क्या यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर फिर तानी जा रही है सियासी बंदूक?
हाल ही में यूपी में सियासी तौर पर तीन बड़े बयान आए। दो बयान बीजेपी के विधायकों के और एक बयान सहयोगी सुभासपा के विधायक का। इन बयानों के बाद चर्चा सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर होने लगी।;
Yogi Adityanath News: आम चुनाव 2024 के नतीजे जब सामने आए तो बीजेपी का अपने दम पर केंद्र में सरकार बनाने का सपना टूटा। नरेंद्र मोदी तीसरी दफा सरकार में हैं। लेकिन फर्क ये कि उनको जेडीयू और टीडीपी बैसाखी की मदद लेनी पड़ी। ऐसे में तब भी और आज भी लोग कहते हैं कि अगर यूपी ने थोड़ा साथ दिया होता तो यह नौबत नहीं आती। दरअसल आम चुनाव 2024 के नतीजों में यूपी से बीजेपी की सीट संख्या में करीब 30 की कमी हो गई। यह वो नंबर था जिसकी वजह से बीजेपी अपने दम पर 272 का आंकड़ा नहीं छू सकी। इसके लिए कभी दबी जुबान तो कभी खुलकर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को जिम्मेदार बताया गया। इन सबके बीच यह खबर भी उड़ने लगी कि सीएम बदले जा सकते हैं। अब सीएम बदले जा सकते हैं उसके पीछे भी वजह थी।
यूपी सरकार में सीएम योगी आदित्यनाथ के दो नायब हैं, पहला केशव प्रसाद मौर्य और दूसरा नाम ब्रजेश पाठक। अगर आपको जुलाई 2024 से लेकर अक्तूबर 2024 का कालखंड याद हो तो केशव मौर्य लखनऊ से लेकर दिल्ली का खूब चक्कर लगाते थे। उनके इस शटल अभियान पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तंज कसने का मौका नहीं छोड़ते थे। लेकिन बीजेपी और संघ की समीक्षा में यह बताया गया कि हार के लिए कोई चेहरा नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर तैयारी में कमी, उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी थी तो उसका असर ऐसे हुआ कि जैसे केशव प्रसाद मौर्य और योगी आदित्यनाथ में कभी शीतयुद्ध नहीं था। केशव प्रसाद मौर्य ने खुलकर अपनी बात कही कि यह तो खबरवालों की माया है जो कहानी ढूंढते रहते हैं। लेकिन क्या अक्तूबर 2024 के बाद सीएम योगी को हटाने की मुहिम चल रही है।
हाल ही में यूपी के अलग अलग हिस्सों में तीन घटनाएं हुईं। हरदोई की रैली में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के मंच से बीजेपी के एक विधायक ने कहा कि अब बाबा यानी योगी आदित्याथ को केंद्र में जाना चाहिए। केशव जी को मौका मिलना चाहिए। उन्होंने समर्थन में भीड़ से हाथ उठवाए। दूसरे विधायक नंद किशोर गुर्जर गाजियाबाद के लोनी से विधायक हैं। गोवंश की तस्करी को लेकर वो जिला प्रशासन पर पहले से आरोप लगाते रहे हैं। हाल ही में एक कार्यक्रम को लेकर पुलिस से झड़प हुई। उसके बाद उन्होंने यूपी के डीजीपी पर दुश्मनी का आरोप लगा दिया। हालांकि उन्हे पार्टी की तरफ से नोटिस मिला है। इसके साथ ही बस्ती के महादेवा से सुभासपा के विधायक दूधराम ने कहा कि यूपी में कोई रामराज्य नहीं है। अब इन तीन घटनाओं के बाद यूपी की सियासी फिजा में फिर से सीएम बदले जाने की चर्चा तेज होने लगी।
इस विषय पर हिंदुस्तान टाइम्स की कंसल्टिंग एडिटर और वरिष्ठ पत्रकार सुनीता ऐरन ने द फेडरल देश से खास बातचीत में इस तरह की खबरों को जमीनी हकीकत से दूर बताया। उन्होंने तीनों घटनाओं पर बात करने से पहले कहा कि अगर योगी आदित्यनाथ को हटाना ही रहा होता तो 2024 से बेहतर माहौल क्या था। यूपी से बीजेपी को जितने नंबर आने चाहिए थे वो नहीं मिले और उसका नतीजा आप देख भी रहे हैं। उस वक्त माहौल था। लेकिन अब वो माहौल कहां है, आप देखिए कि आरएसएस का भले यह मानना हो कि हर मस्जिद के नीचे मंदिर देखने की आवश्यकता नहीं है, बावजूद योगी आदित्यनाथ अपने हिंदूवादी एजेंडे पर आगे बढ़ रहे हैं। आप महाकुंभ को देखिए भगदड़ में हुई मौत से अधिक 66 करोड़ लोगों के स्नान की हो रही है, खुद पीएम मोदी महाकुंभ की तारीफ करते नहीं थकते। सियासी और वैचारिक तौर पर भले ही यूपी का कुछ धड़ा इत्तेफाक नहीं रखता हो। लेकिन कानून व्यवस्था की तारीफ होती है। उनके ऊपर भ्रष्टाचार की छीटें नहीं पड़ी हैं। ऐसी सूरत में कोई वजह नहीं कि उन्हें बदला जाए।
सुनीता ऐरन कहती हैं कि जिस नंद किशोर गुर्जर की बात कर रहे हैं उन्हें खुद पार्टी की तरफ से नोटिस मिल चुकी है। दरअसल वो जो कुछ कहते हैं वो एक खास राजनीतिक दायरे में प्रासंगिक बनाए रखने की कोशिश मात्र है। इसके साथ ही अगर केशव मौर्य के समर्थन में किसी विधायक ने कुछ कहा तो उसे आप छिटपुट घटना के तौर पर मान सकते हैं। यही बात सुभासपा पर फिट बैठती है। सरकार को पानी पिलाने की बात करने वाले सुभासपा प्रमुख को मंत्री पद हासिल करने के लिए महीनों इंतजार करना पड़ा। दरअसल यह सबको पता है कि किसी को भी कुर्सी से बेदखल करना है तो अच्छी खासी संख्या में विधायकों का समर्थन चाहिए। आप इसे विधायकों की बगावत का नाम भी दे सकते हैं। हकीकत में यूपी में किसी तरह का बदलाव तभी संभव है जब केंद्र की सरकार में बदलाव हो। सरकार के चेहरे संगठन का हिस्सा बनें या संगठन से जुड़े लोग सरकार में जाएं। मौजूदा समय में यूपी की सियासत में सीएम चेहरे में बदलाव की गुंजाइश दूर की कौड़ी लगती नजर आती है।