कुदरत ने खुद तबाह की अपनी सुन्दरता, वायनाड में भूस्खलन के भयावह निशान

कल तक अपने मनोरम दृश्यों के लिए विख्यात मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टमाला और नूलपुझा गांवों की तस्वीर अब बेहद डरावनी हो चुकी है. अन्य हिस्सों से इन इलाकों में रहने वाले लोगों का संपर्क टूट गया है.

Update: 2024-07-30 07:51 GMT

Wayanad Landslide : केरल का वायनाड जो किसी जन्नत से कम नहीं समझा जाता था, वो एक ही रात में तीन बार हुए भू स्खलन से जेह्न्नुम में तब्दील हो गया है. हर तरफ कीचड़ और मलबे के ढेर लगे हैं, जिनके निचे अब तक लगभग 47 जिंदगियां दम तोड़ चुकी हैं और लगभग 500 से ज्यादा लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है. गाँव के गाँव गायब हो चुके हैं. पुल और सडकें बह चुकी हैं. अपने अविरल जल के लिए जाने जाने वाली नदियों में आज लोगों के शव इधर से उधर बहते नजर आ रहे हैं.

मंगलवार की सुबह वायनाड की अब तक की सबसे भयावह रही होगी, जिसने आँख खोली उसने सिर्फ और सिर्फ तबाही का मंजर ही देखा. इस तबाही की शुरुआत सोमवार/मंगलवार की दरमियानी रात से ही शुरू हो चुकी थी. जैसे ही वायनाड में मुसलाधार बारिश की शुरुआत हुई, मानों कुदरत ने वैसे ही इस तबाही की स्क्रिप्ट लिख दी.




 

कैसे शुरू हुआ 'मौत का सैलाब'?
अभी तक की जानकारी के अनुसार केरल के वायनाड में सोमवार से ही बारिश का सिलसिला शुरू हो चुका था, वो भी तेज बारिश का. इसे देखते हुए मौसम विभाग ने मंगलवार को मलप्पुरम, कोझिकोड, वायनाड, कासरगोड और कन्नूर जिलों में रेड अलर्ट घोषित कर दिया था. लगातार हुई तेज बारिश के चलते हुए भूस्‍खलन से कई मकान और गाडि़यां ताश के पत्तों की तरह ढह गए और पानी में बह गए. आधी रात के बाद लगभग एक बजे मुंडक्कई कस्बे में पहला भूस्खलन हुआ. अभी बचाव दल यहाँ काम कर ही रहा था कि तड़के लगभग 4 बजे चूरलमाला स्कूल के पास दूसरा भूस्खलन हुआ. यहां एक स्कूल, आस-पास के घरों और दुकानों में पानी और कीचड़ भर गया.




 चूरलमाला में दिखाई का तबाही का मंजर

इस भीषण भूस्खलन से सबसे ज्यादा तबाही चूरलमाला में देखने को मिल रही है. गाँव का एक बड़ा हिस्सा शहर के भूस्खलन में बह गया. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ आदि बचाव दल के कर्मी भी इस बात का सही से अंदाजा नहीं लगा पाए थे कि आखिर ये त्रासदी कितनी भयंकर है. उनका कहना है कि उन्हें अंदाजा ही नहीं था कि आपदा कितनी बड़ी है. रात 2 बजे से सुबह 6 बजे के बीच इलाके में एक के बाद एक 3 भूस्खलन की घटना हुई. भारी भूस्खलन के बाद दुकानों और वाहनों सहित चूरलमाला शहर का एक हिस्सा लगभग पूरी तरह से बर्बाद हो गया है. जिस तरह से एक के बाद एक तीन बार भूस्खलन हुआ, उसकी वजह से लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिला.

पेड़ों पर लटकी दिखी कारें
भूस्खलन की वजह से सड़कों पर कड़ी कार बह गयीं. कई जगहों पर कारें पेड़ पर लटकी दिखीं, तो कई जगहों पर पानी के बीच तैरती दिखीं या डूबी हुई दिखीं. इतना ही नहीं जो पर्यटक यहाँ आये थे, वे भी फंस गए हैं. अट्टामाला, जहाँ बड़ी संख्या में होमस्टे हैं, वो इलाका बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. कई पर्यटकों के फंसने की सुचना है. घटनास्थल का जायजा लेने पहुंचे केरल के वन मंत्री ए.के. ससीन्द्रन का कहना है कि इस प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान का आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी. उन्होंने कहा, हमारी प्राथमिकता लोगों को रेस्क्यू करने और उन्हें बेहतर उपचार देने की है. हमने बचाव अभियान शुरू कर दिया है और हेलीकॉप्टरों के आने का इंतजार कर रहे हैं. जल्द ही एक नया रोपवे बनाने का काम शुरू किया जाएगा. सेना एक अस्थायी पुल भी बनाएगी, ताकि पुल के बह जाने के बाद फंसे लोगों को बचाया जा सके." 



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