पहले गुरु से की बगावत अब दे दी पटखनी, कुछ ऐसा है प्रेम सिंह तमांग का सियासी सफर
सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की है. प्रेम सिंह तमांग की पार्टी ने सिक्किम में क्लीन स्वीप कर दिया. तमांग का सरकारी शिक्षक से लेकर राजनीति का यह सफर दिलचस्प है
Prem Singh Tamang: आम चुनाव 2024 के साथ ही चार विधानसभाओं के लिए भी चुनाव कराए गए थे. सिक्किम उनमें से एक है. सिक्किम के नतीजे 2 जून को घोषित हुए. इन नतीजों में जहां बीजेपी और कांग्रेस की झोली खाली रह गई. वहीं उस शख्स ने बाजी मारी जिसने कभी अपने गुरु से बगावत की थी. उस शख्स का नाम प्रेम सिंह तमांग है. प्रेम सिंह तमांग की पार्टी का नाम सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा है जिसने 31 सीटों पर कब्जा जमा क्लीन स्वीप कर दिया. 1994 से राजनीति पारी का आगाज करने वाले प्रेम सिंह तमांग कौन हैं उनके बारे में आप भी जानना चाहेंगे कि आखिर वो शख्स कौन है जिसने अपनी करियर की शुरुआत सरकारी शिक्षक से की और आज सिक्किम की बागडोर संभालने जा रहा है.
कौन हैं प्रेम सिंह तमांग
5 फरवरी 1968 को पश्चिम सिक्किम के सिंग्लिंग बस्टी में प्रेम सिंह तमांग का जन्म हुआ था. पिता कालू सिंह तमांग और मां धन माया तमांग है. 20 साल की उम्र में दार्जिलिंग के गवर्नमेंट कॉलेज से ग्रेजुएट हुए.पढ़ाई लिखाई के बाद सरकारी शिक्षक बने. शिक्षण कार्य के दौरान भी सामाजिर कार्यों में दिलचस्पी लिया करते थे और उसका असर यह हुआ कि इलाके में मान सम्मान और बढ़ा. शिक्षण के काम में मन तो लगता था. लेकिन झुकाव राजनीति की तरफ होने लगा. उस समय सिक्किक की सत्ता पर पवन चामलिंग काबिज थे. सिक्किम में उनकी पार्टी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट(एसडीएफ) का ही बोलबाला था. प्रेम सिंह तमांग भी एसडीएफ से जुड़ गए. बाद में सरकारी नौकरी को छोड़ एसडीएफ के स्थाई सदस्य भी बन गए. अपने कार्य कुशलता से वो पवन कुमार चामलिंग के करीब पहुंचे और राजनीति का ककहरा सीखा. चामलिंह को प्रेम सिंह तमांग अपना गुरु मानते थे.
1994 से राजनीतिक सफर
1994 वो वर्ष था जब प्रेम सिंह तमांग ने विधानसभा का चुनाव लड़ा. सोरेंग चाकुंग सीट पर उन्होंने एसडीएफ के टिकट पर जीत दर्ज की. विधायक बनने के बाद उन्हें मंत्री बनने का मौका मिला. 1994 से 1999 तक पशुपालन और उद्योग विभाग के मंत्री भी बने. 1999 में दोबारा वो सोरेंग चाकुंग से ही विधायक चुने गए. एक बार फिर 2004 तक पशुपालन और उद्योग विभाग की जिम्मेदारी मिली. एसडीएफ से रिश्ता उनका ठीक चल रहा था. लेकिन सिक्किम में कर्मचारियों के रोलू पिकनिक कार्यक्रम को लेकर सरकार से विवाद बढ़ा. यहीं से उन्होंने खुद के लिए रास्ता बनाना शुरू किया. 2013 आते आते एसडीएफ के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया.
2013 में एसकेएम का गठन
2013 में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट से इस्तीफा देने के बाद सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा पार्टी का गठन किया. ठीक एक साल बाद 2014 में सिक्किम विधानसभा चुनाव में उतर. खास बात यह कि जब नतीजा आया तो सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के खाते में 10 सीटें भी आईं. करीब 43 फीसद मत भी हासिल हुए थे. राजनीति के जानकारों ने कहा कि अब वो समय आ रहा है जब पवन कुमार चामलिंग की चमक फीकी पड़ सकती है. एक तरफ प्रेम सिंह तमांग का राजनीतिर ग्राफ तेजी से ऊपर चढ़ रहा था तो उनके दामन पर भ्रष्टाचार के छीटें भी पड़े. आरोप यह लगा था कि 1999 से 2004 के दौरान मंत्री रहते हुए पैसों की हेराफेरी की थी. अदालत ने दोषी माना और तमांग की विधायकी चली गई. हालांकि 2019 में नाटकीय घटनाक्रम में तमांग की अगुवाई में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को जीत मिली और 24 साल के बाद पवन कुमार चामलिंग सरकार की विदाई हो गई.अब एक बार फिर सिक्किन की जनता ने तमांग के नाम पर जबरदस्त तरीके से मुहर लगा दी है.