हाथरस भगदड़ केस में 6 अधिकारी निलंबित, एसआईटी रिपोर्ट के बाद कार्रवाई

हाथरस भगदड़ मामले में जांच कर रही एसआईटी ने करीब 300 पन्नों की रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. इस रिपोर्ट में भोले बाबा के नाम का जिक्र तक नहीं है.

Update: 2024-07-09 07:33 GMT

Hathras Stampede SIT Report: उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत के एक सप्ताह बाद जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने करीब 300 पन्नों की रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई इस रिपोर्ट में भोले बाबा के नाम का जिक्र तक नहीं है. केवल आयोजकों और अफसरों को जिम्‍मेदार माना गया है. इसके बाद शासन ने कार्रवाई करते हुए सिकंदरामऊ के एसडीएम, सीओ और तहसीलदार समेत छह लोगों को सस्‍पेंड कर दिया है. इनमें चौकी इंचार्ज कचौरा और पोरा भी शामिल हैं.

सूत्रों ने अनुसार, रिपोर्ट में भगदड़ के पीछे भीड़भाड़ को मुख्य कारण बताया गया है. सत्संग में 2 लाख से अधिक लोग पहुंचे थे. जबकि, 80,000 लोगों के लिए अनुमति मांगी गई थी. जानकारी के अनुसार, रिपोर्ट में 119 लोगों के बयान शामिल किए गए हैं. रिपोर्ट में हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट आशीष कुमार, पुलिस अधीक्षक निपुण अग्रवाल, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट और अन्य के बयान भी शामिल हैं. 2 जुलाई को भगदड़ वाले दिन ड्यूटी पर मौजूद पुलिस अधिकारियों के बयान भी शामिल किए गए. एसआईटी रिपोर्ट में पीड़ित परिवारों के बयान भी शामिल हैं. वहीं, इससे पहले उत्तर प्रदेश न्यायिक आयोग की टीम ने हाथरस भगदड़ मामले में कई चश्मदीदों के बयान दर्ज किए थे.

बता दें कि हादसे के बाद 6 जुलाई को भोले बाबा उर्फ सूरज पाल सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. वही, हाथरस भगदड़ के मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर को 5 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था. इस बीच बाबा के वकील एपी सिंह ने दावा किया था कि यह दुर्घटना कुछ अज्ञात लोगों द्वारा कार्यक्रम के दौरान जहर छिड़कने के कारण हुई है. सिंह ने दावा किया कि भगदड़ मचाने के बाद साजिशकर्ताओं का ग्रुप कार्यक्रम स्थल से भाग गया था.

वहीं, रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्संग आयोजित करने वाली समिति अनुमत संख्या से अधिक लोगों को बुलाने, पर्याप्त व्यवस्था नहीं करने और घटनास्थल का निरीक्षण नहीं करने के लिए जिम्मेदार थी. एसआईटी रिपोर्ट में हाथरस भगदड़ के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है और राज्य में भविष्य में इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित करने के लिए सुझाव और दिशानिर्देश भी दिए गए हैं.

एसआईटी रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोजक मुख्‍य जिम्‍मेदार हैं. स्‍थानीय प्रशासन की भी जवाबदेही तय की गई है. हादसे के पीछे साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता है. गहन जांच की जरूरत है. भीड़ के लिए पर्याप्त इंतज़ाम नहीं किए गए थे. स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया था, साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों को भी इसकी समुचित जानकारी नहीं दी गई.

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