तेल-गैस बनाम टैंक-मिसाइल, क्या बदल रहा है मध्य पूर्व की जंग का चेहरा?
ईरान के दक्षिण पार्स गैस फील्ड पर इज़राइली हमले से ईरान को 1.2 करोड़ घन मीटर गैस उत्पादन रोकना पड़ा। ऊर्जा युद्ध की शुरुआत से वैश्विक तेल संकट गहरा गया है।;
पिछले तीन दिनों में इज़राइल ने ईरान के कई ठिकानों को तबाह किया है। नटांज के न्यूक्लियर प्लांट को निशाना बनाने के बाद इज़राइली डिफेंस फोर्स ने दुनिया के सबसे बड़े गैस फील्ड पर हमला कर दिया है। ईरान के बुशेहर प्रांत में स्थित द साउथ पार्स गैस फील्ड पर हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनातनी किस मोड़ पर जाएगी इसकी सिर्फ कल्पना की जा सकती है। बता दें कि बुशहर प्रांत के इस गैस फील्ड के कुछ हिस्से में कतर की भी हिस्सेदारी है जिसे द नॉर्थ फील्ड के नाम से जाना जाता है। यह दुनिया के सबसे बड़ा नेचुरल गैस का रिजर्व है।
दक्षिण पार्स (South Pars) पर किए गए हवाई हमले के बाद ईरान को गैस उत्पादन आंशिक रूप से रोकना पड़ा है। यह हमला क्षेत्र के फेज 14 में स्थित एक प्रमुख गैस प्रोसेसिंग यूनिट को निशाना बनाकर किया गया, जिससे आग लग गई और रोज़ाना 1.2 करोड़ घन मीटर गैस उत्पादन पर रोक लगानी पड़ी।यह पहली बार है जब इज़राइल ने ईरान के तेल और गैस इंफ्रास्ट्रक्चर को सीधे निशाना बनाया है।
क्या है दक्षिण पार्स गैस क्षेत्र?
दक्षिण पार्स गैस क्षेत्र ईरान के बुशेहर प्रांत में स्थित है और यह कतर के नॉर्थ फील्ड के साथ साझा जलक्षेत्र में आता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस भंडार है और ईरान की कुल घरेलू गैस ज़रूरतों का 66 प्रतिशत हिस्सा यहीं से आता है। बिजली उत्पादन, रसोई गैस और पेट्रोकेमिकल्स के लिए।
ईरान, अमेरिका और रूस के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा गैस उत्पादक देश है, जिसकी सालाना उत्पादन क्षमता लगभग 275 अरब घन मीटर (bcm) है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण ईरान अधिकतर गैस घरेलू उपयोग में ही खपत करता है। कुछ मात्रा इराक जैसे पड़ोसी देशों को निर्यात होती है। दूसरी ओर, कतर वैश्विक ऊर्जा कंपनियों (Shell, ExxonMobil) की मदद से हर साल 77 मिलियन टन LNG यूरोप और एशिया को भेजता है।
अब तक इज़राइल ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों को ही निशाना बना रहा था, लेकिन अब ऊर्जा संरचना पर हमला किया गया है, जो आर्थिक युद्ध की ओर इशारा करता है। ब्लूमबर्ग के अनुसार ऊर्जा विशेषज्ञ जॉर्ज लियोन ने कहा कि यह हमला 2019 के अब्कैक हमले के बाद सबसे बड़ा ऊर्जा इन्फ्रास्ट्रक्चर हमला है।
वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर खतरा
यह क्षेत्र कतर के साथ साझा है, जो दुनिया का एक प्रमुख LNG निर्यातक है। अब खार्ग द्वीप (ईरान का मुख्य तेल निर्यात टर्मिनल) और हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य जैसे इलाकों पर भी हमले की आशंका बढ़ गई है, जहाँ से दुनिया का 21% LNG और रोज़ 1.4 करोड़ बैरल कच्चा तेल गुजरता है। ऊर्जा मामलों के विश्लेषक रिचर्ड ब्रॉन्ज़ के अनुसार, “यह चेतावनी है कि यदि इज़राइली नागरिकों पर हमला हुआ तो इज़राइल ईरान के ऊर्जा ढांचे को निशाना बनाएगा।”
बाज़ार में झटका
शुक्रवार को शुरुआती इज़रायली हमले की खबर के बाद तेल की कीमतों में 14% तक उछाल आया और यह लगभग 73 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। हालांकि दक्षिण पार्स क्षेत्र घरेलू उपयोग के लिए है, लेकिन इसका निशाना बनना इस बात का प्रतीक है कि अब ऊर्जा भी युद्ध का मोर्चा बन चुकी है। अगर ईरान का खार्ग टर्मिनल या हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य बाधित होता है, तो तेल-गैस की कीमतों में जबरदस्त उछाल आ सकता है।
ईरान की ऊर्जा प्रणाली पर खतरा
ईरान पहले से ही अपने इतिहास के सबसे बड़े ऊर्जा संकट से जूझ रहा है। गैस की कमी के कारण बार-बार ब्लैकआउट हो रहे हैं, जिससे हर दिन 250 मिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हो रहा है। इमारतों और कारखानों में बिजली काटनी पड़ रही है। ईरानी ऊर्जा विशेषज्ञ अब्दोल्ला बाबाखानी का कहना है कि इन ऊर्जा संरचनाओं पर हमला विनाशकारी होगा क्योंकि इन्हें दुरुस्त करने में समय और बड़ी लागत लगेगी।
दक्षिण पार्स ईरान की घरेलू ज़रूरतों को पूरा करता है, लेकिन इसका भू-राजनीतिक महत्व बहुत अधिक है क्योंकि यह फ़ारस की खाड़ी में स्थित है। एक ऐसा क्षेत्र जो वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति की धड़कन है। इस हमले ने साफ कर दिया है कि अब ऊर्जा संसाधन भी युद्ध के दायरे में आ चुके हैं, जिससे एशिया और यूरोप जैसे क्षेत्रों में ईंधन की कीमतों में उछाल और मुद्रास्फीति जैसी समस्याएं और गंभीर हो सकती हैं।ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान ने इस हमले का कड़ा और घातक जवाब देने की बात कही है। ईरानी मीडिया ने भी साफ कर दिया है कि संघर्ष अब थमने वाला नहीं है, बल्कि यह और तीव्र हो सकता है।