जानें कौन है खालिदा जिया, जिनके शेख हसीना के इस्तीफा के कुछ घंटों बाद दिए गए रिहाई के आदेश

शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़कर भागने के कुछ ही घंटों बाद बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने जेल में बंद विपक्षी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को रिहा करने का आदेश दे दिया.

Update: 2024-08-05 18:01 GMT

Former PM Khaleda Zia will Release: शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़कर भागने के कुछ ही घंटों बाद बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने जेल में बंद विपक्षी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को रिहा करने का आदेश दे दिया. खालिदा जिया को रिहा करने का फैसला विपक्ष के सदस्यों के साथ चर्चा के दौरान लिया गया.

राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने सर्वसम्मति से बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष को बिना देरी के रिहा करने का फैसला किया. बैठक में सेना प्रमुख वकर-उज-जमान, नौसेना और वायु सेना के प्रमुख और बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी सहित विपक्षी दलों के शीर्ष नेता शामिल हुए.

बता दें कि शेख हसीना की कट्टर विरोधी मानी जाने वाली 78 वर्षीय खालिदा जिया मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख हैं. वह साल 1991 में बांग्लादेश की पहली महिला प्रधान मंत्री बनीं. उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत उनके पति जियाउर रहमान की हत्या के बाद हुई, जो 1977 से 1981 तक बांग्लादेश के राष्ट्रपति थे और उन्होंने 1978 में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की स्थापना की थी.

जिया को हाल ही में कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा है और अक्सर चिकित्सा देखभाल के लिए विदेश यात्रा करनी पड़ी. साल 2018 में भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें जेल में डाल दिया गया, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया कि यह राजनीति से प्रेरित था. उन्होंने साल 2001 से 2006 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया. वहीं, साल 2006 में उनकी सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद, जनवरी 2007 के चुनावों को राजनीतिक हिंसा और अंदरूनी कलह के कारण स्थगित कर दिया गया, जिसके कारण कार्यवाहक सरकार पर सैन्य नियंत्रण हो गया. अपने अंतरिम शासन के दौरान कार्यवाहक सरकार ने जिया और उनके दो बेटों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया.

बता दें कि 30 मई 1981 को खालिदा जिया के पति बांग्लादेश के तत्कालीन राष्ट्रपति जियाउर रहमान की हत्या कर दी गई थी. उनकी मौत के बाद खालिदा जिया ने 2 जनवरी 1982 को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) में शामिल होकर राजनीति में प्रवेश किया.

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