आखिर कौन हैं बिभव कुमार? जिन पर स्वाति मालीवाल ने लगाया मारपीट का आरोप

वैसे तो बिभव सीएम केजरीवाल के पीए हैं, लेकिन दोनों के बीच बॉस और कर्मचारी से बढ़कर रिश्ता है. केजरीवाल उन पर काफी भरोसा करते हैं.

Update: 2024-05-17 12:35 GMT

Bibhav Kumar: आम आदमी पार्टी (आप) की राज्यसभा सांसद स्वाति मालिवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बिभव कुमार पर मारपीट का आरोप लगाया है. हालांकि, इससे पहले भी बिभव कुमार तब सुर्खियों में आए थे, जब सीएम केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में नियमित मिलने वाले 6 नामों की सूची में उनका नाम लिखवाया था. इस सूची में कुमार के अलावा केवल केजरीवाल की पत्नी, बेटा, बेटी और "आप" महासचिव संदीप पाठक शामिल थे. वैसे तो बिभव सीएम केजरीवाल के पीए हैं, लेकिन दोनों के बीच बॉस और कर्मचारी से बढ़कर रिश्ता है. केजरीवाल उन पर काफी भरोसा करते हैं. ऐसे में हर कोई यह जानना चाहता है कि केजरीवाल के पीए बिभव कुमार आखिर कौन हैं?

एनजीओ में साथ करते थे काम

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, स्वाति मालीवाल और बिभव कुमार दोनों ने लगभग एक ही समय में सीएम केजरीवाल के साथ काम करना शुरू किया था. बिहार के रहने वाले कुमार के केजरीवाल और मनीष सिसौदिया के साथ बहुत पुराना रिश्ता है. बिभव केजरीवाल और सिसोदिया के साथ परिवर्तन एनजीओ में साथ काम करते थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुमार के भी वही करीबी रिश्ते हैं, जो केजरीवाल के सिसोदिया से हैं. विभव कुमार साल 2011 में ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ आंदोलन द्वारा प्रकाशित एक पत्रिका के लिए वीडियो संपादित करते समय केजरीवाल के करीब आए थे. इसके बाद साल 2015 में जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने सरकार बनाई तो वह केजरीवाल के निजी सचिव बनें. इसके बाद साल 2020 में सरकार बनने के बाद भी बिभव को दोबारा उसी पद पर नियुक्त किया गया.

केजरीवाल की आंख-कान हैं बिभव कुमार

राइट-हैंड मैन रिपोर्टों के अनुसार, बिभव कुमार को केजरीवाल का 'राइट-हैंड मैन' माना जाता है और वह उनकी डेली रूटीन तय करते हैं. एक सूत्र ने द प्रिंट को बताया कि वह केजरीवाल की आंख और कान हैं. पार्टी नेताओं और अधिकारियों को फोन करना, केजरीवाल का दैनिक कार्यक्रम, नियुक्तियां, यात्रा आदि सब कुछ बिभव कुमार संभालते हैं. निजी सचिव के तौर पर बिभव कुमार केजरीवाल के भोजन और दवाओं का भी ध्यान रखते हैं. द प्रिंट की रिपोर्ट में कहा गया है कि बिभव कुमार उस वक्त विवादों में घिर गए थे, जब उन्होंने कथित तौर पर योगेंद्र यादव को आम आदमी पार्टी से बाहर निकलने का रास्ता प्रशस्त किया था. साल 2015 में जब केजरीवाल की योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण से तनातनी चल रही थी तो उन्होंने कथित तौर पर यह साबित कर दिया कि यादव आम आदमी पार्टी के खिलाफ मीडिया को महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे थे और इस वजह से आखिरकार उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था.

सेवाओं को किया समाप्त

बिभव कुमार को आम आदमी पार्टी के अंदरूनी सूत्र के रूप में भी देखा जाता है. दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने ी. साल 2007 में नोएडा विकास प्राधिकरण में काम करने वाले महेश पाल द्वारा उनके खिलाफ दुर्व्यवहार और धमकी देने के लिए दायर एक आपराधिक मामले में सेवाओं को समाप्त कर दिया था. निगरानी विभाग ने कहा था कि उनकी नियुक्ति से पहले उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले की जांच नहीं की गई थी. विशेष सचिव (सतर्कता) वाईवीवीजे राजशेखर द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया था कि कुमार की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं, क्योंकि उन्हें अस्थायी नियुक्ति से संबंधित केंद्रीय सिविल सेवा नियमों का उल्लंघन करके नियुक्त किया गया था. आदेश में यह भी कहा गया कि बिभव कुमार की नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रक्रिया और नियमों का ईमानदारी से पालन नहीं किया गया था.

बंगाल खाली करने का आदेश

इसके बाद बिभव कुमार ने केंद्रीय प्रशासनिक ट्राइब्यूनल (कैट) में मूल आवेदन दायर कर इस फैसले का विरोध किया था. हालांकि, कैट ने नियुक्ति समाप्त करने के आदेश पर रोक नहीं लगाई थी. बता दें कि फरवरी 2014 में ईडी ने जिन 12 स्थानों पर छापे मारे थे, उनमें विभव कुमार और "आप" विधायक एनडी गुप्ता से जुड़े परिसर भी शामिल थे. साल 2021 में सतर्कता विभाग ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को कुमार के टाइप-6 बंगले का आवंटन रद्द करने का आदेश दिया था. विभाग ने कहा था कि बंगला नियमों का उल्लंघन करके आवंटित किया गया है. हालांकि, तब उन्होंने बंगला खाली नहीं किया. लेकिन पिछले महीने जब सतर्कता विभाग ने उन्हें बर्खास्त कर दिया तो पीडब्ल्यूडी ने उन्हें एक महीने के भीतर बंगला खाली करने के लिए कहा था.

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