यूपी सरकार को चाहिए यही ‘सुपर बॉस‘, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के सेवा विस्तार की सिफारिश
यूपी के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह 31 जुलाई को रिटायर होंगे। सरकार ने उनके सेवा विस्तार के लिए केंद्र को पत्र भेजा है। ऐसे समय में जब यूपी में जनप्रतिनिधि और ब्यूरोक्रेसी में टकराव की चर्चा हो रही है नौकरशाहों के सुपर बॉस पर सबकी नज़र है। आख़िर क्यों हैं मनोज कुमार सिंह यूपी सरकार की पहली पसंद ?;
यूपी में नौकरशाहों और विधायकों-मंत्रियों के बीच तनातनी और आरोप-प्रत्यारोप चरम पर है। ऐसे दौर में उत्तर प्रदेश सरकार ने नौकरशाहों के ‘सुपर बॉस’ मनोज कुमार सिंह को एक साल का सेवा विस्तार दिए जाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र भेजा है।मनोज कुमार सिंह 31 जुलाई को रिटायर हो रहे हैं।अन्य कई अधिकारी भी मुख्य सचिव बनने की दौड़ में हैं।ऐसे में सवाल ये है कि किन परिस्थितियों में मुख्य सचिव का सेवा विस्तार मांगा गया है।
क्या यूपी के मुख्यसचिव मनोज कुमार सिंह का कार्यकाल बढ़ेगा? सूत्रों के अनुसार मनोज कुमार सिंह को एक साल का सेवा विस्तार देने के लिए केंद्र को पत्र भेजा गया है।पत्र में मनोज कुमार सिंह द्वारा यूपी में औद्योगिक विकास के लिए किए गए प्रयासों का जिक्र है।इधर जनप्रतिनिधियों और ब्यूरोक्रेसी के बीच टकराव जारी है।पिछले दो महीने में ही डिप्टी सीएम समेत कई मंत्री अपने-अपने विभाग के आला अधिकारियों की कार्यशैली को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं। यहाँ तक कि ट्रांसफ़र सीज़न भी इस टकराव के बीच बीता।
ये बातें सार्वजनिक रूप से सामने आती रही हैं। प्रदेश में नौकरशाहों के ‘सुपर बॉस’ और सबसे ताकतवर अधिकारी माने जाने वाले मुख्य सचिव की ज़िम्मदारी ब्यूरोक्रेसी और सभी प्रशासनिक कार्यों का नेतृत्व करना है।ज़ाहिर है ब्यूरोक्रेसी और जनप्रतिनिधियों के टकराव को कम करने की जिम्मेदारी भी मुख्य सचिव की मानी जा सकती है। लेकिन अभी तक कोई ऐसी पहल दिखाई नहीं पड़ी है। सियासी गलियारों में इस बात की भी चर्चा होती रही है कि मंत्रियों की शिकायतों के बाद क्या हुआ? एक डिप्टी सीएम द्वारा अपने विभाग के एक अधिकारी की कार्यशैली से नाराज़गी और शिकायत के बावजूद उन्हें और ताकतवर बनाते हुए उनको दूसरे विभाग का अतिरिक्त चार्ज भी दे दिया गया है। इन्हीं परिस्थितियों के बीच अब यह सवाल भी पॉवर कॉरीडोर में पूछा जा रहा है कि क्या मनोज कुमार सिंह को कार्य विस्तार मिलेगा?
औद्योगिक विकास और वन ट्रिलियन इकॉनमी के लक्ष्य के लिए सरकार को चाहिए सबसे भरोसेमंद अधिकारी
जानकारी के अनुसार मनोज कुमार सिंह को एक साल का सेवा विस्तार देने के लिए केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को पत्र भेजा गया है।उसमें कई तर्क दिए गए हैं।1988 बैच के आईएस अधिकारी मनोज कुमार सिंह यूपी सरकार के सबसे भरोसेमंद अफसर माने जाते हैं।सूत्रों के अनुसार मनोज कुमार सिंह के एक्सटेंशन की यूपी सरकार कई वजहें बता रही है। मनोज कुमार सिंह पर मुख्यमंत्री का भरोसा इस बात से भी ज़ाहिर होता है कि उनके पास कई ऐसी महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियाँ हैं जो सीधे तौर पर प्रदेश के आर्थिक विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी हैं। ज़ाहिर है इन विभागों का परफॉरमेंस सीधे तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विकास के दावे से जुड़ा हुआ है।
मुख्यमंत्री का पसंदीदा अफ़सर होने की वजह से विकास कार्य से जुड़े सारे महकमे की ज़िम्मेदारी मनोज कुमार सिंह को दी गई है।इसमें से एक औद्योगिक विकास आयुक्त (IIDC) की ज़िम्मेदारी है जो इस समय यूपी में निवेश और आर्थिक विकास के लिए सबसे अहम माना जा रहा है।मनोज कुमार सिंह के पास दूसरा अहम पद उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (UPEIDA) के सीईओ का है।उत्तर प्रदेश ने एक्सप्रेसवे के निर्माण को लेकर पिछले दिनों काफ़ी काम किया है।गंगा एक्सप्रेसवे से लेकर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे तक इसका प्रमाण है।
सूत्रों के अनुसार यूपी में वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी के लक्ष्य के लिए इन्वेस्टर समिट 3.0 (investor summit ) और ग्राउंड ब्रेकिंग इसी साल के अंत में होना है।इसकी वजह से भी सरकार अपने सबसे भरोसेमंद अधिकारी को बनाए रखना चाहती है।सूत्रों के अनुसार ज़ाहिर तौर पर इन वजहों के अलावा सरकार की नज़र त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर निभाईं जो 2026 के शुरू में होने हैं। ऐसे में सरकार अपने ‘टेस्टेड ‘ अधिकारी को सबसे मुख्य दायित्व पर रखना चाह रही है।
यूपी में मुख्य सचिवों का सेवा विस्तार मांगने की पहले भी रही है परम्परा
वैसे देखा जाए तो यूपी में मुख्य सचिव के लिए सेवा विस्तार मांगने का यह कोई पहला मौक़ा नहीं है।समाजवादी पार्टी की सरकार में मुख्य सचिव आलोक रंजन के लिए सेवा विस्तार मांगा था और केंद्र ने 6 महीने का सेवा विस्तार दे भी दिया था।यूपी में बीजेपी सरकार बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपने तत्कालीन मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडे के लिए एक साल का सेवा विस्तार मांगा था जिस पर उनको 6 महीने का सेवा विस्तार मिला था।मनोज कुमार सिंह से पहले मुख्य सचिव रहे दुर्गा शंकर मिश्र के लिए भी योगी सरकार में दो बार सेवा विस्तार मांगा और उन्हें दोनों बार सेवा विस्तार मिला था।
अब यूपी सरकार मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के लिए सेवा विस्तार मांगा है।यहाँ यह बात महत्वपूर्ण है कि इससे पहले के जिन मुख्य सचिवों को सेवा विस्तार दिया गया था उन पर किसी तरह के कोई आरोप नहीं थे।इस कड़ी में मनोज कुमार सिंह थोड़े कमज़ोर हैं क्योंकि जिस औद्योगिक विकास को रफ़्तार को ‘गियर अप’ करने का तर्क दिया गया है उसी औद्योगिक विकास महकमे में दो बड़ी कंपनियों को करोड़ों रुपए माफ़ करने पर सवाल उठ चुके हैं।
कई अधिकारी हैं मुख्य सचिव की रेस में
फ़िलहाल यूपी सरकार ने मनोज कुमार सिंह के एक्सटेंशन के लिए अपने तर्क दिए हैं।लेकिन कई और नाम भी मुख्य सचिव बनने की दौड़ में हैं।1990 बैच के अधिकारी दीपक कुमार का नाम रेस में है।वहीं मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर मुख्य सचिव 1989 बैच के आईएएस अधिकारी एसपी गोयल का नाम भी चर्चा में है।1989 बैच के आईएएस अधिकारी देवेश चतुर्वेदी भी रेस में है। अभी देवेश चतुर्वेदी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं।
इन परिस्थितियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि गेंद केंद्र सरकार के पाले में है।अंतिम निर्णय केंद्र को ही लेना है।30 जुलाई को यह स्थिति साफ़ हो जाएगी।अगर केंद्र सरकार ने मनोज कुमार सिंह को कार्यविस्तार नहीं दिया तो 1अगस्त को यूपी सरकार को नया मुख्य सचिव नियुक्त करना होगा।