वृन्दावन के मंदिरों में मिठाई की जगह प्राचीन प्रसाद उपयोग करने का निर्णय
वृन्दावन में धर्म रक्षा संघ ने ये निर्णय लिया है कि मंदिरों में बाज़ार की मिठाइयों की जगह पंच मेवा, फल, इलायची दाने जैसे प्राचीन प्रसादम का ही उपयोग किया जाये.
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-09-26 17:56 GMT
Vrindavan Prasadam: वृन्दावन के मंदिरों में प्रसाद में अब पंचमेवा, इलायची दाना, मिश्री, फल और फूल प्रसाद के रूप में चढ़ाये जाने वाले 'प्राचीन प्रसादम' का निर्णय लिया गया है. ये निर्णय आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में 'मिलावटी' लड्डू चढ़ाए जाने को लेकर उपजे आक्रोश के बाद लिया गया है. निर्णय स्थानीय धार्मिक संस्था द्वारा लिया गया है, जिसने बाजार में बिकने वाली मिठाइयों का प्रसाद के रूप में इस्तेमाल न करने की बात कही है.
बुधवार को वृंदावन में आयोजित एक बैठक में धर्म रक्षा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सौरभ गौड़ ने कहा कि देश भर के मंदिरों में प्रचलित प्रसादम प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, "धार्मिक नेताओं और संगठनों के बीच शुद्ध सात्विक प्रसादम अर्पित करने और स्वीकार करने की पारंपरिक हिंदू प्रथाओं पर लौटने के लिए आम सहमति बन गई है."
वृंदावन के मंदिरों पर महत्वपूर्ण प्रभाव रखने वाली संस्था ने कहा कि वह सभी स्थानीय धार्मिक संस्थाओं को अपना दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी.
सात्विक भोग के लिए किया जा रहा है खाका तैयार
संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महंत देवानंद परमहंस ने सुझाव दिया कि भारत के सभी मंदिरों को "प्राचीन प्रथा" के अनुरूप पंचमेवा, इलायची के बीज और मिश्री के साथ मौसमी फल वितरित करने चाहिए. संघ के राष्ट्रीय संयोजक आचार्य बद्रीश महाराज ने खुलासा किया कि संगठन 'सात्विक भोग' के लिए एक "खाका" विकसित कर रहा है. यह कदम तिरुपति लड्डू विवाद के मद्देनजर प्रसाद की सुरक्षा और प्रामाणिकता के प्रति बढ़ती चिंता को दर्शाता है.
ज्ञात रहे कि पिछले सप्ताह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान तिरुपति मंदिर में लड्डू तैयार करने में घटिया सामग्री और पशु चर्बी का इस्तेमाल किया गया था. वहीं, वाईएसआरसीपी ने नायडू पर राजनीतिक लाभ के लिए "घृणित आरोप" लगाने का आरोप लगाया. नायडू ने इन दावों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल की घोषणा की है.