार्महाउस में जासूसी उपकरण मिला है। उन्होंने पुलिस और साइबर क्राइम विभाग में शिकायत दर्ज कराई है और निजी एजेंसी से भी जांच करवाई जा रही है।
युवा कार्यकर्ताओं में हताशा
पीएमके के युवा सदस्य इस पारिवारिक कलह से बेहद निराश हैं। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “हममें से कई लोग पार्टी गतिविधियों से दूरी बना रहे हैं। यह एक पारिवारिक ड्रामा बन गया है, जो अब सार्वजनिक मंच पर चल रहा है। अगर यह दरार जारी रही, तो यह संगठन को विभाजित कर सकती है।”
उन्होंने कहा कि नेताओं की प्राथमिकता अब जनता के मुद्दों की बजाय अपने-अपने वर्चस्व को स्थापित करने में है।
पट्टाली मक्कल कच्ची, जिसने तमिलनाडु की राजनीति में वन्नियार समुदाय की एक सशक्त आवाज़ बनने की कोशिश की, अब नेतृत्व संकट से जूझ रही है। यदि यह आंतरिक कलह जारी रही, तो पार्टी की चुनावी संभावनाओं और संगठनात्मक एकता दोनों को गहरा नुकसान हो सकता है।