कुंभ में 2 दर्जन से अधिक मौतें, आखिर इनका जिम्मेदार कौन?

Maha Kumbh में मची भगदड़ के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि आखिर यह घटना किस वजह से हुई. इसके लिए क्या प्रशासनिक लापरवाही जिम्मेदार है या फिर योजनाओं में कोई कमी रह गई थी.;

Update: 2025-01-29 14:23 GMT

Prayagraj Maha Kumbh stampede: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ (Maha Kumbh) में बीती रात एक दर्दनाक हादसा हुआ. जब रात करीब 2 बजे संगम नोज में भगदड़ मच गई. इस भगदड़ में अब तक 30 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि 60 लोग घायल हो गए हैं. हालांकि, जब मेले में भगदड़ या किसी अन्य वजह से लोगों की मौत हो जाती है तो सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इस त्रासदी के लिए ज़िम्मेदार कौन है?

बता दें कि बुधवार को मौनी अमावस्या के अवसर पर संगम घाटों पर पवित्र स्नान के लिए भारी भीड़ उमड़ी थी. महाकुंभ (Maha Kumbh) के डीआईजी वैभव कृष्ण ने बुधवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि श्रद्धालु ब्रह्म मुहूर्त का इंतजार कर रहे थे, तभी कुछ श्रद्धालु अचानक दर्शन करने के लिए आ गए. पीछे से आई भीड़ के कारण भगदड़ मच गई. आज मौनी अमावस्या का मुख्य स्नान था. बेला क्षेत्र में अखाड़ा मार्ग में भीड़ का दबाव बना और भीड़ दूसरी तरफ कूद गई. एंबुलेंस से कुल 90 लोगों को अस्पताल भेजा गया था. इनमें 30 लोगों की मौत हो गई. इसमें से 25 की शिनाख्त हो चुकी है. उन्होंने कहा कि घायलों की जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर 1920 जारी किया गया है.

बिगड़ा संतुलन

वहीं, घटना के दौरान मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि श्रद्धालु अपने सामान के साथ थे. नहाने के बाद यह नहीं समझ पा रहे थे कि उन्हें जाना कहां है. वहां कचरे के बहुत सारे डिब्बे थे, जिन्हें लोग देख नहीं पाए. कुछ लोग संतुलन खोकर गिर गए, उनका सामान इधर-उधर बिखर गया. भीड़ में मौजूद युवा लोगों को धक्का देने लगे, जिससे भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई. हमने जो कुछ भी देखा, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है.

निरंजनी अखाड़े में संख्या घटी

पंचायती निरंजनी अखाड़े के दिगंबर नागा बाबा चिदानंद पुरी ने कहा कि महाकुंभ में आज भगदड़ जैसी स्थिति के बाद निरंजनी अखाड़े के संत और साधु अब कम संख्या में संगम स्नान करने आ रहे हैं.

प्रशासनिक लापरवाही या योजना की कमी?

महाकुंभ (Maha Kumbh) में मची भगदड़ के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि आखिर यह घटना किस वजह से हुई. इसके लिए क्या प्रशासनिक लापरवाही जिम्मेदार है या फिर योजनाओं में कोई कमी रह गई थी. क्या प्रशासन ने अनुमानित भीड़ के हिसाब से इंतज़ाम किए थे? अगर हां, तो भगदड़ जैसी स्थिति क्यों बनी? क्या पर्याप्त पुलिस बल और सुरक्षा कर्मी तैनात थे? अगर थे, तो वे भगदड़ रोकने में असमर्थ क्यों रहे? क्या वहां वैकल्पिक रास्ते और मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध थीं? घायलों को समय पर मदद क्यों नहीं मिली?

आयोजकों की ज़िम्मेदारी

धार्मिक आयोजनों में अक्सर सरकार और धार्मिक संस्थाएं मिलकर व्यवस्थाएं संभालती हैं. कई बार साधु-संतों के अखाड़े, आश्रम और स्थानीय संगठनों को भीड़ नियंत्रण में सहयोग करने के लिए कहा जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आयोजकों ने भी अपनी ज़िम्मेदारी सही ढंग से निभाई थी? संतों की शोभायात्राओं और स्नान के लिए अलग-अलग समय निर्धारित किया गया था? क्या लोगों को नियमों और सावधानियों की जानकारी दी गई थी? क्या व्यवस्था इतनी पारदर्शी थी कि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके?

श्रद्धालु भी ज़िम्मेदार?

कई बार श्रद्धालु भी अपने उत्साह में नियमों का पालन नहीं करते. वे बैरिकेड्स तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं, भीड़ के दबाव में धैर्य खो देते हैं और अफवाहों से घबराकर भगदड़ मचा देते हैं. ऐसे में जरूरी है कि पर्याप्त जागरूकता अभियान चलाए गए हो. पर्याप्त संकेतक और दिशा-निर्देशों का इस्तेमाल किया गया है.

ऐसी घटनाओं को टाला जा सकता था?

कुंभ (Maha Kumbh) में भगदड़ या अन्य दुर्घटनाएं नई बात नहीं हैं. इतिहास में कई बार ऐसे हादसे हुए हैं. फिर भी हर बार व्यवस्थाएं नाकाम क्यों हो जाती हैं? ऐसे में जरूरी है कि कुंभ जैसे आयोजनों में भीड़ नियंत्रण के लिए टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल किया जाए. सुरक्षा और इमरजेंसी सेवाओं को अपग्रेड करने की ज़रूरत है. अब समय आ गया है कि सरकार और धर्मगुरु मिलकर एक स्थायी योजना बनाएं, जिससे हर कुंभ में भीड़ नियंत्रण सुनिश्चित हो सके.

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